Post Viewership from Post Date to 09-Sep-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2178 121 2299

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भूमिहीन कृषि श्रम के सामने हैं अनेकों चुनौतियां

मेरठ

 10-08-2021 08:41 AM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

भूमिहीन कृषि श्रम,कृषि उत्पादन में एक महत्वपूर्ण कारक है। इन मजदूरों की उत्पादकता और कमाई आर्थिक विकास के स्तर का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। देश में भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की संख्या 2001 में 10.67 करोड़ से बढ़कर 2011 में 14.43 करोड़ हुई। क्या आप जानते हैं, कि इस देश में ऐसे कितने लोग हैं, जो उसी भूमि पर खेती करते हैं, जो उनकी अपनी है? 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना के अनुसार, भारत की 51% ग्रामीण आबादी भूमिहीन है। भूमि कार्यकाल की विविधता भी इस सम्बंध में देश में भ्रम उत्पन्न करने का एक स्रोत रही है, जो दोनों पक्षों के बीच तुलना करने से रोकती है।क्योंकि मालिकों और किरायेदारों जैसे शब्दों के अर्थ एक राज्य से दूसरे राज्य में और अक्सर एक ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न होते हैं।
भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे:
1. ये लोग अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि मजदूरी पर ही निर्भर होते हैं।
2. इन्हें न तो संगठित किया जाता है
3. न ही उनके द्वारा किए गए काम के लिए उन्हें पर्याप्त भुगतान किया जाता है।
4. भुगतान कम होने से भूमिहीन कृषकों को भारी ऋणग्रस्तता का सामना भी करना पड़ता है।
5. यह समूह सामाजिक भेदभाव और आर्थिक शोषण का भी शिकार बनते हैं।
6. इनकी रोजगार और काम करने की स्थिति उपयुक्त नहीं है, इसलिए इस वर्ग को समाज में विशिष्ट रूप से कमजोर माना जाता है।
7. भारत में भूमिहीन कृषकों की संख्या बहुत अधिक है, जिनके लिए मजदूरी की कोई समय सीमा भी निर्धारित नहीं की गयी है।
8. इसके अलावा उनके लिए किसी प्रकार की छुट्टी का भी कोई प्रावधान नहीं किया जाता है।
9. उनका रोजगार पूरी तरह से नियोक्ता पर निर्भर है, जो अक्सर उनका अत्यधिक शोषण करते हैं।
10. अनेकों किसान जिनके पास अपनी भूमि होती है, वे अपना स्तर सुधारने के लिए आवाज उठाते हैं, तथा अंदोलन करते हैं, किंतु भूमिहीन कृषक चुपचाप इन संघर्षों का सामना करते हैं. ऐसा इसलिए है, क्यों कि उनके पास कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं होता है।
हालांकि भूमिहीन कृषकों के जीवन को अच्छा बनाने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही है,लेकिन यह समूह अभी भी उस समूह के अंतर्गत आता है, जो गरीब है तथा जिनकी पहुंच संसाधनों तक अत्यधिक सीमित है।
भूमिहीन कृषकों की उत्पादकता और कमाई आर्थिक समृद्धि के स्तर का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है, जिसका प्रमुख कारण यह है, कि देश की कुल उपज उत्पादन में उनकी प्रमुख भूमिका होती है।किसानों की तरह, वे भी विशेष रूप से जमींदारों या अन्य गैर-संस्थागत स्रोतों के ऋणी हैं।भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनता का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों की ग्रामीण निर्धनता को इंगित करता है। आज ग्रामीण क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण हिस्से के पास स्वयं की भूमि नहीं है, जो इनकी आय, सामाजिक सुरक्षा,शिक्षा, स्वास्थ्य आदि को भी प्रभावित करता है। कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण ने पूंजी गहन प्रौद्योगिकी का विस्तार किया है, जिसने रोजगार मूल्य सापेक्षता को कम कर दिया है। परिणामस्वरूप इसका प्रभाव भी भूमिहीन कृषक को ही झेलना पड़ रहा है।
समाज में भूमिहीन कृषकों की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार द्वारा अनेकों प्रयास किये जाते रहे हैं। भूमिहीन कृषकों की स्थिति को सुधारने के लिए भूमिहीन मजदूरों को भूमि उपलब्ध कराना, न्यूनतम मजदूरी निर्धारण,बंधुआ मजदूरी उन्मूलन आदि महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं।भूमिहीन कृषि श्रमिकों की स्थिति सुधारने के लिए यह आवश्यक है, कि उनके पास रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हों, तथा इसके लिए औद्योगिक संपदाओं,छोटे कुटीर उद्योगों, हस्तशिल्प आदि के विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सबसे गरीब भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को कृषि उपकरण उपलब्ध कराकर भी उनकी स्थिति में सुधार किया जा सकता है।इससे उनकी उपकरण जुटाने की आवश्यकता कम हो जाएगी तथा न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि अधिक उपज का भी उत्पादन होगा।जब कोई किसान अपने स्वयं के कृषि उपकरणों का उपयोग करते हैं, तो उनके श्रम की बेहतर गुणवत्ता सामने आती है। उपकरणों के उपयोग से कार्य दिवसों की बढ़ती संख्या पर महत्वपूर्ण संचयी वृद्धि देखने को मिल सकती है। साथ ही खेतिहर मजदूरों को जो लाभ होता है या जो रिटर्न मिलता है उसका उपयोग वे खेती में अपने निवेश को बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं। इसके साथ ही किसान भविष्य में आपात स्थिति के लिए अपनी आय में से कुछ बचत भी कर सकते हैं।
वर्तमान समय में कोरोना महामारी ने भूमिहीन किसानों की समस्याओं को और भी तेज किया है, क्योंकि इस दौरान भूमिहीन किसानों को आय के नुकसान का अत्यधिक सामना करना पड़ा है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि सरकार अपनी योजनाओं को और भी विस्तारित रूप प्रदान करे।

संदर्भ:
https://bit.ly/2U1ehCB
https://bit.ly/37GrunP
https://bit.ly/3yvn6DG
https://bit.ly/3bP1w0X
https://bit.ly/3AgfyFe

चित्र संदर्भ
1. भारतीय महिला किसान का एक चित्रण (flickr)
2. खेतों में काम करते संगठित मजदूरों का एक चित्रण (flickr)
3. ग्रामीण भारत में औसत मासिक घरेलू आय (राज्यवार तुलना) का एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id