पृथ्वी पर विनाश से पहले उल्कापिंड का पता लगाया जा सकता है?

मेरठ

 29-06-2021 09:18 AM
खनिज

66 लाख साल पहले, डायनासोर (dinosaur) के जीवन पर एक विनाशकारी क्षुद्रग्रह प्रभाव के साथ एक प्रलय आयी और एक शासन जो 180 मिलियन वर्षों तक चला था, अचानक समाप्त हो गया था। 1980 में, लुइस वाल्टर अल्वारेज़ (Luis Walter Alvarez ), एक नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी, आविष्कारक और उनके बेटे, प्रसिद्ध भूविज्ञानी वाल्टर, इटली में अनुसंधान कर रहे थे जब उन्होंने इरिडियम-समृद्ध मिट्टी (iridium-rich clay) की मोटी परत की खोज की। इरिडियम पृथ्वी पर दुर्लभ है, लेकिन अंतरिक्ष में अधिक आम है। अल्वारेज ने अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए, जिसमें कहा गया कि इरिडियम की पतली परत पृथ्वी के साथ एक बड़े उल्का, धूमकेतु या क्षुद्रग्रह के प्रभाव के बाद जमा हूई थी। इसके बाद आसपास के क्षेत्र में तबाही और क्षुद्रग्रह (asteroid) के व्यापक माध्यमिक प्रभावों को डायनासोर के अचानक मरने का कारण माना जाने गया।अल्वारेज़ परिकल्पना शुरू में विवादास्पद थी, लेकिन अब यह मेसोज़ोइक युग (Mesozoic Era) के अंत में हुये विनाश के लिए सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत सिद्धांत है। इसी सिद्धांत द्वारा मैक्सिको (Mexico) की खाड़ी में फैले युकाटन प्रायद्वीप (Yucatán Peninsula) के किनारे पर 150 किमी व्यास और गहराई क़रीब 20 किमी का एक विशाल उल्का पिंड खोजा गया था “चिकशुलूब क्रेटर (Chicxulub crater)”। इस क्रेटर की 66 लाख वर्षों की अनुमानित आयु ठीक उस समय से मिलती है जब क्रीटेशस काल (Cretaceous Period) ख़त्म हुआ और पैलियोजीन काल (Paleogene Period) शुरू हुआ। यह के-पीजी सीमा (K–Pg boundary) से भी मेल खाता है जो क्रीटेशस कल्प और पैलियोजीन कल्प की भुविज्ञानिक सीमा है। इन सुराग़ों के कारण चिकशुलूब क्रेटर को क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति घटना से सम्बन्धित माना जाता है जिसमें विश्व भर के डायनासोर मारे गये और पृथ्वी की उस समय की लगभग 75% वनस्पति व जानवर जातियां हमेशा के लिये विलुप्त हो गई।
कहा जाता है कि क्षुद्रग्रह उच्च वेग से टकराया और प्रभावी रूप से वाष्पीकृत हो गया।इसने धरती पर जोरदार धमाका किया और कई गुना अधिक ऊर्जा छोड़ी। इसकी गर्मी ने पृथ्वी की सतह को तोड़ दिया होगा, दुनिया भर में जंगल की आग को प्रज्वलित किया और वातावरण को धूल और राख के मलबे से अंधेरे में डुबो दिया। इसके टकराव से मीलों-ऊँची सुनामी ने जीवन के कई रूपों को नष्ट कर दिया और भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट को शुरू कर दिया। इसका सीधा प्रभाव पृथ्वी की वनस्पतियों व जानवरों पर दिखाई दिया और 75% जीवन हमेशा के लिये विलुप्त हो गया। उपरोक्त विवरण से तो आप समझ ही गये होंगे कि ये उल्का पिंड मानव सभ्यता के किये कितने विनाशकारी हो सकते हैं। क्षुद्रग्रह हमले मानव जाति के लिए सबसे बड़े अस्तित्वगत खतरों में से एक हैं तथा ये अंतरिक्ष की निरंतर निगरानी के महत्व को रेखांकित करते हैं। हाल ही में एक खगोलविद ने विशेष रूप से खुलासा किया है कि अंतरिक्ष चट्टानों को कैसे ट्रैक (track) किया जाता है। कभी-कभी पृथ्वी के बेहद करीब से होकर क्षुद्रग्रह गुजरते हैं। ऐसे में कई बार पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरने की वजह से धरती से टकराने का खतरा बढ़ जाता है। ये पिंड ग्रहों की तरह ही सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जैसा कि वे अरबों वर्षों से करते आ रहे हैं, लेकिन ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के पास से गुजरने के कारण ये उनकी कक्षाओं में प्रवेश कर जाते है। ज्यादातर आकार में छोटे होने के कारण ये हमारी पृथ्वी पर पहुंचने से पहले ही नष्ट हो जाते है।