भारत सरकार ने अपने स्किल इंडिया (Skill India) कार्यक्रम के माध्यम से 2022 तक 40 करोड़ लोगों
को कौशल प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research
Foundation) और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) द्वारा हाल ही में किए गए
एक अध्ययन "यंग इंडिया एंड वर्क" (Young India and Work) के अनुसार, युवाओं को सरकार द्वारा
संचालित कौशल विकास कार्यक्रमों की जानकारी नहीं है, या यूं कहें कि उनके बीच इस सम्बंध में
जागरूकता का अभाव है, जिसकी वजह से लगभग 70% भारतीय युवाओं को इन योजनाओं की जानकारी
नहीं है।जानकारी का न होना स्किल इंडिया कार्यक्रम के लिए एक प्रमुख बाधा है। 15 से 30 आयु वर्ग के
लगभग 6,000 युवाओं को शिक्षा, रोजगार और उनकी आकांक्षाओं के बारे में पूछा गया। अध्ययन से
पता चला,कि युवाओं और सरकार के साथ-साथ युवाओं और उद्योगों के बीच जो संभावित तालमेल होना
चाहिए था, वह मौजूद नहीं है। इससे पता चलता है कि सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास कार्यक्रमों
और युवा भावनाओं के बीच एक बेमेल संबंध है।
भारत आज एक ऐसा देश है,जिसके 65% युवा
कार्यशील आयु वर्ग में हैं। यदि इस जनसांख्यिकीय का लाभ प्राप्त करना है, तो युवाओं के कौशल में
विकास करना होगा,ताकि युवा न केवल अपना व्यक्तिगत विकास कर सके, बल्कि देश के आर्थिक
विकास में भी योगदान दें।स्किल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विभिन्न उद्योगों से जुड़े रोजगारों के
लिए भारत की युवा आबादी को विभिन्न योजनाओं और प्रशिक्षण कोर्सों की मदद से प्रशिक्षित करना है।
इसके तहत सरकार ने युवाओं के कौशल विकास के लिए अनेकों योजनाओं का संचालन किया है, जिनमें
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना,आजीविका संवर्धन के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता या
संकल्प योजना,उड़ान,मानक प्रशिक्षण मूल्यांकन और पुरस्कार योजना,पॉलिटेक्निक योजनाएं,शिक्षा का
व्यवसायीकरण आदि शामिल हैं। इन आकर्षक कौशल कार्यक्रमों की विशेषता यह है, कि इसमें समय की
प्रतिबद्धता अधिक नहीं है, इसके अलावा यह मौद्रिक क्षतिपूर्ति, प्रमाणन और ऑनलाइन तथा वास्तविक
कक्षा सुविधाओं का मिश्रण है।इस कार्यक्रम के अनेकों लाभ हैं। इसकी सहायता से युवाओं में उचित
कौशल का विकास होगा तथा उन्हें अच्छी आय देने वाले रोजगार प्राप्त होंगे, जिससे वे जीवन के उच्च
स्तर का आनंद ले पायेंगे। अर्थव्यवस्था से जुड़े प्रत्येक क्षेत्र या उद्योग में भी समान वृद्धि होगी। चूंकि
प्रशिक्षित लोग कार्यबल में शामिल होंगे, इसलिए बहुत कम समय में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे, तथा देश
की अर्थव्यवस्था में भी उसी गति से वृद्धि होगी। योजनाओं की मदद से आपने जो कौशल सीखा, उसका
उपयोग करके आप खुद का व्यवसाय भी स्थापित कर सकते हैं।
लेकिन स्किल इंडिया कार्यक्रम के सामने जो प्रमुख समस्या अभी है, वो यह है,कि अभी तक अनेकों
युवाओं को इस कार्यक्रम के तहत संचालित होने वाली योजनाओं की जानकारी नहीं है।
निष्कर्षों से पता
चलता है, कि देश में लगभग तीन-चौथाई युवाओं ने कभी भी कौशल विकास कार्यक्रम के लिए नामांकन
नहीं किया है। इस कार्यक्रम में युवाओं की कम भागीदारी के मुख्य कारणों में वित्तीय और समय अभाव
जैसे मुद्दे शामिल हैं। तीन-चौथाई से अधिक महिला उत्तरदाताओं को सरकार द्वारा संचालित किसी भी
कौशल विकास कार्यक्रम के बारे में पता नहीं था, जबकि आधी महिलाओं ने कार्यक्रम में भागीदारी न देने
