हमारे जीवन के हर पहलू से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है गणित

मेरठ

 01-07-2021 10:54 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

मानव जीवन में गणित एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह हमारे जीवन के हर एक पहलू से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है। गणित एक ऐसा विषय है जिसका ना कोई आदि है और न ही कोई अंत। गणित को मूल रूप से शुद्ध गणित और अनुप्रयुक्त गणित के रूप में दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।शुद्ध गणित, गणित की एक ऐसी धारणा है जो अध्ययन में किसी भी अन्य धारणाओं का प्रयोग सर्वथा नहीं करता है। यह बुनियादी गणितीय सिद्धांतों के माध्यम से तार्किक परिणामों को समझने का कार्य करता है।शुद्ध गणित प्रतिमान, पहेली और अमूर्तता के बारे में है।यह उन विचारों के बारे में है जो उन प्रारंभिक लोगों को पहले, बाद में, या सर्वप्रथम आते हैं। यह इस प्रश्‍न को ढूंढता है “यदि यह सच है तो और क्‍या सच है”? यह किसी भी विषय का गहनता से अध्‍ययन करता है।ये मानव ज्ञान की सीमाओं को अंकित करते हैं। ये अन्य शुद्ध विज्ञानों में दार्शनिकों, कलाकारों और शोधकर्ताओं से अलग नहीं हैं। वहीं अनुप्रयुक्त गणितज्ञ गणित की वास्तविक दुनिया के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इंजीनियरिंग (Engineering), अर्थशास्त्र, भौतिकी, वित्त, जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान - इन सभी क्षेत्रों में प्रश्नों का उत्तर देने और समस्याओं को हल करने के लिए मात्रात्मक तकनीकों की आवश्यकता होती है। शुद्ध गणित स्वयं गणित में उपजी उन समस्याओं का हल ढूंढता है, जिनका अन्य क्षेत्रों से सीधा संबंध नहीं होता है।
कई बार समय के साथ-साथ शुद्ध गणित के अनुप्रयोग मिलते जाते हैं और इस प्रकार उसका कुछ हिस्सा प्रायोगिक गणित में आ जाता है। शुद्ध गणित के अंतर्गत, बीजगणित, ज्यामिति और संख्या सिद्धांत आदि आते हैं। शुद्ध गणित का विकास 20वीं शताब्दी में बहुत अधिक हुआ और इसके विकास में 1900 में डेविड हिल्बर्ट (David Hilbert) के द्वारा पेरिस (Paris) में दिये गये व्याख्यान का बहुत योगदान रहा। वहीं शुद्ध गणित यूनानी (Greek)सभ्‍यता से ही अस्तित्‍व में है। शुद्ध गणित और अनुप्रयुक्त गणित के मध्‍य अंतर सर्वप्रथम यूनानी गणितज्ञों द्वारा ही किया गया था। प्लेटो (Plato) ने "अंकगणित", जिसे अब संख्‍या सिद्धांत कहा जाता है, और "तार्किक”, जिसे अब अंकगणित कहा जाता है, के बीच अंतर समझाने में मदद की थी। प्लेटो ने अंकगणित को व्यापारियों और योद्धाओं के लिए उपयुक्त माना और अंकगणित (संख्या सिद्धांत) को दार्शनिकों के लिए उपयुक्त माना। 19वीं शताब्दी के मध्य में सैडलीरियन चेयर (Sadleirian Chair) के पूर्ण शीर्षक में शुद्ध गणित के सेडलेइरियन प्राध्यापक को शामिल किया गया। संभवत: यहीं से शुद्ध गणित के सिद्धांत की स्‍वतंत्र रूप में शुरूआत हुई। गॉस (Gauss - जर्मन गणितज्ञ और वैज्ञानिक) के काल के दौरान तक शुद्ध एवं व्‍यवहारिक गणित के मध्‍य कोई विशेष अंतर नहीं था। आगे चलकर विशेषज्ञों ने इनके मध्‍य अंतर निकालना शुरू किया। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में गणितज्ञों ने स्वयं सिद्ध पद्धति अपनाई। ब्रिटिश (British) गणितज्ञ, दार्शनिक और इतिहासकार बर्ट्रेंडरसेल (Bertrand Russell) द्वारा मात्रात्मक संरचना के संदर्भ में सुझाए गए शुद्ध गणित के तार्किक सूत्र अधिक लोकप्रिय हुए क्‍योंकि इसमें गणित के बड़े हिस्से स्वयंसिद्ध हो गए और इस तरह परिशुद्ध प्रमाण सरल मानदंड के अंतर्गत आ गए। शुद्ध गणित में बोर्बकी(Bourbaki) समूह के लिए वही उत्‍तरदायी होता है, जो सिद्ध होता है। शुद्ध गणितज्ञ एक मान्यता प्राप्त व्यवसाय बन गया था, जिसे प्रशिक्षण के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता था। इसके गुणों को देखते हुए इसे इंजनियरिंग (Engineering) शिक्षा के लिए उपयोगी माना गया। सामान्य इंजीनियरिंग समस्याओं के बारे में विचार, दृष्टिकोण, और बौद्धिक समझ एक प्रशिक्षण है, जो केवल उच्च गणित का अध्ययन कर सकता है।