परंतु कई बार पृथ्वी के करीब से गुजरने के कारण इनसे अच्छा खासा नुकसान भी संभव है। ऐसा टकराव भारी तबाही ला सकता है। ऐसी किसी तबाही से बचाने के लिए दुनिया के कई वैज्ञानिक जुटे हुए हैं, वे किसी क्षुद्रग्रह के धरती से टकराने का पूर्वानुमान लगाकर, उससे निपटने के उपाय तलाश रहे हैं। नासा के पृथ्वी-निकट वस्तु अवलोकन कार्यक्रम (Near Earth Object Observations- NEOO) को पृथ्वी के निकट स्थित वस्तुओं को खोजने, उनका पीछा करने और उन्हें चिह्नित करने का कार्य सौंपा गया है। यह उन वस्तुओं की पहचान भी करता है जो पृथ्वी के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। ग्राउंड-आधारित टेलीस्कोप (Ground- based telescope) और नासा के नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट वाइड-फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर (Near-Earth Object Wide-field Infrared Survey Explorer–NEOWISE) अंतरिक्ष यान पृथ्वी के निकट स्थित वस्तुओं को खोजने के वर्तमान साधन हैं।
वित्त वर्ष 2013 में NEO के अवलोकन कार्यक्रम ने संचालित की जा रही 41 परियोजनाओं का समर्थन किया, जिसमें 5 खोज और ट्रैकिंग (Tracking) अभियान,10 अनुवर्ती सर्वेक्षण, 9 विशेषीकरण लक्षण वर्णन प्रयास, 3 रडार (Radar) परियोजनाएं, 4 डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) और प्रबंधन परियोजनाएं, 6 प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाएं, और 4 प्रभाव शमन के लिए तकनीकों का अध्ययन शामिल हैं।नासा के NEO ऑब्जर्वेशन प्रोग्राम ने 1998 में गंभीरता से खोज शुरू की, जब केवल लगभग 500 निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रह पहले से ही ज्ञात थे। 2010 तक, नासा और उसके सहयोगियों ने अनुमानित 1,000 निकट- पृथ्वी क्षुद्रग्रहों में से 90 प्रतिशत से अधिक की पहचान की थी जो एक किलोमीटर या उससे बड़े हैं।नासा के खोज कार्यक्रम अभी भी हर साल इनमें से कुछ बड़े क्षुद्रग्रहों को ढूंढ रहे हैं, और खगोलविदों को लगता है कि अभी भी कुछ दर्जन खोजे जाने बाकी हैं। नासा के प्रयासों के कारण, एक अज्ञात बड़े क्षुद्रग्रह के अचानक, अप्रत्याशित प्रभाव के 90% जोखिम को समाप्त कर दिया गया है। नासा (NASA) के अनुसार, पृथ्वी के निकट क्षुद्रग्रहों की संख्या पिछले साल की तुलना में 22,000 से भी अधिक है और हर हफ्ते औसतन 30 नई अंतरिक्ष चट्टान खोजों के साथ, महत्वपूर्ण रूप से घातक क्षुद्रग्रहों का पता लगाने का महत्व बढ़ रहा है।परिणामस्वरूप नासा वर्षों से क्षुद्रग्रह हमलों से पृथ्वी की रक्षा के लिए तैयार है। क्षुद्रग्रह और धूमकेतु प्रभाव बहुत कम होते हैं लेकिन कई बड़ी वस्तुएं भी हैं, जो पृथ्वी से टकराने की क्षमता रखते हैं किंतु इस तरह के प्रभाव कुछ हजार वर्षों में होते हैं, इसलिए आमतौर पर हमें इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन समस्या यह है कि यह एक सांख्यिकीय घटना है और वास्तव में बहुत अधिक चेतावनी के बिना किसी भी समय हो सकती है।नासा के कुछ वैज्ञानिकों ने कुछ क्षुद्रग्रहों के अब से कुछ साल बाद पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई है और इनकी पहचान 101955 बेन्नु (BENNU) (वर्ष 2182 में टकराने की संभावना, इसका व्यास 560 मी. है), 2014 जो25 (JO25) (वर्ष 2027 में टकराने की संभावना, इसका व्यास 650 मी. है), 2014 AG5 (वर्ष 2040 में टकराने की संभावना, इसका व्यास 140 मी. है), 99942 एपोफिस (APOPHIS) (वर्ष 2068 में टकराने की संभावना, इसका व्यास 370 मी. है) के रूप में की गई है। अनुमान है कि यदि ये सारे क्षुद्रग्रह अपनी वर्तमान गति के साथ आगे बढ़ते रहते हैं तो यह सफलतापूर्वक वायुमंडल में प्रवेश कर सकते हैं और एक बड़ी तबाही मचा सकते हैं। नासा यह सब एक विशेष सॉफ़्टवेयर (Software) की मदद से करता है, जो गतिमान वस्तुओं का पता लगाते हैं। नासा पृथ्वी के साथ टकराने की सम्भावना रखने वाले क्षुद्रग्रहों का पता लगाने में सक्षम एक अवरक्त दूरबीन (Infrared telescope) को लॉन्च (Launch) करने की योजना बना रहा है। पृथ्वी से टकराने में सक्षम अंतरिक्ष की गतिशील वस्तुओं को पहचानने और उनका पीछा करने के लिए नासा ने ग्रह रक्षा कार्यक्रम (Planetary Defense Program) संचालित किया है।