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हजारों वर्ष पूर्व मनुष्य अपने भोजन के लिए पूरी तरह से जंगली जानवरों अथवा शिकार पर
निर्भर करता था, जिस कारण धीरे-धीरे सीमित क्षेत्रों में शिकार की कमी होने लगी। परंतु
फसलों और फलों को खाने का प्रचलन शुरू होते ही, मानव सभ्यता के विकास में क्रांति आ
गई। अब मनुष्य भोजन हेतु केवल शिकार पर निर्भर न रहकर, फसलों और फलों के सहारे
भी जीवन यापन कर सकता था। तब जाकर सही मायनों में मानवता आत्मनिर्भर कहलाई।
हजारों वर्ष पूर्व से शुरू हुआ फसलों और फलों की खेती करने का प्रचलन आज भी जारी है,
और तेज़ी से प्रगति कर रहा है।
हालांकि कृषि की उत्पत्ति के सटीक प्रमाण नहीं मिले हैं, किंतु विकसित कृषि के लिए पहला
पुरातात्विक साक्ष्य, मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में और इसके तुरंत बाद नील और
सिंधु घाटियों में पाया जाता है। कृषि प्रौद्योगिकी के इतिहास में प्रसार के साक्ष्यों में
मेसोपोटामिया से सिंचाई प्रौद्योगिकी, चीन से रेशमकीट प्रौद्योगिकी और मध्य एशिया से
घोड़े की तकनीक शामिल हैं। मध्य-पूर्व में, लगभग 10 से 12 हजार साल पहले खच्चर का
प्रयोग करने, और शिकार करने से लेकर कृषि करने के साक्ष्य मौजूद हैं। साथ ही मध्य पूर्व
में उगाई जाने वाली पहली फसलों में अनाज, जैसे जौ, इमर, और वर्तनी, और दलहन फसलें
जैसे तिल और मसूर शामिल हैं। मानव जाति के इस "तेज" परिवर्तन के लिए नवपाषाण
क्रांति शब्द का प्रयोग किया जाता है।
ओरिजिन्स ऑफ फ्रूट कल्चर इन द फर्टाइल क्रिसेंट चाइल्ड (The Origins of Fruit
Culture in the Fertile Crescent Child) द्वारा प्रस्तावित किया कि, कांस्य युग के बाद
दूसरी नवपाषाण क्रांति 6000 और 3000 ईसा पूर्व के बीच हुई, जिसमें गांवों से शहरी
समुदायों में परिवर्तन शुरू हो गया था। शहरी केंद्रों के विकास के साथ ही व्यवस्थित कृषि
और फल संस्कृति की शुरुआत भी हो गई। फल संस्कृति की प्राचीन उत्पत्ति के बारे में फलों
के पुरातात्विक अवशेषों और चित्रात्मक और साहित्यिक साक्ष्यों जानकारी प्राप्त होती है।
मेसोपोटामिया और मिस्र की उच्च संस्कृति की समृद्ध कला में फल संस्कृति भी शामिल
है। फल उगाना अनाज या दलहनी फसलों जैसे जड़ी-बूटियों की वार्षिक खेती की तुलना में
तकनीकी रूप से अधिक जटिल तकनीक होता है। इसमें शुष्क जलवायु में निरंतर सिंचाई,
छंटाई और प्रशिक्षण, परागण, कटाई, भंडारण और प्रसंस्करण की आवश्यकता होती हैं।
नवपाषाण काल में गेहूं, मक्का, चावल और ज्वार और दालों (तिल और मसूर) को पालतू
बनाया गया अथवा घरेलु तौर पर उगाया जाने लगा। लगभग 6000 और 3000 ईसा पूर्व के
बीच नवपाषाण और कांस्य युग के अंत में, प्राचीन भूमध्यसागरीय फल (खजूर, जैतून,
अंगूर, अंजीर, गूलर अंजीर और अनार) भी पालतू बना लिए गए थे। वही मध्य और पूर्वी
एशिया में केला, विभिन्न अनार फल (सेब, नाशपाती, क्विंस, मेडलर) और बादाम, खुबानी,
चेरी, आड़ू, और बेर आदि प्रमुख पालतू फलों में से थे। दुनिया के पहले पालतू अंजीर लगभग
11,400 साल पहले उगाए गए थे।अधिकांश जहरीले पोंधों को छोड़कर मनुष्यों ने उन कुछ
पोंधों की खेती की है, जो खाने योग्य और पौष्टिक या अच्छे स्वाद वाले थे।
परंतु इस सब के
बावजूद माना जाता है की, दुनिया का पहला फल जिसे घरेलु तौर पर उगाया गया वह अंजीर
था। पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं की प्राचीन जेरिको से आठ मील उत्तर में एक गाँव में रहने
वाले मनुष्यों ने बीज रहित अंजीर का प्रचार करना शुरू किया था। गिलगाल में एक जले हुए
घर के खंडहरों में अंजीर के 300 से अधिक छोटे टुकड़े खोजे गए थे। यह साक्ष्य बताते हैं की
अंजीर संभवतः दुनिया का पहला पालतू फल रहा होगा।
आज हम अधिकांश फसलें और फल उन्ही स्थानों पर उगाते हैं, जहां उनकी उत्पत्ति हुई थी।
जैसे:
उत्तरी अमेरिका में ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी और अंगूर इत्यादि।
यूरोप (पश्चिमी) में गाजर,आंवला, पत्ता गोभी, चुकंदर इत्यादि।
भारत में नींबू, ककड़ी,आम, खरबूजा इत्यादि।
दक्षिण पूर्व एशिया में केला,संतरा, अंगूर इत्यादि।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि टमाटर, घातक नाइटशेड (nightshade) परिवार का
एक सदस्य है, जिसे कभी जहरीला माना जाता था। पपीता और अनानास, हवाई से जुड़े फल,
मध्य और दक्षिण अमेरिका में उत्पन्न हुए हैं। यह जानना भी बेहद रोचक है की, पत्तागोभी,
केल, ब्रोकली, फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, कोहलबी, कोलार्ड्स, और चीनी गोभी सभी एक ही
प्रजाति हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3z4EoHn
https://bit.ly/391GM72
https://nyti.ms/3A559N9
https://bit.ly/2Xmxq3s
चित्र संदर्भ
1. सुन्दर सजाये गए विभिन्न फलों का एक चित्रण (wikimedia)
2. कृषि के इतिहास को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. अंजीर के बीजों का एक चित्रण (flickr)
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