Post Viewership from Post Date to 22-Sep-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2626 159 2785

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

चमत्कारी गुणों से युक्त है मौलसरी का पेड़

मेरठ

 23-08-2021 11:26 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

धरती पर ऐसे अनेकों पेड़-पौधे मौजूद हैं, जो अपने आप में चमत्कारी गुणों को धारण किए हुए हैं। मौलसरी वृक्ष भी ऐसे ही पेडों की श्रेणी के अंतर्गत आता है, जिसे भारतीय मेदलर के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है, कि इस पेड़ की उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है। यह पेड़ सबसे पवित्र पेड़ों में से एक माना जाता है जिसे ‘वकुला’ या ‘बकुला’भी कहा जाता है।इसके अलावा यह पेड़ स्पैनिश चेरी (Spanish cherry), मेदलर,बुलेट वुड आदि नामों से भी प्रसिद्ध है।वैज्ञानिक तौर पर मिमुसोप्स एलंगी (Mimusopselengi) के नाम से विख्यात यह पेड़ एक सदाबहार पेड़ है, जिसके फूल मीठी सुगंध वाले होते हैं।
खास बात यह है, कि इसे आमतौर पर हमारे शहर रामपुर में भी देखा जा सकता है। इस पेड़ की खेती उत्तरी और प्रायद्वीपीय भारत और अंडमान द्वीप समूह में की जाती है। भारत के कई हिस्सों में इसे एवेन्यू ट्री (Avenue tree) के रूप में भी उगाया जाता है।इस पेड़ की पत्तियां छोटी चमकदार, मोटी, संकरी, नुकीली तथा सीधी होती हैं, तथा शाखाओं पर फैली रहती हैं। इसकी अंडाकार पत्तियांलगभग 5-16 सेंटीमीटर लंबी तथा 3-7 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं, जो किनारों पर लहराती हुई प्रतीत होती हैं। यह एक बेशकीमती सजावटी नमूना है क्योंकि यह घनी छाया प्रदान करता है।
मार्च से जुलाई के महीनों के दौरान रात की हवा को इस पेड़ के फूल अपनी मादक सुगंध से भर देते हैं। इसके फूल छोटे, तारे के आकार के, पीले-सफेद रंग के होते हैं, जिसमें केंद्र से एक मुकुट जैसी संरचना उभरती है। रात की हवा को अपनी ताजा सुगंध से महकाने के बाद इस पेड़ के फूल सुबह के समय जमीन पर गिर जाते हैं। लोग उन्हें इकट्ठा करना पसंद करते हैं क्योंकि वे गिरने के बाद भी कई दिनों तक अपनी गंध बरकरार रखते हैं। इस पेड़ की लकड़ी मूल्यवान है, फल खाने योग्य है, और इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जाता है। चूंकि पेड़ घनी छाया देते हैं और फूल सुगंध छोड़ते हैं, इसलिए यह बगीचों का एक बेशकीमती संग्रह है। पेड़ की छाल मोटी होती है और गहरे भूरे या काले रंग की दिखाई देती है, जिसमें धारियां और सतह पर कुछ दरारें मौजूद होती हैं। इस पेड़ की ऊंचाई 9-18 मीटर (30-59 फीट) तक हो सकती है, जिसकी परिधि लगभग 1 मीटर तक होती है। मौलसरी पेड़ की खास बात यह है कि इसकी छाल,फूल,फल और बीज का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। आयुर्वेद में इसे शीतलक, कृमिनाशक,ज्वरनाशक आदि माना गया है।इसका उपयोग मौखिक स्वच्छता के उपचार और रखरखाव में किया जाता है। बकुल से बने पानी के घोल से मुंह धोने से दांत मजबूत होते हैं। यह सांसों की दुर्गंध को भी रोकता है।यह मुख्य रूप से दांतों की बीमारियों जैसे मसूड़ों से खून आना, पायरिया, दांतों की सड़न और ढीले दांतों के लिए उपयोग किया जाता है।इसके कोमल भागों का उपयोग टूथ ब्रश के रूप में किया जाता है। मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिए छाल और बीज के आवरण का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग वज्रदंती के नाम से, विभिन्न हर्बल टूथ पाउडर के साथ कई अन्य सामग्री जैसे कत्था आदि तैयार करने में किया जाता है।फल खाने योग्य होते हैं और इसका उपयोग पुराने पेचिश के इलाज के लिए किया जाता है।दांत दर्द के लिए इसकी छाल से बने पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है।महिलाओं में प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए इसके फलों का गूदा खाया जाता है।
इसके अलावा पेड़ की छाल का भी उपयोग किया जाता है।प्रसव में सहायता के लिए भी इसके पके फल को खाने की सलाह दी जाती है।कभी-कभी गर्भपात के लिए भी फलों का उपयोग फायदेमंद माना जाता है।आँखों की कमज़ोरी को दूर करने के लिए इसके पत्तों के रस को दिन में दो बार शहद के साथ लिया जाता है।दस्त के बाद होने वाली कमजोरी के लिए भी इसके फलों का गूदा खाया जाता है।सूखे फूल के चूर्ण को सिर दर्द की स्थिति में सूंघने के लिए उपयोग में लाया जाता है।इसके फलों को कच्चा खाया जाता है और अचार के रूप में भी तैयार किया जाता है। आयुर्वेदिक महत्व के साथ-साथ यह पेड़ सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।इस पेड़ का उल्लेख संस्कृत साहित्य और भारतीय महाकाव्य, रामायण में भी प्राप्त होता है। इस पेड़ के फूलों का विशेष महत्व है,क्यों कि पूरे देश के मंदिरों और तीर्थस्थानों में उन्हें पूजा और अनुष्ठानों में चढ़ाया जाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3kgIcQx
https://bit.ly/3glgFMv
https://bit.ly/3k9AGXz

चित्र संदर्भ
1. मौलसरी के फूलों से माला के निर्माण का एक चित्रण (wikimedia)
2. मौलसरी के पत्तों का एक चित्रण (flickr)
3. मौलसरी के फलों का एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id