जब क्षुद्रग्रह खोज लिया जाता है उसके बाद संस्था इसकी कक्षा, प्रक्षेप पथ, आकार, आकृति, द्रव्यमान, रचना, घूर्णी गतिकी और अन्य मापदंडों को निर्धारित करती है। यह विशेषज्ञों को संभावित घटना के प्रभाव की गंभीरता को निर्धारित करने, इसके समय और संभावित प्रभावों की चेतावनी देने और प्रभाव को कम करने के साधनों की गणना करने की अनुमति देता है। इसके माध्यम से ऐसे क्षुद्रग्रह जिन्हें रोका नहीं जा सकता उनके प्रभावों को कम करने का प्रयास किया जाता है या उनके मार्ग को बाधित किया जाता है। पृथ्वी-निकट वस्तु अवलोकन कार्यक्रम द्वारा समर्थित अन्य खगोलविद अतिरिक्त माप हेतु खोजों का पालन करने के लिए दूरबीनों का उपयोग करते हैं। ये सभी पर्यवेक्षक अपने माप को माइनर प्लेनेट सेंटर (Minor Planet Center) में भेजते हैं, जहां इन आंकड़ों का उपयोग सभी ज्ञात पृथ्वी के निकट स्थित वस्तुओं के लिए उच्च-सटीक कक्षाओं की गणना करने और इस सम्बंध में भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। नासा और उसके साथी एक खतरनाक क्षुद्रग्रह को विक्षेपित करने के लिए कई अलग-अलग तरीकों का अध्ययन कर रहे हैं। इन तकनीकों में से सबसे उन्नत को गतिज उल्का (Kinetic Impactor) कहा जाता है और इस तकनीक को प्रदर्शित करने के लिए संचालित किया गया मिशन डबल-क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन परीक्षण (DART) के नाम से जाना जाता है, इसे 2021 में लॉन्च करने की तैयारी है।
हेरा अंतरिक्ष मिशन (Hera Space Mission), डबल क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन परीक्षण, उल्का के क्षुद्रग्रह के साथ टक्कर के प्रभाव का विश्लेषण करेगा। यह पहली बार है जब किसी क्षुद्रग्रह के विक्षेपण का प्रयास किया गया है। इसका उद्देश्य पृथ्वी को प्रभावित करने वाले क्षुद्रग्रह के जोखिम को पहचानना है। अपने वर्तमान व्यवस्था विन्यास में, परियोजना अमेरिका द्वारा डिज़ाइन किए गए DART उल्का और हेरा ऑर्बिटर (Orbiter) को जोड़ती है, जो टकराव के बाद क्षुद्रग्रह के विक्षेपण को मापेगा। इस प्रोजेक्ट का विचार पहली बार 2004 में उभरा, जब यूरोपीय स्पेस एजेंसी या ईएसए (ESA) ने छह वैज्ञानिकों के एक समूह से कहा, पृथ्वी को प्रभावित करने वाले क्षुद्रग्रह के जोखिम को संबोधित करने के उद्देश्य से मिशनों की एक श्रृंखला की योजना बनाये। मिशन, जिसमें नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) शामिल हैं, को क्षुद्रग्रह प्रभाव विक्षेपण आकलन (AIDA) के रूप में जाना जाता है। परियोजना का उद्देश्य एक अंतरिक्ष यान द्वारा एक प्रभाव के माध्यम से ग्रह की रक्षा करना है। यह मिशन क्षुद्रग्रह के द्रव्यमान और आकार जैसे मापों को प्राप्त करते हुए, बाद के प्रभाव के क्षुद्रग्रह का एक करीबी सर्वेक्षण करेगा। DART का लक्ष्य डिडिमोस बी (Didymos B) नामक एक बड़े क्षुद्रग्रह का चंद्रमा है। कार के आकार का DART अंतरिक्ष यान 13,000 मील प्रति घंटे की गति से फुटबॉल-स्टेडियम (Football stadium) के आकार के डिडिमोस B से टकरायेगा। इससे न केवल लक्ष्यीकरण प्रणाली की मजबूती की पुष्टि होगी बल्कि यह भी पता चलेगा कि टक्कर डिडिमोस के आसपास क्षुद्रग्रह चंद्रमा की कक्षा को कितना बदल देगी। वैज्ञानिक भूमी से B की कक्षा को निर्धारित करेंगे और DART टक्कर के बाद कक्षा को फिर से मापेंगे। इससे हमें पता चलेगा कि गतिज उल्का सूर्य के चारों ओर एक क्षुद्रग्रह का मार्ग कितना बदल सकता है। यदि एक संभावित प्रभाव से पहले खतरनाक क्षुद्रग्रह एक दशक या उससे अधिक के समय में पाया जाता है, तो यह समय क्षुद्रग्रह के लिए विक्षेपण मिशन शुरू करने का होगा और हमें इसकी कक्षा को केवल थोड़ा सा स्थानांतरित करने की आवश्यकता होगी ताकि हमारा ग्रह इस टकराव से बच सके।

