एक टोर्नेडो (Tornado) या बवंडर हवा का एक हिंसक घूर्णन स्तंभ है, जिसका एक सिरा जमीन पर होता है, तो दूसरा बादलों पर। सबसे हिंसक बवंडर 300 मील प्रति घंटे तक के वायु वेग के साथ जबरदस्त विनाश करने में सक्षम हैं। वे बड़ी इमारतों को नष्ट कर सकते हैं, पेड़ों को उखाड़ सकते हैं और वाहनों को सैकड़ों गज की दूरी पर फेंक सकते हैं। वे पेड़ों की शाखाओं को भी उजाड़ सकते हैं। यह एक मील चौड़े और 50 मील से भी अधिक लंबे मार्गों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। भारत में यूं तो, बवंडर देखना बहुत दुर्लभ है, लेकिन उत्तर भारत में 2018 में आए एक विनाशकारी तूफान के मौसम के दौरान, कई लोगों ने बवंडर जैसी घटना को देखने का दावा किया। एक बवंडर ने राजस्थान के कुम्हेर शहर के पास एक तेल मिल को भी नष्ट कर दिया था। ऐसी ही एक घटना इस साल जून में पुणे के पास भी दर्ज की गई थी। 2010 में आए एक और बड़े बवंडर ने 130 लोगों की जान ले ली थी और एक लाख घरों को नष्ट कर दिया था। भविष्य में ऐसी घटनाओं की भविष्यवाणी करने में सक्षम होने के लिए भारत के प्रशासनिक और वैज्ञानिक समुदाय दोनों को तैयार रहने की जरूरत है।
लेकिन बवंडर की भविष्यवाणी करने से पहले यह जान लेना चाहिए, कि वे कैसे बनते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है, कि बवंडर, कीप जैसी पवन प्रणालियों के रूप में पानी की बूंदों, बर्फ, ओलों आदि के जमाव द्वारा बने संघनित बादलों से उत्पन्न होता है, जो कि फिर जमीन को स्पर्श करता है। परिवेश से हवा को एकत्रित करते हुए वह शंक्वाकार रूप बना लेता है, तथा रास्ते में आने वाली हर चीज को अपने साथ उड़ा कर ले जाता है। लेकिन अब एक नए अध्ययन से पता चलता है, कि इस वैज्ञानिक विश्वास को फिर से जांचने की जरूरत है। आइए, इन दो वीडियो के माध्यम से एक नजर डालते हैं, कैमरे में कैद हुए कुछ सबसे घातक बवंडरों पर तथा जानते हैं, कि वे कैसे बनते हैं।