का कारण समय की कमी को बताया।सर्वेक्षण के अनुसार, देश में लगभग 51% युवा अपने कौशल से
मेल खाने वाली नौकरियों की पहचान करने में पेशेवर मार्गदर्शन की कमी को महसूस करते हैं, जो कि
वांछित नौकरी की तलाश में मुख्य बाधा उत्पन्न करती है।भारत में युवाओं के कौशल विकास के सामने
तीन प्रमुख चुनौतियाँ हैं। इन चुनौतियों में उद्योग और निजी क्षेत्र के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के सहयोग
का विस्तार करना, अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता के लिए मार्ग बनाना और श्रम बल में महिलाओं की कम
भागीदारी की समस्या को हल करना शामिल हैं।निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए रास्ते बनाना भारत के
लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्तंभ रहा है।कौशल विकास,सूचना विषमता सहित बाजार की विफलताओं
के कई रूपों का सामना करता है।एक कुशल व्यक्ति को अपने कौशल की जानकारी होती है, लेकिन एक
नियोक्ता को इसकी जानकारी नहीं होती,यदि नियोक्ताओं के पास सभी जानकारी होती, तो एक कुशल
व्यक्ति के लिए भुगतान करने की उनकी इच्छा बढ़ जाती।कौशल विकास में एक और बाजार की
विफलता बाह्यता है। उदाहरण के लिए जब कोई फर्म किसी कर्मचारी के कौशल को विकसित करने पर
संसाधन खर्च करता है, तो हो सकता है, कि कर्मचारी उस फर्म को छोड़कर दूसरे फर्म में शामिल हो
जाए।इस प्रकार बाद वाली फर्म को लाभ होता है न कि उस फर्म को जिसने प्रशिक्षण लागत खर्च की है।
इसी प्रकार भारत विश्व की "कौशल राजधानी" बनने के लिए प्रतिबद्ध है,और इंडिया इंटरनेशनल स्किल
सेंटर (India International Skill Centre - IISC) कार्यक्रम इसका प्रमाण हैं।कौशल परीक्षण,
अपस्किलिंग, भाषा और प्रस्थान पूर्व अभिविन्यास पर ध्यान देने के साथ संभावित प्रवासियों को परामर्श
देने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए एक नया, IISC नेटवर्क प्रस्तावित किया गया है। तीसरी चुनौती
श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी में कमी से सम्बंधित है।
देश की श्रम शक्ति 3952 लाख है, जिसमें
केवल 916 लाख महिलाएं शामिल हैं।लिंग संवेदीकरण, आर्थिक अवसरों के सृजन और आर्थिक और
सामाजिक समर्थन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण करके इस संख्या को बढ़ाया जा सकता
है।भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है, जिसमें 62% से अधिक आबादी कामकाजी आयु वर्ग में
है। अगले दशक में लगभग 2500 लाख युवा कार्यबल में शामिल होंगे। चूंकि संरचनात्मक,
जनसांख्यिकीय और तकनीकी बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था और कार्य की प्रकृति को बदल रहे हैं,
इसलिए श्रम बल में नए प्रवेशकों को कुशल और रोजगार योग्य बनाना होगा। वर्तमान कार्यबल के कौशल
को फिर से तैयार करने और बढ़ाने के लिए रणनीतियों के साथ-साथ अनौपचारिक रूप से अर्जित कौशल
की औपचारिक मान्यता को भी सुदृढ़ करना होगा। इस पृष्ठभूमि में, भारत अपनी जनसांख्यिकीय क्षमता
को लाभांश में बदलने के लिए अनूठी पहल कर रहा है जो देश के विकास को बढ़ावा देगा।
संदर्भ:
https://bit.ly/3jcIwRb
https://bit.ly/3h6Lmok
https://bit.ly/2U0Y4NB
चित्र संदर्भ
1. कुशलता से वाहन को ठीक करते भारतीय युवा का एक चित्रण (flickr)
2 .भारत का साक्षरता दर का नक्शा, 2011 (wikimedia)
3. स्किल इंडिया के लोगो एक चित्रण (wikimedia)
4 . कौशल विकास की आवश्य्कताओं को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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