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भारत में पेड़‚ भारतीय वन अधिनियम के अंतर्गत आते हैं‚ जिसके तहत प्रत्येक
राज्य ने पेड़ काटने के खिलाफ नियम और कानून बनाए हैं। शहरों में वृक्षों का
आवरण लगातार खतरे में है जिसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। हममें से
अधिकांश लोग असहाय महसूस करते हैं‚ जब हम किसी को पेड़ काटते हुए देखते
हैं। वृक्ष हमारे जीवन का एक अनमोल हिस्सा है‚ अगर आप किसी को पेड़ काटते
हुए देखते हैं तो भारतीय वन अधिनियम के तहत आप कुछ कदम उठा सकते हैं।
मुंबई में पेड़‚ महाराष्ट्र वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1975‚ के अंतर्गत आते हैं‚ जहां
किसी वृक्ष अधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना किसी पेड़ को नहीं काटा जा सकता
है। यदि आप मुंबई में एक पेड़ को गिरते हुए देखते हैं‚ तो आप उनसे बीएमसी ट्री
अथॉरिटी (BMCs Tree Authority’s) की अनुमति की एक प्रति मांगें‚ जिसमें पेड़
की संख्या‚ प्रकार और आकार हो‚ तथा पेड़ को काटने या प्रत्यारोपण करने का
आदेश हो। यदि कोई सहमति नहीं दिखाई जाती है‚ तो मुंबई पुलिस को एक डाक
या गूगल पते के साथ पेड़ काटने की तस्वीर ट्वीट कर सकते हैं। या स्थानीय वृक्ष
प्राधिकरण अधिकारी को सूचित कर सकते हैं।
दिल्ली में‚ दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994‚ के तहत एक वृक्ष प्राधिकरण की
स्थापना की गई है‚ और किसी भी पेड़ को काटने या हटाने के लिए इसकी
अनुमति की आवश्यकता होती है।
अधिनियम में उल्लेख किया गया है कि‚ कोई
भी व्यक्ति किसी भी भूमि में‚ किसी भी पेड़ या वन उपज को‚ ना तो गिराएगा
ना हटाएगा और ना ही उसका निपटान करेगा। और यदि कोई ऐसा करना चाहता
है‚ तो उसे एक वृक्ष अधिकारी से अनुमति की आवश्यकता होगी‚ जो निर्णय लेने
के लिए‚ आवेदन प्राप्त होने से‚ 60 दिन का समय लेता है। अधिनियम में यह भी
अनिवार्य है कि जिस व्यक्ति को पेड़ को काटने या निपटाने की अनुमति प्राप्त
होती है‚ वह उस क्षेत्र में उसी संख्या और प्रकार के पेड़ लगाने के लिए बाध्य है‚
जहां से पेड़ काटा गया है। इसलिए‚ यदि आप दिल्ली में किसी को पेड़ काटते हुए
देखते हैं‚ तो यह देखने के लिए जांचें कि क्या उनके पास वृक्ष अधिकारी से
लिखित अनुमति है।
चेन्नई के लिए आवश्यक है कि एक पेड़ काटने वाले व्यक्ति के पास ग्रेटर चेन्नई
कॉरपोरेशन (Greater Chennai Corporation) से पूर्व अनुमति हो। अनुमति
फॉर्म‚ निगम की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है‚ जिसमें विभिन्न कॉलम होते हैं‚
जिन्हें एक व्यक्ति को कार्रवाई को सही ठहराते हुए भरना होता है। यदि आप
किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो चेन्नई में पेड़ काट रहा है‚ तो आप उससे
निगम से लिखित अनुमति पत्र मांग सकते हैं। यदि व्यक्ति आपको यह नहीं दिखा
सकता‚ तो आप पुलिस को सूचित कर सकते हैं।
कर्नाटक में वृक्षों की कटाई‚ कर्नाटक वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976‚ के अंतर्गत