संदर्भ:
https://bit.ly/3xUt6Fj
https://bit.ly/3dhR3i1
https://bit.ly/3vYk4pA
https://go.nasa.gov/3gYhhZm
https://bit.ly/3x0lmBw
https://bit.ly/3w0Tpbw
https://go.nasa.gov/3xUCJnE

चित्र संदर्भ

1. 3 नवंबर को अमेरिकी चुनाव से एक दिन पहले टकराने की संभावना वाला एक छोटा उल्कापिंड का एक चित्रण (tribute)
2. नामीबिया में 60 टन, 2.7 मीटर लंबा (8.9 फीट) लंबा होबा उल्कापिंड सबसे बड़ा ज्ञात अक्षुण्ण उल्कापिंड है जिसका एक चित्रण (wikimedia )
3. ग्रहों के 205 ज्ञात प्राकृतिक उपग्रहों में से अधिकांश अनियमित चंद्रमा हैं। गैनीमेड, उसके बाद टाइटन, कैलिस्टो, आयो और पृथ्वी का चंद्रमा सौर मंडल के सबसे बड़े प्राकृतिक उपग्रह हैं (देखें प्राकृतिक उपग्रहों की सूची § सूची)। शुक्र के पास कोई चंद्रमा नहीं है, जबकि नेपच्यून के पास 14 हैं जिनका विस्तृत वर्णन करता एक चित्रण (wikimedia)

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id