Post Viewership from Post Date to 26-Sep-2021 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1526 122 1648

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के प्रसंग से समझिये आज़ादी में कला के योगदान को

मेरठ

 21-09-2021 09:40 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

आज से लगभग 74 साल पहले भारतीयों ने अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी पाने के लिए एड़ी छोटी का जोर लगा दिया था, उस दौरान कई ऐसे आंदोलन किये गए, जिन्होंने भारत को आज़ाद हवा में सांस लेने में अहम् भूमिका निभाई। उनमे से कुछ आंदोलन शांति पूर्ण और अहिंसावादी रहे, तथा कुछ बेहद उग्र और हिंसक होकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए। इसके अलावा भी कई आंदोलन ऐसे भी थे, जिन्हे हम हिंसा और अहिंसा के तराजू में न तोलकर एक विशेष संज्ञा दे सकते हैं। इन आंदोलनों को हम बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट (Bengal School of Art) के उदाहरण से बेहतर समझ सकते हैं।
बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट को आमतौर पर बंगाल स्कूल के रूप में जाना जाता है, यह एक प्रकार का कला आंदोलन और भारतीय चित्रकला की एक शैली थी, जिसकी उत्पत्ति मुख्य रूप से बंगाल में कोलकाता और शांतिनिकेतन में हुई।
यह 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रिटिश राज के दौरान पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फली-फूली थी। शुरुआती दिनों से ही इसे 'चित्रकारी की भारतीय शैली' के रूप में भी जाना जाता रहा है। यह एक प्रकार का आंदोलन भी था, जो पूरी तरह भारतीय राष्ट्रवाद (स्वदेशी) से जुड़ा था। इसका नेतृत्व महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर के भतीजे अबनिंद्रनाथ टैगोर कर रहे थे।
हालाँकि कई अंग्रेज़ भारत को उसकी प्राचीन कला शैलियों से विमुख करना चाहते थे, क्यों की वे भारतीय कला शैलियों की बरीकिओं और सुंदरता को समझ नहीं पा रहे थे, और इसे निरर्थक समझते थे। लेकिन इस बीच कई ब्रिटिश कला प्रशासक भारतीय चित्रकला की प्राचीन शैली से बेहद प्रभावित हुए। ब्रिटिश नागरिक ईबी हैवेल (EB Havell) भी ऐसे ही भारतीय कला प्रेमियों में से एक थे। हैवेल को कवि रवींद्रनाथ टैगोर के भतीजे, कलाकार अबनिंद्रनाथ टैगोर का समर्थन प्राप्त था। इन्होने अबनिंद्रनाथ टैगोर के साथ मिलकर चित्रकारी की भारतीय शैली को समर्थित और प्रचारित भी किया। अंततः इस जोड़े ने आधुनिक भारतीय चित्रकला का विकास किया। 20वीं शताब्दी के शुरुआत में, भारतीय राष्ट्रवादी नेताओं ने स्वदेशी की अवधारणा को बढ़ावा दिया, इस दौरान घरेलू और स्थानीय उत्पादों के पक्ष में ब्रिटिश निर्माताओं का बहिष्कार किया गया। जिसका उद्द्येश्य भारतीय संस्कृति और उद्योग को मजबूती देना तथा ब्रिटिश या पश्चिमी साहित्य से विशिष्ट भारतीय गुणों तथा हिंदू विषयों और प्राचीन भारतीय चित्रकला शैलियों की ओर मुड़ना था।
इस दौरान बंगाल स्कूल अंग्रेज़ों के प्रति बड़े प्रतिरोध के रूप में उभरा, जिसने भारतीय राष्ट्रवाद को जन्म दिया। 1858 से 1947 तक जब भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश ताज ने शासन किया। इस दौरान कई पारंपरिक भारतीय चित्रकला परंपराएं और शैलियां मुख्य धारा से बाहर हो गई, क्यों की ब्रिटिश हुकूमत के लिए यह अरुचिकर थी। नतीजतन यूरोपीय चित्रकला तकनीकों और कलात्मक अकादमियों में पढ़ाए जाने वाले विषयों के अलावा, कंपनी पेंटिंग्स को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया गया।
अंग्रेजों की इस कूटनीति को भांपकर, बंगाल स्कूल ने मुगल प्रभावों, राजस्थानी और पहाड़ी शैलियों की ओर मुड़कर विशिष्ट भारतीय परंपराओं और दैनिक जीवन के सुरुचिपूर्ण दृश्य प्रस्तुत किए। स्पष्ट शब्दों में कहें तो, बंगाल स्कूल ब्रिटिश कलात्मक परंपराओं का सीधा विरोध करता था। हालाँकि इसके प्रमुख संस्थापकों में से एक अर्नेस्ट बिनफील्ड हैवेल (Ernest Binfield Havell) जो की एक अंग्रेजी कला इतिहासकार, शिक्षक, कला प्रशासक और लेखक थे, लेकिन इसके बावजूद हेवेल ने छात्रों को मुगल लघुचित्रों की नकल करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके बारे में उनका मानना ​​था कि यह पश्चिम के 'भौतिकवाद' के विपरीत भारत के आध्यात्मिक गुणों को व्यक्त करता है।
धीरे-धीरे कलाकारों ने सुरुचिपूर्ण और परिष्कृत भारतीय आकृतियों के साथ सरल कला का निर्माण किया। बंगाल स्कूल के कलाकारों ने आमतौर पर रोमांटिक परिदृश्य, ऐतिहासिक विषयों और चित्रों के साथ-साथ दैनिक ग्रामीण जीवन के दृश्यों को चित्रित किया। बंगाल स्कूल के नेता अबनिंद्रनाथ टैगोर के शिष्य नंदलाल बोस और अन्य कलाकारों ने ब्रिटिश व्यवहार से परेशान एक विशिष्ट भारतीय आधुनिक कला विकसित करने की स्वदेशी धारणा की ओर रुख किया। उन्होंने अजंता के भित्ति चित्रों को गहराई से समझा और भारतीय पौराणिक कथाओं तथा समकालीन दैनिक ग्रामीण जीवन के दृश्यों का निर्माण किया। बोस ने गांधी जी के 1930 के छब्बीस दिवसीय दांडी मार्च को रेखाचित्रों की एक श्रृंखला का भी निर्माण किया, गांधी की इन छवियों ने बीसवीं सदी के भारतीय आधुनिकतावाद, पहचान और राष्ट्रवाद के विकास में योगदान दिया।
बंगाल स्कूल के सबसे प्रतिष्ठित चित्रों में से एक 'भारत माता चित्रण है, जिसमें उन्हें चार भुजाओं वाली एक युवती के रूप में चित्रित किया है, जो भारत की राष्ट्रीय आकांक्षाओं का प्रतीक है। औपनिवेशिक सौंदर्यशास्त्र से विमुख होकर अबनिंद्रनाथ टैगोर ने अखिल एशियाई सौंदर्यशास्त्र को बढ़ावा उद्द्येश्य से चीन और जापान की यात्रायें की। यहाँ जापानी कलाकार ओकाकुरा काकुज़ो ने भी उन्हें बहुत प्रेरित किया। अबनिंद्रनाथ के अलावा, बंगाल स्कूल के कई अन्य समर्थकों को भी भारतीय कला में दिग्गज माना जाता है। उनके भाई, गगनेंद्रनाथ टैगोर बंगाल स्कूल के एक प्रसिद्ध चित्रकार और कार्टूनिस्ट थे।अबनिंद्रनाथ के शिष्य नंदलाल बोस अजंता के भित्ति चित्रों से बेहद अधिक प्रेरित थे, वे सामान्यतः भारतीय पौराणिक कथाओं, महिलाओं और ग्रामीण जीवन के दृश्यों को चित्रित करते थे। बंगाल स्कूल के एक अन्य प्रसिद्ध कलाकार असित कुमार हलदर बौद्ध कला और भारतीय इतिहास से प्रेरित थे।
हालांकि 1920 के दशक में आधुनिकतावादी विचारों के विस्तार के साथ ही बंगाल स्कूल का प्रभाव भी कम होने लगा। लेकिन आज भी यदि, कहीं भारतीय संस्कृति और कला जीवित है, तो उसमे निश्चित रूप बंगाल स्कूल के इन कला क्रांतिवीरों का अहम् योगदान है।

