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विभिन्न धर्मों में पशुओं के अधिकार व नैतिकता

मेरठ

 13-09-2021 06:50 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

लोकाचार‚ नैतिकता और नैतिक जैसे शब्दों के निर्माण को संबोधित करने वाले प्राचीन यूनानी (Greek) दर्शन से पशुओं के प्रति मानव का दृष्टिकोण प्रभावित हुआ है। लोकाचार को किसी समुदाय या लोगों के चरित्र‚ भावना या स्वभाव के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। तकनीकों में प्रगति‚ मानव आबादी में तीव्र वृद्धि‚ तथा वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र पर परिणामी दबाव जैसे विभिन्न कारकों की वजह से पशु नैतिकता में लोगों की रुचि काफी बढ़ गई है। धर्म अभी भी व्यक्तिगत और सांप्रदायिक जीवन के कई हिस्सों में परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हिंदू धर्म में पदानुक्रम का विचार एक प्रकार की पवित्र असमानता को जन्म देता है‚ यह मानता है कि मनुष्यों की सबसे निचली जाति की तुलना में जानवर काफी निम्न स्तर पर स्थित हैं‚ लेकिन जानवरों के इस अवमूल्यन को कई पवित्र ग्रंथों द्वारा संतुलित किया गया है। ऋग्वेद और अथर्ववेद में इस बात का वर्णन किया गया है कि हिंदू देवता बंदर और गाय के रूप में अधिक पुनर्जन्म लेते हैं। विभिन्‍न अध्ययनों से ज्ञात होता है कि भारतीय धर्म जानवरों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं जो विभिन्न जानवरों की प्रजातियों और विभिन्न देवताओं के बीच मजबूत प्रतीकात्मक संबंध स्थापित करता है। वैदिक युग के समय गाय की पूजा करने की प्रथा की उत्पत्ति हुई। प्राचीनकाल से ही गाय को आज भी हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान प्राप्त हुआ है।
बौद्ध परंपराओं के अनुसार‚ बौद्ध धर्म का उद्देश्य दुख को दूर करना तथा मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त होना है। बौद्ध परंपराओं की मान्यता है कि पुनर्जन्म का दर्दनाक चक्र‚ अस्तित्व के छह क्षेत्रों‚ स्वर्गीय‚ अर्ध-देवता‚ मानव‚ पशु‚ भूखा भूत और नारकीय क्षेत्र में होता है। इन लोकों में से अंतिम तीन को दुष्ट माना जाता है। जैन धर्म एक अन्य प्राचीन भारतीय धर्म है‚ जो अहिंसा‚ बहुपक्षीयता‚ अनासक्ति तथा तपस्या जैसी चार मुख्य धाराओं पर आधारित है। जानवरों को हानि से बचाने के संबंध में यह सबसे कठोर धर्म माना जाता है। इस धर्मवासियों का कहना है कि सभी जीवित प्राणी एक दूसरे की मदद करने के लिए हैं। आत्मरक्षा के लिए भी हत्या की अनुमति नहीं है। हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म से आगे जाकर जैन धर्म अहिंसा को सर्वोच्च नैतिक कर्तव्य मानता है। जैन धर्म की एक महत्वपूर्ण प्रार्थना में सभी जीवित प्राणियों से क्षमा की प्रार्थना की जाती है।
इब्राहिम धर्म की मान्यता है कि ईश्वर ने सभी प्राणियों को बनाया है और सभी प्राणी अपने आप में अच्छे हैं। यहूदी बाइबिल (Bible) में वर्णन किया गया है कि जानवरों के प्रति मनुष्य के कुछ विशिष्ट नैतिक दायित्व भी हैं जैसे‚ काम करते समय एक बैल का मुंह बंद न करने की निषेधाज्ञा और एक गिरे हुए गधे की मदद करना‚ चाहे वह पशु आपके शत्रु का हो। इस धर्म की यह मान्यता है कि “मनुष्य को पशु पर कोई श्रेष्ठता नहीं है”। ईसाई धर्म ने भी यहूदी धर्म की लगभग सभी धार्मिकता को बरकरार रखा‚ ईसाई धर्म शाकाहारी धर्म नहीं है। फिर भी‚ इन धर्मवासीयों ने हमेशा मांस खाने से परहेज करने के महत्व को उजागर किया है।
दुनिया में चार सबसे प्रमुख धर्म‚ बौद्ध धर्म‚ ईसाई धर्म‚ हिंदू धर्म‚ इस्लाम और यहूदी धर्म हैं। प्रत्येक धर्म समय के साथ विकसित हुआ है और संस्कृतियों और देशों में अलग-अलग तरीकों से इनका पालन किया जाता है। प्रत्येक धर्म मे पशु एक महत्तवूर्ण भूमिका निभाते हैं‚ ये सभी धर्म जानवरों को अलग तरह से महत्व देते हैं। जबकि कुछ लोग जानवरों को उनके द्वारा पालन किए जाने वाले धर्म के आधार पर पवित्र मानते हैं‚ अन्य लोग उन पशुओं को केवल भोजन के स्रोत के रूप में देखते हैं। बौद्ध धर्म मानव और जानवरों‚ दोनों के लिए शांति का अभ्यास करता है और बढ़ावा देता है। कुछ लोगों की यह भी मान्यताएं हैं कि बौद्ध धर्म पशु कल्याण का समर्थन करता है क्योंकि सभी जीवित प्राणियों के लिए करुणा‚ बौद्ध धर्म की मान्यताओं में सर्वाधिक एकीकृत की गई है। जिस प्रकार ईसाई और यहूदी धर्म में दस आज्ञाएँ हैं‚ उसी प्रकार बौद्ध धर्म में पाँच उपदेश हैं। जिनमें से सर्वाधिक बहस पहले उपदेश “दूसरों को न मारें या नुकसान न पहुंचाएं” को लेकर होती है क्योंकि यह जानवरों की पीड़ा से संबंधित है।
