उत्तरी अफ्रीकी शुतुरमुर्ग (African ostrich) सबसे बड़ा और सबसे मजबूत जीवित पक्षी है, जिसे वैज्ञानिक तौर पर स्ट्रुथियो कैमलस (Struthio camelus) कहा जाता है। नर शुतुरमुर्ग की लंबाई 9 फीट तथा वजन 345 पाउंड तक हो सकता है, और जब ये पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं, तो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली किसी भी अन्य जानवर की तुलना में सबसे उन्नत हो जाती है। दक्षिण अफ्रीका ऐसा पहला देश था, जिसने शुतुरमुर्ग उत्पादों की व्यावसायिक क्षमता को देखा। इस जीव को न केवल उनके बड़े नरम सफेद पंखों और उनके मांस के लिए बल्कि उनकी खाल के लिए भी मूल्यवान माना जाता है, जो दुनिया में सबसे मजबूत व्यावसायिक रूप से उपलब्ध चमड़े में बने हैं। माना जाता है, कि शुतुरमुर्ग का उत्पादन करू (Karoo) और पूर्वी केप (Cape) में 1863 में शुरू हुआ था। 1910 तक देश में 20,000 से भी अधिक पालतू शुतुरमुर्ग थे, और 1913 तक इनके पंख दक्षिण अफ्रीका के उन चार उत्पादों में शामिल हो गए थे, जो निर्यात की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण थे। इसके तुरंत बाद इनकी मांग कम होने लगी, लेकिन 1920 के दशक में शुतुरमुर्ग का फिर से उद्धार हुआ, जब किसानों ने व्यावसायिक रूप से बिल्टोंग (Biltong - शुतुरमुर्ग के मांस की सूखी पट्टियाँ) का उत्पादन शुरू किया। शुतुरमुर्ग फैशन की दुनिया में भी लोकप्रिय हैं। 18 वीं शताब्दी में, महिलाओं के फैशन में शुतुरमुर्ग के पंख इतने लोकप्रिय थे, कि वे पूरे उत्तरी अफ्रीका से गायब हो गए थे। अगर 1838 में शुतुरमुर्ग का उत्पादन नहीं किया जाता तो शायद दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी विलुप्त हो जाता। आज, शुतुरमुर्ग का उत्पादन और इनका शिकार उनके पंखों, त्वचा, मांस, अंडे और वसा के लिए किया जाता है। सोमालिया (Somalia) में यह माना जाता है, कि इनसे प्राप्त वसा एड्स और मधुमेह को ठीक करने में उपयोगी है। वर्तमान समय में जैसे-जैसे मानव आबादी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे शुतुरमुर्ग को आवास का नुकसान होता जा रहा है। मानव उन क्षेत्रों में फैलते जा रहे हैं, जहां वन्यजीव कभी स्वतंत्र रूप से घूमते थे। बस्तियों और सड़कों का निर्माण तथा कृषि क्षेत्र का विस्तार उनके आवास को नुकसान पहुंचा रहा है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3wzDlhc
https://bit.ly/3wueknx
https://bit.ly/3hXHfLA