आती है। अधिनियम में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि‚ कोई भी व्यक्ति
किसी भी पेड़ को नहीं गिरा सकता है‚ चाहे वह उनके स्वामित्व में हो या
अधिभोग में‚ वृक्ष अधिकारी की पूर्व अनुमति को छोड़कर।
यदि आप बेंगलुरु में किसी को पेड़ काटते हुए देखते हैं‚ तो उनसे वृक्ष अधिकारी
तथा बीबीएमपी (BBMP) के पूर्व हस्ताक्षर और मुहर के साथ अनुमति पत्र मांग
सकते हैं। यदि उनके पास अनुमति नहीं है‚ तो आप वृक्ष अधिकारी को संपर्क कर
सकते हैं। बीबीएमपी सीमा के लिए‚ दो वृक्ष अधिकारी हैं। इसके अलावा स्थानीय
पुलिस स्टेशन को भी सूचित किया जा सकता है‚ कि एक पेड़ को बिना अनुमति
के काटा जा रहा है‚ तथा यह कर्नाटक वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत एक
अपराध है।
कोलकाता में पेड़ों की कटाई पश्चिम बंगाल पेड़ अधिनियम 2006‚ के तहत
शासित है। कोलकाता में एक पेड़ गिराने के लिए‚ वन विभाग और कोलकाता नगर
निगम की अनुमति की आवश्यकता होती है। यदि कोलकाता में लोगों को पेड़
काटते देखें‚ तो उनसे वन विभाग और नगर निकाय की अनुमति पत्र मांगे। यदि
आपको दस्तावेजों के रूप में अनुमोदन नहीं दिखाया जाता‚ तो वन विभाग को
सतर्क करें‚ यदि कटाई कोलकाता शहर की सीमा के भीतर हो रही हो‚ तथा यदि
जिलों में कटाई होती है‚ तो संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) को संपर्क किया जा
सकता है। इसके अलावा‚ सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने के लिए‚ एक पुलिस
शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं‚ क्योंकि फुटपाथ पर पेड़ों को सार्वजनिक संपत्ति
माना जाता है‚ और किसी व्यक्ति को वहां पेड़ गिराने का अधिकार नहीं है। वन
विभाग पेड़ काटने की अनुमति तभी दे सकता है‚ जब प्रत्येक पेड़ के लिए पांच
पौधे लगाए जाएं।
पड़ोसियों के बीच पेड़ या शाखाओं का अतिक्रमण एक आम विवाद है। वृक्ष विवाद
कई रूप ले सकते हैं; जैसे- यदि पेड़ किसी पड़ोसी की संपत्ति पर गिर जाए‚ तो
क्षति या परिस्थितियों का कारण बन जाते हैं‚ या जहां एक पड़ोसी का पेड़ एक
सुंदर या सुखद दृश्य को अवरुद्ध कर रहा हो। कुछ मामलों में एक पड़ोसी का पेड़
वास्तव में कुछ अप्रिय दृश्य भी अवरुद्ध कर सकता है‚ जैसे- कचरा संग्रहण स्थल
या फ्रीवे‚ और पेड़ों को काटने से घर्षण भी हो सकता है। लटकती शाखाओं के
कारण या पेड़ों की जड़ों से होने वाली क्षति के संबंध में कार्रवाई के लिए कई
कानूनी अध्यादेश बनाए गए हैं‚ जिनके अनुसार “एक पेड़ के मालिक को अपनी
शाखाओं को अपने पड़ोसी की भूमि पर लटकने की अनुमति देने का कोई अधिकार
नहीं है। यदि वह ऐसा करता है‚ तो पड़ोसी‚ पेड़ के मालिक की भूमि में प्रवेश किए
बिना शाखाओं को काट सकता है तथा जड़ों को कुचलकर उपद्रव को कम कर
सकता है। उसे पेड़ के मालिक को नोटिस देने की भी आवश्यकता नहीं है।”
घर खरीदने के लिए‚ किसी भी स्थान का चुनाव करते समय कई कारकों पर
विचार किया जाता है‚ जिसमें आसपास का परिदृश्य भी शामिल है। कोई भी घर
जिसके सामने का दृश्य अकल्पनीय व प्रकृतिमनोहर हो या समुद्र के नजारे वाला
