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हाल ही में मेरठ में नए संग्रहालयों के रूप में 1000 करोड़ रुपये से अधिक के दो बड़े निवेशों की घोषणा
की गई है।एक निवेश 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के लिए है, जबकि दूसरा हमारे जिले में महाभारत
की विरासत को प्रदर्शित करने हेतु हस्तिनापुर के लिए। इन निवेशों के माध्यम से युवाओं को अद्वितीय
स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय की ओर आकर्षित करने तथा उन्हें स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्षों की
जानकारी देने में मदद करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के अभिलेखागार में उन सभी दस्तावेजों की
प्रतियां लाने की योजना बनाई गई है, जो 1857 के विद्रोह से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक हुए स्वतंत्रता
आंदोलनों से संबंधित हैं। इसी प्रकार से प्रसिद्ध हस्तिनापुर के इतिहास को फिर से जीवंत करने, लोगों
का ध्यान इसकी तरफ खींचने, तथा एक ही परिसर में आसपास के कई छोटे ऐतिहासिक स्थानों को
एकीकृत करने के उद्देश्य से एक बड़ा निवेश हस्तिनापुर में भी किया गया है।
लेकिन जैसे कि कोरोना के बाद दुनिया के प्रमुख संग्रहालय अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए
संघर्ष कर रहे हैं, उस स्थिति में मेरठ के समक्ष दो प्रमुख प्रश्न विचारणीय हैं। पहला प्रश्न यह है, कि
मेरठ संग्रहालय और विरासत स्थल में यह नया निवेश कैसे आर्थिक विकास और मेरठ के नागरिकों में
विरासत हित को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा तथा दूसरा प्रश्न यह है, कि इस बड़े निवेश का कितना
हिस्सा मेरठ क्षेत्र के कला, ऐतिहासिक अनुसंधान और पुरातत्व पेशेवरों के लिए नौकरियों में तब्दील होगा,
50 नौकरियां या 500 नौकरियां या फिर 5000 नौकरियां, आखिर कितनी नौकरियां यह निवेश उत्पन्न
करने में सक्षम होगा? यह दोनों प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से इस तरह के निवेशों
ने आम तौर पर केवल मौजूदा सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहतर कार्यालय या बुनियादी ढांचे के निर्माण
की सुविधा उपलब्ध कराई है, और निजी निर्माण ठेकेदार और आईटी हार्डवेयर या इलेक्ट्रॉनिक सेल्स
कंपनियों के लिए अधिक आय का सृजन किया है। ऐसे कई उदाहरण है, जहां कला के उत्थान के लिए
बड़े-बड़े निवेश किए जाते हैं, किंतु वास्तव में इनके पीछे जो उद्देश्य निर्धारित किए जाते हैं, वे कभी पूरे
ही नहीं हो पाते।
सांस्कृतिक उत्थान के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था का विकास भी जुड़ा होता है, लेकिन इन निवेशों के
माध्यम से स्थानीय जनता केवल सांस्कृतिक लाभों को महसूस करती है, उदाहरण के लिए उनके पास
केवल नए संग्रहालयों तक पहुंच होती है, लेकिन जो अन्य लाभ उन्हें प्राप्त होने चाहिए थे,वे नहीं हो
पाते। दुनिया भर में ऐसे अनेकों संग्रहालय हैं, जिनकी इमारतों को आकर्षक बनाने के लिए उस पर एक
बड़ी रकम खर्च की जाती है, किंतु उनमें ऐसा कुछ मौजूद नहीं होता, जो उन्हें प्रासंगिक बनाए रखे।भारत
में लगभग हर जगह ऐसे उबाऊ संग्रहालय पहले से ही मौजूद हैं, जहां कम ही लोग जाया करते हैं। एक
साल में हमारे अधिकांश सरकारी संग्रहालयों का दौरा करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। इससे
अधिक संख्या डिजिटल माध्यमों जैसे ब्लॉग, वेबसाइट और FB पेज (हमारे अपने प्रारंग FB पेज सहित)
को प्रतिदिन फॉलो करने वाले लोगों की होती है। वैसे भी सरकार ने इन बड़े बजटों में दिलचस्प प्राचीन
वस्तुओं और कला को खरीदने और प्राप्त करने के लिए कोई पैसा शामिल नहीं किया है। यदि वे सभी
केवल पोस्टर और प्रतिकृतियां दिखाना चाहते हैं, तो क्या नए भवन आदि बनाने में सैकड़ों करोड़ का
निवेश करने का कोई औचित्य है?