आज के कंप्यूटर शुद्ध गणित की ही देन हैं, यह एक जटिल विषय है जो कि अत्यधिक दिमाग के साथ समय लेता है परन्तु इसका कभी न कभी किसी न किसी प्रकार के यंत्र बनाने में मदद ली जा सकती है।शुद्ध गणित में प्रमुख केंद्रीय अवधारणा सामान्‍यता का सिद्धान्‍त है; शुद्ध गणित अक्सर बढ़ी हुई व्यापकता की ओर रुझान प्रदर्शित करता है। सामान्‍यता के उपयोग और लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं:
1) प्रमेयों या गणितीय संरचनाओं को सामान्य बनाने से मूल प्रमेयों या संरचनाओं की गहरी समझ हो सकती है।
2) सामान्यता सामग्री की प्रस्तुति को सरल बना सकता है, जिसके परिणामस्वरूप छोटे प्रमाण या तर्क दिए जाते हैं, जिनका पालन करना आसान होता है।
3) दोहरे प्रयास से बचने के लिए व्यक्ति सामान्यता का उपयोग कर सकता है, भिन्‍न-भिन्‍न स्थितियों को स्वतंत्र रूप से सिद्ध करने के बजाय सामान्य परिणाम सिद्ध किया जा सकता है, या गणित के अन्य क्षेत्रों से परिणामों का उपयोग किया जा सकता है।
4) सामान्यता गणित की विभिन्न शाखाओं के बीच संयोजन की सुविधा प्रदान कर सकती है।
श्रेणी सिद्धांत गणित का एक क्षेत्र है जो संरचना की इस समानता की खोज के लिए समर्पित है क्योंकि यह गणित के कुछ क्षेत्रों में ही कार्य करता है। आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां डेटा विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और यंत्र अधिगम कौशल के लिए भारत आ रही हैं।लेकिन प्रसिद्ध गणितज्ञों का मानना है कि देश को स्‍वयं और दुनिया दोनों के लिए वास्तव में परिवर्तनात्‍मक और ठोस समाधान बनाने में सक्षम होने के लिए अपनी गणित क्षमताओं में सुधार करने की आवश्यकता है।गणित के बिना, कोई भी कार्य केवल प्रयोगात्मक हो सकता है, यह कभी-कभी काम कर सकता है और कभी-कभी नहीं भी। केवल गणित आपको बताएगी कि यह किन परिस्थितियों में काम करेगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और यंत्र अधिगम इतने सरल और सस्ते हो गए हैं कि इनका उपयोग आज हर क्षेत्र में किया जा रहा है। चिकित्‍सीय क्षेत्रों में सुधार करने के लिए अत्यधिक प्रभावी चैटबॉट और वॉयसबॉट (Chatbot and Voicebot) बनाने की आवश्‍यकता है, जिससे स्‍वास्‍थ्‍य बीमा से संबंधित संपूर्ण प्रक्रिया को स्‍वाचालित किया जा सके और इसके लिए गणित की महत्‍वपूर्ण भूमिका रहेगी। हालांकि इस विषय में गणितज्ञों ने कई तर्क दिए हैं। वहीं इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर व्याप्त हैं जिसमें शुद्ध गणित भी शामिल है। गणितीय अध्ययन और शुद्ध गणित के लिए कई ऐसे रास्ते हैं जो बेहतर रोजगार मुहैया कराने में मदद करते हैं।भारत में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटलरिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research (TIFR)), इंटरनेशनल सेंटर फॉरथियोरेटिकलसाइंसेज (International Centre for Theoretical Sciences (ICTS)), भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute (ISI)) जैसे कुछ शानदार शोध संस्थान हैं। लेकिन ये उत्कृष्टता के छोटे समूह हैं। बाकी भारत के अन्‍य शिक्षण क्षेत्र, राज्य विश्वविद्यालय में कोई शोध नहीं किए जा रहे हैं। हालांकि भारत अब इस क्षेत्र में सुधार करने की ओर अग्रसर हो रहा है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3y6ph00
https://bit.ly/3h0s8ls
https://bit.ly/3jofbDB
https://bit.ly/3hlcdNg

चित्र संदर्भ
1. दैनिक जीवन में गणितीय उपयोग को दर्शाता एक चित्रण (cuemath)
2. सभी गणित को एक पोस्टर में संक्षेपित किया गया जिसका एक चित्रण (flickr)
3.यूक्लिड के तत्वों (सी। 300 ईसा पूर्व) से एक प्रमाण, जिसे व्यापक रूप से अब तक की सबसे प्रभावशाली पाठ्यपुस्तक माना जाता है जिसका एक चित्रण (wikimedia)

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id