Post Viewership from Post Date to 11-Sep-2021 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1365 88 1453

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

दुर्लभ और लुप्तप्राय स्तनपायी Mammal जीवों का गढ़ रहा है भारत

मेरठ

 06-09-2021 11:22 AM
स्तनधारी

भारत दुनियाभर में सर्वाधिक जैव विविधता वाले देशों में से एक हैं। यह दुनिया की 17 सबसे बड़ी विविधता वाले देशों में से एक है। हालाँकि भारत पूरी दुनिया के केवल 2.4% भूमि क्षेत्र पर स्थित हैं, किंतु यहां के पश्चिमी, पूर्वी हिमालय और भारत-बर्मा क्षेत्र में पूरे विश्व के जानवरों की 7-8% प्रजातियां निवास करती हैं। किंतु अवैध अंतरराष्ट्रीय व्यापार सहित कई कारणों से भारतीय जानवरों की कई प्रजातियां लुप्तप्राय अथवा विलुप्ति की कगार पर हैं। दुनिया के अधिकांश जीवित स्तनधारी जानवरों की सूची में से आज भारत में सभी स्तनपायी प्रजातियां मौजूद हैं। उनमें से कुछ को बेहद खूंखार माना जाता है, जो की अत्यधिक दुर्लभ भी हैं। कई मांसाहारी और बड़े स्तनधारी जानवर, जंगलों में संरक्षित क्षेत्रों में निवास करते हैं। जबकि अन्य मनुष्यों के निकट शहरों के भीतर रहते हैं। आकार में वे नन्हे यूरेशियन पाइग्मी श्रू (Eurasian pygmy shrew) से लेकर विशालकाय एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस "Elephas maximus") तक बड़े हैं। आज कई मांसाहारी जानवरों की आबादी विलुप्ति की कगार पर है, जिनमें बाघ , तेंदुआ, ढोल और मालाबार (विवेरा सिवेटीना "Vivera civetina") सबसे लुप्तप्राय मांसाहारी प्रजातियों में से कुछ हैं भारतीय क्षेत्र के भीतर गैंडे की दो प्रजातियां पूरी तरह विलुप्त हो चुकी हैं। वैश्विक सरकारों के बीच एक अंतराष्ट्रीय समझौते के अंतर्गत जंगली जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) CITES आयोजित किया जाता है।
इसका उद्देश्य जंगली जानवरों और पौधों के नमूनों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुनिश्चित करना है, जिससे उन जानवरों और पोंधों के अस्तित्व की रक्षा की जा सके। सीआईटीईएस (CITES) द्वारा संरक्षण की आवश्यकता के आधार पर तीन अनुबंध शामिल किये गए हैं।
1. पहले अनुबंध में वे प्रजातियां शामिल हैं, जो सबसे अधिक संकटग्रस्त हैं और विलुप्त होने के कगार पर हैं।
2. दूसरे अनुबंध में ऐसी प्रजातियां शामिल हैं ,जिनका अनिवार्य रूप से विलुप्त होने का खतरा नहीं है, लेकिन उनके व्यापार को नियंत्रित किया जाना चाहिए, जो प्रजातियों के अस्तित्व के लिए हानिकारक है।
3. तीसरे अनुबंध में उन देशों द्वारा दी गई विभिन्न प्रजातियों की सूची है, जो देश पहले से ही कई प्रजातियों के व्यापार को सुनिश्चित करते हैं तथा जिन प्रजातियों के अवैध शोषण रोकने के लिए अन्य देशों की सहायता की आवश्यकता है। भारत में स्तनधारियों की लगभग 410 प्रजातियाँ ज्ञात हैं, जो विश्व की प्रजातियों का लगभग 8.86% है। इनमें से 89 प्रजातियों को प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) द्वारा वर्ष 2006 खतरे की लाल सूची में शामिल किया गया है। भारत के लगभग 127 स्तनधारी विभिन्न सीआईटीईएस (CITES) अनुबंधों में सूचीबद्ध हैं। अनुबंध 1 में 53 स्तनधारियों को दूसरे अनुबंध में 44 स्तनधारियों को तथा तीसरे अनुबंध में 30 स्तनधारियों को शामिल किया गया है। सीआईटीईएस की इस सूची में स्थलीय और जलीय स्तनपायी दोनों शामिल हैं।
भारत कई प्रागैतिहासिक (prehistoric) स्तनधारी प्रजतियों का गढ़ रहा है, जो दुर्भायवश आज पूरी तरह विलुप्त हो चुकी हैं। जिनमे से कुछ बेहद विशिष्ट अथवा विशालकाय जानवरों की सूची नीचे दी गई है।
