आगरा के ताजमहल से भी पुराना मुगल स्मारक है मेरठ का शाहपीर का मकबरा

मेरठ

 15-07-2021 07:50 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

शाहपीर का मकबरा मेरठ के लोकप्रिय स्मारकों में से एक है जिसे उत्तर भारत का सबसे पुराना मकबरा माना जाता है। इसका निर्माण नूरजहाँ जो की जहाँगीर की पत्नी थी, द्वारा हज़रत शाहपीर की स्मृति और सम्मान में किया गया था। दरअसल यह मकबरा शाहपीर रहमत उल्लाह की मजार है । रहमत उल्लाह का जन्म रमजान की पहली तिथि को 978 हिजरी (1557 ई.) में मेरठ के शाहपीर गेट पर हुआ। बेहद सरल और सहज स्वभाव के शाहपीर की लोगों के बीच खासी आस्था थी। उनके ईमान के रास्ते को देखकर आज भी लोग यहां सिर झुकाते नजर आते हैं। उन्होंने लोगों को अपने दीन और ईमान पर चलने की शिक्षा दी।
फिलहाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) विभाग इसका संरक्षण कर रहा है, जो कि मेरठ शहर के पुरातात्विक अवशेषों को संरक्षित करने के प्रयास में से एक है। यह दरगाह 1620 में बनी थी जो ताजमहल से भी काफी पहले की है। शाहपीर मुगल सम्राट जहांगीर के शिक्षक थे, तथा रानी नूरजहां के चिकित्सक और सलाहकार थे।इस मकबरे के अधूरे निर्माण की वजह से गुंबद की छत पूरी नहीं है। स्थानीय लोगों में यह भी कहानियां प्रचलित हैं कि इसमें बरसात का पानी नहीं जाता है।शाहपीर साहब की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध यह मुगल समाधि मेरठ के सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में से एक है। स्थानीय सूफी संत हजरत शाहपीर की याद में इसमें समाधि का निर्माण वर्ष 1628 में नूरजहां द्वारा ही करवाया गया था।माना जाता है कि शाहपीर की दरगाह का निर्माण शाहपीर की मृत्यु के 24 घंटे के भीतर किया गया था। यह मेरठ के सबसे पुराने मकबरों में से एक के रूप में जाना जाता है, और 450 वर्षों की समय की कसौटी पर खरा उतरा है। यह स्मारक लाल बलुआ पत्थर से बना है और जटिल रूप से डिजाइन तथा रूपांकनों से उकेरा गया है। आप जैसे ही मकबरे के पास जाते हैं, तो इसकी सुंदरता आपको अनायास ही अपनी ओर खींच लेती है। मकबरे का स्थापत्य देखने लायक है, इसमें लाल बलुए पत्थर से बनाए गए नक्काशीदार अलंकरण इसे अलग ही शोभा प्रदान करते हैं। इसमें कई जटिल नक्काशीदार डिजाइन (design), रूपांकनों और फूलों के डिजाइन हैं। कई स्तंभ और मेहराब मुख्य मकबरे के करीब स्थित हैं, यह पोर्च (porch) और मेहराब के साथ एक बंद चतुष्कोणीय संरचना है।यह एक उत्कृष्ट स्थापत्य कला है और मुगल कलाकारों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे बेजोड़ हैं।
शाहपीर का मकबरा वर्तमान में पूर्ण रूप से बनी हुई अवस्था में नही है और ना ही यह कभी पूरा हो सका था। इसके पूरा ना होने के पीछे प्रमुख रूप से कई किंवदंतियाँ यहाँ पर फैली हैं। जैसा की इस मकबरे का निर्माण कार्य नूरजहाँ ने शुरू करवाया था तो यह जानना बड़ा विशिष्ट हो जाता है कि आखिर मुगल शासन को क्या कमीं थी जो यह मकबरा पूरा ना हो सका। एक किंवदंति के अनुसार जिस वक्त इस मकबरे का निर्माण करवाया जा रहा था उस वक्त जहाँगीर को युद्ध के लिए कश्मीर जाना पड़ा, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। मकबरे के कुछ हिस्सों का निर्माण बाद के वर्षों में नूरजहाँ ने करवाया। बाद में 1829 में, राजा जी, स्थानीय जागीरदार ने मकबरे के पास गेट बनवाया, जिसे शाहपीर का दरवाजा के नाम से जाना जाने लगा। दरगाह मेरठ के सूरज कुंड इलाके में स्थित है, जिसके करीब अबू मोहम्मद कंबोह (Abu Mohammad Kamboh), सालार मसूद गाजी (Salar Masud Ghazi) और अबू यार खान (Abu Yar Khan) के मकबरे हैं। शाहपीर की दरगाह स्थल पर विशेष दिनों के दौरान लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं। यहाँ हर साल रमजान के महीने में धार्मिक मेला भी लगता है।कुल मिलाकर, यह मुगल समाधि मेरठ के उन पर्यटन स्थलों में से एक है जो आपको शहर के समृद्ध ऐतिहासिक अतीत की झलक दिखाती है।
मकबरे से जुड़ी एक कहानी बेहद प्रचलित है। बताया जाता है कि नूरजहां बादशाह जहांगीर की अत्यधिक शराब पीने की आदत से तंग आ चुकी थीं और हर मजार पर उनके सुधरने की दुआ करती थीं। नूरजहां ने शाहपीर बाबा की दरगाह पर भी यही मन्नत मांगी। कुछ ही दिनों के बाद नूरजहां को जहांगीर के व्यवहार में बदलाव महसूस हुआ। इससे प्रसन्न होकर उन्होंने शाहपीर के लिए इस आलीशान मकबरे को बनवाया। इस मकबरे के छज्जे, जालियाँ, व इसके अपूर्ण गुम्बद के अंदर वाले भाग पर की गयी कलाकृति इस मकबरे के सौन्दर्य को प्रदर्शित करती है। इस मकबरे को बनाने के लिये लाये गये नक्काशीदार पत्थर आज भी यहाँ पर जहाँ तहाँ फैले हुये हैं। मेरठ के इस मकबरे में पहले कई लोग आते थे, परंतु अब शायद ही कोई आगंतुक यहाँ आता हो। चार सदियों से भी पुराना यह शाहपीर का मकबरा जो ताजमहल से भी पुराना है, वर्तमान में पूरी तरह से सरकारी उदासीनता के साथ-साथ सार्वजनिक उपेक्षा का सामना कर रहा है, जहां गुरुवार को मुट्ठी भर आगंतुक आते हैं।

संदर्भ:

https://bit.ly/3xwr2Uh
https://bit.ly/3yQRacJ
https://bit.ly/3yW1X5D
https://bit.ly/35qiqQa
https://bit.ly/3kfOOA3
https://bit.ly/3kdayN0

चित्र संदर्भ
1. मेरठ में स्थित हज़रत शाहपीर के मकबरे का एक चित्रण (facebook)
2. हज़रत शाहपीर के मकबरे पर शानदार वास्तुकला का एक चित्रण (facebook)
3. शाहपीर के मकबरे पर सरकार द्वारा लगाए गए सीमा चिन्ह (Landmark) का का रंगीन चित्रण (prarang)
4. हज़रत शाहपीर के मकबरे पर शानदार वास्तुकला का एक चित्रण (facebook)

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id