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वन अथवा जंगल किसी भी क्षेत्र की पारिस्थितिकी की आधारशिला माने जाते हैं। कोई क्षेत्र जितना
अधिक पेड़ों अथवा वनों से ढका रहेगा, पर्यावरण के स्तर पर वह उतना ही अधिक प्रगतिशील माना
जाएगा। हमारे शहर मेरठ के उष्ण कटिबंधीय वनों मे चीड़ के वृक्ष प्रचुरता से पाए जाते हैं।
दरअसल चीड़ के पेड़ मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय जंगलों में ही पाए जाते हैं, इन जंगलों में वर्षा
अन्य प्रकार के जंगलों की तुलना में काफी कम होती है।
भूटान, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के कुछ हिमालयी क्षेत्रों में चीड़ के उष्ण उष्णकटिबंधीय वन
दूर-दूर तक फैले हैं। भारत में ये जंगल भारतीय राज्यों जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश,
उत्तराखंड और सिक्किम में फैले हैं। विस्तार के साथ ही चीड़ के जंगलों में दुर्लभ जानवरों जैसे तेंदुए
और बाघ, देवदार के पेड़ की कई दुर्लभ किस्में देखी जा सकती हैं। चीड़ के पेड़ों की यह विशेषता होती
हैं, की इनकी छाल चित्तीदार और पैटर्न वाली होती है। इन जंगलों में पाए जाने वाले पक्षियों में
चेस्टनट-ब्रेस्टेड पार्ट्रिज (Chestnut-Breasted Partridge) और चीयर तीतर शामिल हैं, जो यहां
की हरी-भरी घास में छिप जाते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि चीड़ के जंगलों को जलवायु परिवर्तन का कारण भी बताया
जा रहा है, और इन उपोष्णकटिबंधीय चीड़ के जंगलों के बड़े क्षेत्रों का अंधाधुन कटान किया जा रहा
है। साथ ही इन जंगलों में लगातार आग लगने के कारण, चीड़ के जंगल अधिक विकसित नहीं हो
पा रहे हैं।
घनी आबादी वाले क्षेत्र में चीड़ के जंगलों और पेड़ों का इस्तेमाल चराई और ईंधन की लकड़ी के लिए
किया जाता है। हालांकि, चीड़ के जंगल लचीले होते हैं, और काफी मानवीय दबाव को सहन कर
सकते हैं। किंतु इनका अत्यधिक दोहन इन शानदार वनों के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है।
पृथ्वी की सतह के 1/3 भाग विविध प्रकार के जंगलों से ढका हुआ है, जिनमे अनुमानित 3
ट्रिलियन से अधिक पेड़ हैं। जंगल हर प्रकार के वातावरण जैसे शुष्क, गीले, ठंडे और प्रचंड गर्म
जलवायु में भी मौजूद होते हैं।
मोटे-मोटे तौर पर, तीन प्रकार के वन क्षेत्र प्रमुखता से पाए जाते हैं:
उष्णकटिबंधीय वन: उष्णकटिबंधीय वन दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में
भूमध्य रेखा के आसपास उगते हैं। इन जंगलों में तापमान वर्षभर स्थिर ही रहता है, लगभग 27
डिग्री सेल्सियस (60 डिग्री फारेनहाइट)।
उष्णकटिबंधीय जंगलों में आमतौर पर बारिश और शुष्क
मौसम होता है। इन जंगलों में एक वर्ग किलोमीटर (0.6 मील) में पेड़ों की 100 अलग-अलग
प्रजातियां हो सकती हैं। ये पेड़ भारी गर्मी में भी मौसम के अनुकूल हो जाते हैं। चौड़ी पत्ती वाले पेड़,
काई (mosses), फ़र्न (ferns), ताड़ और ऑर्किड(orchids) जैसे पेड़ यहां प्रचुरता से उगते हैं। बंदर,
सांप, मेंढक, छिपकली और छोटे स्तनधारी जानवर इन जंगलों में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
समशीतोष्ण वन (temperate forest): समशीतोष्ण वन आमतौर पर उत्तरी अमेरिका, उत्तरपूर्वी
एशिया और यूरोप में पाए जाते हैं। इन जंगलों का तापमान सामान्य तौर पर, -30 से 30 डिग्री
सेल्सियस (-22 से 86 एफ) तक होता है, और जंगलों में प्रति वर्ष 75-150 सेमी (30-60 इंच) वर्षा
होती है।