हो‚ आमतौर पर अधिक मूल्य का होता है। किंतु किसी पड़ोसी द्वारा ऐसे सुरम्य
दृश्य को अवरुद्ध करना‚ निश्चित रूप से निराशाजनक हो सकता है। ऐसी
स्थितियों से निपटने के लिए कुछ शहरों में कुछ कानूनी अध्यादेश जारी किए गए
हैं। यदि आप अपने पड़ोसियों द्वारा किए गए अवरोध को‚ पड़ोसी के साथ हल
करने में असमर्थ हैं‚ तो आप कानूनी मदद ले सकते हैं या स्थानीय रियल एस्टेट
अटॉर्नी (real estate attorney) को सुचित करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
समुद्र के पास के शहर और कस्बे‚ पहाड़ों के नज़ारों के साथ असाधारण दृश्यों के
लिए जाने जाते हैं‚ उनमें अक्सर अध्यादेश देखने को मिलते हैं। हालांकि‚ इनमें से
कई कानूनों में पेड़ों के अलावा अन्य बाधाएं शामिल नहीं हैं। एक दृश्य अध्यादेश‚
आम तौर पर एक संपत्ति के मालिक को‚ जिसने ऊंचे पेड़ के कारण अपना दृश्य
खो दिया हो‚ पेड़ के मालिक पर मुकदमा चलाने के लिए अनुमति देता है। एक
दृश्य अध्यादेश को लागू करने में लंबा समय लग सकता है‚ क्योंकि अदालतों में
केस बकाया हो सकते हैं तथा किसी भी निर्णय की अपील की जा सकती है। जिन
शहरों में एक दृश्य अध्यादेश का अभाव होता है‚ वहां अन्य अध्यादेश या
गृहस्वामी संघ नियम लागू किए जा सकते हैं।
इस प्रकार के नियम बाड़ की
ऊँचाई‚ उगाए जाने वाले पेड़ों के प्रकार तथा भवनों के स्थान को नियंत्रित कर
सकते हैं। एक अन्य विकल्प अपने पड़ोसी से एक सुविधाधिकार खरीदना है‚ जो
अनिवार्य रूप से एक लिखित अनुबंध होता है‚ जो किसी अन्य व्यक्ति की भूमि में
गैर-स्वामित्व हित प्रदान करता है। इसका मतलब यह है कि सुविधाधिकार के
धारक के पास अनुबंध में संदर्भित भूखंड नहीं है‚ किंतु संपत्ति के इस हिस्से को
एक निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए उपयोग करने का अधिकार है। एक सुविधाधिकार का
आलेखन तैयार करना भ्रामक होता है‚ इसलिए सहायता के लिए भूमि उपयोग तथा
क्षेत्रीकरण प्रतिनिधि से संपर्क किया जा सकता है। सहजता में भाषा अक्सर इंगित
करती है कि अनुबंध का धारक “जो कुछ भी उचित रूप से सुविधाजनक या
आवश्यक है‚ वह उन उद्देश्यों का पूरी तरह से आनंद ले सकता है‚ जिनके लिए
सुविधाधिकार प्रदान किया गया था” जब तक वह संपत्ति के मालिक पर अनुचित
बोझ नहीं डालता। एक दृश्य की रक्षा के उद्देश्य से एक सुविधाधिकार‚ संपत्ति के
मालिक को कानूनी रूप से ऐसा कुछ भी करने से रोकेगा‚ जिससे दृश्य में बदलाव
हो सकता हो।
संदर्भ:
https://bit.ly/3tLHrDe
https://bit.ly/3AlzCH0
https://bit.ly/3lvGDyB
चित्र संदर्भ
1. कटने से बचाव के लिए पेड़ से चिपकी महिलाओं का एक चित्रण (flickr)
2. जंगलों के अनियंत्रित कटाव को दर्शाता एक चित्रण (sciencenewsforstudents)
3. सड़क राजमार्ग निर्माण हेतु काटे जाने वाले वृक्ष का एक चित्रण (wikimedia)
4. पेड़ की शाखा काटते व्यक्ति का एक चित्रण (adobestock)
5. हरे-भरे पेड़ों से ढके शहर का एक चित्रण (unsplash)
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