कई आधुनिक बौद्धों का मानना है कि सुपरमार्केट या रेस्टोरेंट (supermarket or restaurant) से मांस खाना नैतिक है क्योंकि जानवरों का शिकार विशेष रूप से उनके खाने के उद्देश्य से नहीं किया गया था। बौद्ध धर्म की शिक्षाओं में‚ मांस खाने और मांस के लिए जानवरों को मारने के कार्य को अलग-अलग देखा जाता है‚ इस प्रकार कई बौद्धों की नजर में मांस खाने को स्वीकार्य बना दिया जाता है। ईसाई धर्म अमेरिका (America)‚ यूरोप (Europe) तथा अफ्रीका (Africa) के दक्षिणी भाग में सबसे लोकप्रिय धर्म है। ईसाई धर्म का पालन अरबों लोग करते हैं। विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और इंग्लैंड (England) में ईसाइयों द्वारा पशु अधिकारों तथा कल्याण के विषय में भारी बहस की जाती है। कई ईसाईयों का मानना हैं कि जानवरों के साथ दया का व्यवहार किया जाना चाहिए और मनुष्य के रूप में‚ उन्हें जानवरों को नुकसान पहुँचाने से बचना चाहिए क्योंकि यह पापपूर्ण है। ईसाई धर्म एक ईश्वर पर आधारित है‚ और ईसाई हर कार्य में अपने ईश्वर की सेवा करने में विश्वास करते हैं‚ जिसमें खाना भी शामिल है।
हिंदू धर्म केवल एक संगठित धर्म नहीं‚ बल्कि कई परंपराओं और दर्शनों का संकलन है। हिंदू धर्म की यह मान्यता है कि सभी जीवित प्राणियों में एक आत्मा होती है‚ और वे सर्वोच्च आत्मा का एक हिस्सा होते हैं। हिंदू धर्म सभी जीवित प्राणियों के उचित और सम्मानजनक व्यवहार की शिक्षा देता है‚ हिंदू धर्म में उच्च स्तर पर पशु अधिकार हैं‚ हालांकि धार्मिक उद्देश्यों के लिए जानवरों की बलि दी जाती है। बलिदान के लिए जानवरों के साथ किए जाने वाले व्यवहार पर बहुत महत्व दिया जाता है। क्योंकि जानवरों के उचित उपचार को ही एक हिन्दू के मोक्ष की यात्रा की शुरुआत माना जाता है। विशेष रूप से गायों को हिंदुओं द्वारा बहुत सम्मानित किया जाता है क्योंकि गाय हिंदू धर्मग्रंथों में सभी देवताओं की मां से जुड़ी हुई है। इसके अतिरिक्त‚ गाय जितना ग्रहण करती हैं उससे अधिक प्रदान करती हैं। “गाय पांच चीजें‚ दूध‚ पनीर‚ मक्खन (या घी)‚ गौमूत्र तथा गोबर पैदा करती हैं। पहले तीन उत्पादों को हिंदू देवताओं की पूजा में उपयोग तथा घरेलू जीवन में खाया जाता है‚ जबकि अंतिम दो उत्पादों का उपयोग धार्मिक भक्ति या तपस्या में या ईंधन के लिए जलाकर उपयोग किया जाता है।” इसलाम धर्म में मुसलमानों का मानना है कि पशु इंसानों के लाभ के लिए पैदा होते हैं‚ लेकिन वो यह भी मानते हैं कि पशुओं के साथ दया और करुणा का व्यवहार किया जाना चाहिए। कुरान मे स्पष्ट रूप से वर्णित है कि जानवरों को इंसानों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है और किया जाना चाहिए। लेकिन किसी जानवर के प्रति किसी भी क्रूरता को पाप माना जाता है‚ और एक जानवर को मारना भी पाप माना जाता है। इस्लामी शिक्षाएं मुसलमानों को सूअर का मांस‚ किसी ऐसे जानवर का मांस जिसका ठीक से कत्ल नहीं किया गया था तथा बिजली के झटके से मरने वाले जानवर इत्यादि के मांस का सेवन करने की अनुमति नहीं देता है। जबकि अधिकांश मुसलमान मांस खाते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3tniE8i
https://bit.ly/3zW6HJi
https://bit.ly/3BU4BKA

चित्र संदर्भ
1. बेघर कुत्ते की सहायता करते व्यक्ति का एक चित्रण (Al-Monitor)
2. हिंदू धर्म में गाय और बैल आस्था का प्रतीक हैं जिसको संदर्भित करता एक चित्रण (photoshelter)
3. बौद्धधर्म में पुनर्जन्म चक्रण एक चित्रण (tricycle)
4. यीशु के चित्रणों ने उन्हें अक्सर जानवरों से संबंधित छवियों जैसे 'अच्छे चरवाहे' के रूप में दिखाया है जिसका एक चित्रण (wikimedia)

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