इन जंगलों में पाई जाने वाली आम वृक्ष प्रजातियों में ओक (oak,), बीच (beech), मेपल
(maple), एल्म (elm), बर्च (birch), विलो (willow) और हिकॉरी पेड़ (hickory tree) शामिल हैं।
इन पेड़ों की पत्तियों के गिरने से और यहां के तापमान से जंगलों की मिट्टी बेहद उपजाऊ हो जाती
है, जिस कारण प्रति वर्ग किमी में औसतन 3-4 पेड़ की विविध प्रजातियां पाई जाती हैं। जंगल में
रहने वाले सामान्य जानवर गिलहरी, खरगोश, पक्षी, हिरण, भेड़िये, लोमड़ी और भालू हैं। वे सर्दियों
में ठन्डे और गर्मी के गर्म मौसम दोनों के लिए अनुकूलित होते हैं।
समशीतोष्ण पर्णपाती और मिश्रित वन (temperate deciduous and mixed forests):
समशीतोष्ण सदाबहार शंकुधारी वन उत्तर-पश्चिमी अमेरिका, दक्षिण जापान, न्यूजीलैंड और उत्तर-
पश्चिमी यूरोप में पाए जाते हैं। अधिक वर्षा होने के कारण इन वनों को समशीतोष्ण वर्षा वन भी
कहा जाता है।
यहां अधिक वर्षा के साथ पूरे वर्ष तापमान काफी स्थिर रहता है, साथ ही इन जंगलों
के पेड़ भी विशालकाय होते हैं। यहां पाई जाने वाली वृक्षों की आम प्रजातियों में देवदार, सरू और
स्प्रूस (Spruce) शामिल हैं। इन जंगलों में आमतौर पर हिरण, एल्क, भालू, उल्लू और मर्मोट जैसे
जानवर घूमते हुए दिखाई दे जाएंगे।
इन जानवरों की भांति ही मनुष्य भी प्रतिरक्षा के लिए कई पेड़- पौधों पर निर्भर करता है, क्योंकि
पेड़- पौधों के घटक जैसे नट (Nuts), फल, पत्ते और एंटीऑक्सिडेंट (antioxidants) प्राकृतिक रूप
से मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं। यहां तक कि यदि एक दिन के लिए भी कोई
वन में रहता है, तो उसकी प्रतिरक्षा कोशिकाओं में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है।
भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वन उपस्थिति के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत
किया गया है, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में अच्छा वन आवरण , 20-60 प्रतिशत क्षेत्र में
उचित वन आवरण और 20 प्रतिशत से कम क्षेत्र में खराब वन आवरण पाया गया। रिपोर्ट के
अनुसार, 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अच्छा वन आच्छादन था, 12 में उचित वन आवरण था
और 13 में खराब वन क्षेत्र था। हमारे शहर मेरठ का वनावरण (जंगल से ढका क्षेत्र) 2.55% है,
जबकि उत्तर प्रदेश का 6% है,जो भारत के किसी भी राज्य की तुलना में चौथा सबसे कम है।
अनेक वैज्ञानिक शोधों से यह ज्ञात हुआ है कि, जंगल COVID-19 के प्रसार को कम करते हैं। यदि
हम नियमित रूप से 'वन स्नान' (जंगल के वातावरण में लेते हुए) करते हैं, अतिरिक्त वन लगाते हैं,
और वनों की कटाई की दर को कम करते हैं, तो हम COVID-19 जैसी महामारी संबंधी बीमारियों के
खिलाफ खुद को काफी मजबूत कर सकते हैं। इस संदर्भ में हमारे शहर मेरठ में जितने अधिक
जंगल रहेंगे नगरवासियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ही मजबूत रहेगी।
संदर्भ
https://bit.ly/2Wt7XVJ
https://wwf.to/38iqBSo
https://bit.ly/3gAN7e0
https://bit.ly/31X5JLl
https://bit.ly/3jiibRm
https://bit.ly/2Wv86aE
https://bit.ly/3DirMj7
https://bit.ly/3mvKtdg
चित्र संदर्भ
1. मेरठ कैंट का एक चित्रण (flickr)
2. चीड़ के पेड़ों का एक चित्रण (crushpixe)
3. उष्णकटिबंधीय वनों का एक चित्रण (flickr)
4. समशीतोष्ण वनों का एक चित्रण (flickr)
5. समशीतोष्ण पर्णपाती और मिश्रित वनों का एक चित्रण (flickr)
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