1. स्टेगोडन (Stegodon): स्टेगोडन , का शाब्दिक प्राचीन ग्रीक अर्थ होता है "छत वाला दांत"। इसको यह नाम इस प्रजाति के जानवरों के दाढ़ों पर विशिष्ट लकीरों के कारण मिला है। यह विलुप्त हो चुकी स्टेगोडोन्टिनाई (Stegodontidae) के उपपरिवार की प्रजाति है। स्टेगोडॉन्ट्स (Stegodons) आज से 11.6 मिलियन साल पहले (माया) से लेकर 4,100 साल पहले प्लेइस्टोसिन (Pleistocene) के अंत तक मौजूद थे। इनके जीवाश्म एशियाई और अफ्रीकी देशों में पाए जाते हैं, अर्थात वे एशिया और पूर्वी और मध्य अफ्रीका के बड़े हिस्से में और वालेसिया में तिमोर के रूप में पूर्व में रहते थे। आज के हाथी के सामान ही दिखने वाले स्टेगोडन की सूंड बेहद बड़ी होती थी। एक व्यसक का वजन लगभग 12.7 टन (12.5 लंबा टन; 14.0 छोटा टन) होने का अनुमान लगाया जाता है। आकार में इनकी तुलना आधुनिक हाथियों के की जा सकती है, आधुनिक समय के हाथियों की तरह, स्टीगोडॉन्ट्स अच्छे तैराक भी थे।
2. पैलियोलोक्सोडोन नामाडिकस (Palaeoloxodon namadicus): इन्हे एशियाई सीधे-नुकीले हाथी भी कहा जाता है। यह प्रागैतिहासिक हाथी की एक प्रजाति थी, जिसे पहली बार भारत में खोजा गया, साथ ही यह भारत से लेकर से लेकर जापान तक पूरे प्लेइस्टोसिन (Pleistocene) एशिया में फैला था। इनकी खोपड़ी की संरचना भी आधुनिक हाथी से भिन्न थी। माना जाता है कि पेलिओलोक्सोडोन नेमाडिकस लेट प्लीस्टोसिन (Late Pleistocene) के दौरान विलुप्त हो गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि पर चलने वाला नामाडिकस, धरती के सबसे विशाल स्तनपाई हो सकता है। भारत में वर्ष 1905 में प्राप्त नामाडिकस के आंशिक कंकाल में जांघ की हड्डियां प्राप्त हुई, जिनकी लंबाई संभवतः 165 सेंटीमीटर (5.41 फीट) मापी गई थीं, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की, इस हाथी के कंधे की कुल ऊंचाई 4.5 मीटर (14.8 फीट) रही होगी। कुछ अन्य हड्डियों के आकार के आधार पर इनका वजन 22 से 24.3 टन) होने का अनुमान है।
स्तनपाइयों का गढ़ होने के बावजूद भारत में जानवरों की अनेक ऐसी प्रजातियां हैं, जो पारिस्थितिक विनाश, जलवायु परिवर्तन और अवैध शिकार जैसे कई कारणों से विलुप्ति की कगार पर हैं। ऐसे ही दुर्लभ स्तनपाइयों में से जावन गैंडा (गैंRhinos sondaicus), भी एक है, जिसे सुंडा गैंडा या कम एक सींग वाले गैंडे के रूप में भी जाना जाता है। जावन गैंडा जंगली में लगभग 30-45 साल तक जीवित रह सकता है। यह गैंडे परिवार का एक बहुत ही दुर्लभ सदस्य है, और भारत के पांच मौजूदा गैंडों में से एक है। कुछ वर्ष पूर्व तक जावन गैंडे जावा और सुमात्रा के द्वीपों से लेकर, पूरे दक्षिण पूर्व एशिया और भारत और चीन में फैले हुए थे, किंतु आज यह संभवतः पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ स्तनपायी है। जावन गैंडों की गिरावट का श्रेय मुख्य रूप से उनके सींगों के कारण किये गए अवैध शिकार को दिया जाता है, जिन्हें पारंपरिक चीनी चिकित्सा में अत्यधिक महत्व दिया जाता है, तथा जो ब्लैक मार्केट (black market) में 30,000 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम की कीमत पर मिलता है। जावन गैंडा आमतौर पर इंसानों से बचता है, परंतु दुर्भाग्य से इंसान अपने लालच के कारण इन्हें ढूंढ ही लेता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3mWGGG7
https://bit.ly/3zK0YGa
https://bit.ly/3jD4xsm
https://en.wikipedia.org/wiki/Stegodon
https://en.wikipedia.org/wiki/Javan_rhinoceros

चित्र संदर्भ
1. स्तनधारी जानवरों का एक चित्रण (facebook)
2. भारतीय सिवेट का एक चित्रण (flickr)
3. भारतीय ग्रे नेवले का एक चित्रण (Youtube)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id