वर्तमान समय में कोरोना महामारी विश्व व्यापक है, तथा ऐसे समय में लोग संग्रहालयों का दौरा करना
कम ही पसंद कर रहे हैं। यदि लोगों को पोस्टर और प्रतिकृतियां दिखानी हैं, तो इसके लिए केवल एक
नए FB पेज और डिजिटल संग्रहालय का उपयोग भी किया जा सकता है? दुनिया के कई बड़े संग्रहालय
कोरोना के बाद संग्रहालयों को डिजिटल रूप प्रदान करने पर विचार कर रहे हैं। उदाहरण के लिए स्पेन
(Spain) में बिलबाओ (Bilbao) जैसे कई अंतरराष्ट्रीय संग्रहालयों को कोरोना के बाद डिजिटल बनाम ईंटों
से बने संग्रहालयों पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है।
हमारे समाज में संस्कृति और संग्रहालयों की भूमिका पहले से ही तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रही
है। दर्शकों को उनके घरों तक सीमित रखने के लिए अब डिजिटल सामग्री आवश्यक है। कम आगंतुकों
की संख्या, संग्रहालय में सामाजिक दूरी, और कर्मचारियों और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की
चुनौतियों का मतलब है कि संस्कृति का अनुभव मौलिक रूप से बदल जाएगा। इन अप्रत्याशित समयों में
सभी स्तरों पर त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।
विश्व स्तर पर, सांस्कृतिक प्रमुख इस समय सूचना और ज्ञान साझा करने के लिए एक साथ काम कर
रहे हैं और अभी हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनके बावजूद भी समुदाय, समर्थन और
सहयोग की वास्तविक भावना है। न्यूयॉर्क (New York) में, छोटे समूहों और बहुत बड़े गठबंधनों की
नियमित बैठकें होती हैं। जानकारी एकत्र करने और साझा करने के लिए सांस्कृतिक संगठनों के 200 से
अधिक लोग प्रतिदिन मिलते हैं।संस्थानों को बचाए रखने और स्थानीय और वैश्विक स्तर पर अपने
समुदायों को प्रेरित करने के लिए नए तरीके खोजे जा रहे हैं। हमें भविष्य के लिए ऐसे संग्रहालयों की
आवश्यकता है, जो कलाकारों, शिक्षकों और हमारे समुदायों का समर्थन करने के लिए रणनीति विकसित
करने में मदद करे। हमें ऐसे संग्रहालयों की आवश्यकता है, जो लोगों को कला के साथ जुड़ने में मदद
करने के साथ रोजगार का सृजन भी करे। दुनिया भर में ऐसे कई संग्रहालय हैं, जहां काम करना आपके
लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है, बस इसके लिए आपके पास सम्बंधित कौशलया डिग्री का होना
आवश्यक है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3hlub3x
https://bbc.in/36fxOBM
https://bit.ly/3k3xdeP
https://bit.ly/3qT3Ltm
चित्र संदर्भ
1. मेहरानगढ़ किला संग्रहालय में प्राचीन तलवारों का एक चित्रण (flickr)
2. ब्रिटिश संग्रहालय का एक चित्रण (wikimedia)
3. प्रारंग के फेसबुक पेज का एक चित्रण (facebook)