संदर्भ
https://bit.ly/3ly2Yvo
https://bit.ly/3nMdYIa
https://ncert.nic.in/textbook/pdf/lefa106.pdf
https://en.wikipedia.org/wiki/Bengal_School_of_Art

चित्र संदर्भ

1.  अबनिंद्रनाथ टैगोर तथा उनके द्वारा निर्मित किया गया एक चित्रण (wikimedia, vam.ac.uk)
2.  अबनिंद्रनाथ टैगोर की माताजी का एक चित्रण (wikimedia)
3.  अशोक की रानी का एक चित्रण (vam.ac.uk)
4.  ब्रिटिश नागरिक ईबी हैवेल (EB Havell) का एक चित्रण (wikimedia)
5.  भारत माता, अवनिंद्रनाथ टैगोर की एक पेंटिंग का एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM


  • मेरठ क्षेत्र में किसानों की सेवा करती हैं, ऊपरी गंगा व पूर्वी यमुना नहरें
    नदियाँ

     18-12-2024 09:26 AM


  • विभिन्न पक्षी प्रजातियों के लिए, एक महत्वपूर्ण आवास है हस्तिनापुर अभयारण्य की आर्द्रभूमि
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:29 AM


  • डीज़ल जनरेटरों के उपयोग पर, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के क्या हैं नए दिशानिर्देश ?
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:33 AM


  • आइए देखें, लैटिन अमेरिकी क्रिसमस गीतों से संबंधित कुछ चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:46 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, बिजली बचाने के कारगर उपायों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id