भारत में अंतरराज्यीय प्रवास आधारित आंकड़े

मेरठ

 23-06-2021 10:08 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

कोरोना महामारी के चलते देश में जब पहली बार 21 दिन का लॉकडाउन लगाया गया, तो नौकरियाँ छूटने और भोजन तथा आवास जैसी मूल-भूत ज़रूरतों के अभाव में विभिन्न राज्यों से अपने गृहनगर वापस जाने वाले मजदूरों का अभूतपूर्व मंज़र देखा गया। इसी के साथ ही प्रवासी कामगार सुर्ख़ियों में आ गए, जिनकी न जाने कितनी पीढ़ियां शहरों के व्यवसायों और उद्द्योगो पर आधारित थी। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की लगभग 37% प्रतिशत आबादी (45.36 मिलियन लोग) रोजगार की तलाश में अपने गृहनगर से दूर अथवा दूसरे राज्यों में पलायन कर चुकी थी। इसी वर्ष की जनगणना के अनुसार देश के विभिन्न क्षेत्रों में, 48.2 करोड़ लोग कार्यरत थे। तथा 2016 तक देश का कुल कार्यबल 50 करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया गया। साथ ही यह भी अनुमान लगाया कि 2016 में कुल कार्यबल के लगभग 20 प्रतिशत (लगभग 10 करोड़) से अधिक लोग प्रवासी होंगे। चूँकि देश में अंतर-राज्यीय प्रवासियों के लिए कोई आधिकारिक डेटा नहीं है, परन्तु विशेषज्ञों द्वारा 2011 की जनगणना, एनएसएसओ सर्वेक्षण और आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर अनुमान लगाए गए, कि वर्ष 2020 के कुल कार्यबल में 65 मिलियन दूसरे राज्यों से आये हुए प्रवासी हैं, जिनमे से 33 प्रतिशत प्रवासी श्रमिक हैं, 30 प्रतिशत कैजुअल कर्मचारी तथा 30 प्रतिशत लोग अनौपचारिक क्षेत्र में नियमित तौर पर काम करते हैं।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (Center for the Study of Developing Societies (CSDS)) और अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा 2019 में किए गए एक अध्ययन से यह अनुमान लगाया गया कि, भारत के बड़े शहरों में लगभग 29% आबादी दिहाड़ी मजदूरों की है, जो लोग शायद मजबूरी में काम कर रहे हैं और वापस अपने घरों को जाना चाहते हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि, उत्तर प्रदेश से 25 प्रतिशत और बिहार से कुल 14 प्रतिशत प्रवासी रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में गए हैं, इसके बाद राजस्थान में 6 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 5 प्रतिशत हैं। अतः लगभग 4-6 मिलियन लोग उत्तर प्रदेश लौटना चाहते हैं, और 1.8 से 2.8 मिलियन लोग बिहार लौटना चाहते हैं। तथा शेष 700,000 से 1 मिलियन राजस्थान और 600,000-900,000 मध्य प्रदेश लौटना चाहते हैं। 2017-19 में सीएसडीएस CSDS द्वारा आयोजित पॉलिटिक्स एंड सोसाइटी बिटवीन इलेक्शन सर्वे' (Politics and Society Between Election Survey) के अनुसार, 22% दिहाड़ी तथा साप्ताहिक तौर पर काम करने वाले मजदूरों की मासिक घरेलू आय मात्र 2,000 रुपये तक है। 32% की, 2,000 से 5,000 के बीच, 25% की 5,000 से 10,000; के बीच, 13% की, 10,000 रुपये से 20,000 के बीच; और केवल 8% की मासिक आय 20,000 रुपये से अधिक हैं। सर्वेक्षण में 20% उत्तरदाताओं ने अपनी मासिक घरेलू आय को 10,000 रुपये से कम बताया जिनमे से बिहार के 33% तथा उत्तर प्रदेश के 27% से भी अधिक प्रवासी मजदूर शामिल थे। वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी (Vanderbilt University) के प्रोफेसर तारिक तचिल (Tariq Tachil) जिन्होंने भारत में सर्कुलर प्रवासी आबादी लबे समय तक किये गए काम के आधार पर अपने शोध में पाया गया कि, प्रवासी आबादी न तो अपने गांव-आधारित जातीय संबंधों को पूरी तरह से बनाए रखती है, और न ही उसका पूरी तरह से त्याग कर पाती है , यही कारण है की अपनी आजीविका के स्रोत के छिन जाने के बाद भी वे लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चले गए। पिछले वर्ष लखनऊ के 51 बाजारों में 2,400 प्रवासियों के एक बड़े सर्वेक्षण के आधार पर पुलिस की भूमिका का वर्णन किया गया। उल्लेखनीय रूप से, सर्वेक्षण में शामिल 33% उत्तरदाताओं ने व्यक्तिगत रूप से शहर में अपने पिछले वर्ष के भीतर हिंसक पुलिस कार्रवाई सामना किया। , दिल्ली, मुंबई और सूरत जैसे बड़े शहरों में ;लॉकडाउन के बाद अंतर-राज्यीय प्रवासी संकट को अधिक महसूस किया गया था, विशेषज्ञ कहते हैं कि इस दौरान दिल्ली में प्रवासन दर (Migration rate) 43% रही, जिनमें से 88% अन्य राज्यों से हैं और 63% ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। मुंबई में प्रवासन दर 55% रही, जिसमें अन्य राज्यों से 46% और ग्रामीण क्षेत्रों के 52% प्रवासी हैं। सूरत शहर से प्रवासन दर 65% रही है, जिसमें अन्य राज्यों के 50% और ग्रामीण क्षेत्रों से 76% प्रवासी हैं। 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में जिलेवार प्रवास के आंकड़े बताते हैं कि, देश के भीतर प्रवासियों का आवागमन सर्वाधिक गुरुग्राम, दिल्ली और मुंबई के साथ-साथ गौतम बौद्ध नगर (उत्तर प्रदेश), इंदौर, भोपाल (मध्य प्रदेश); बैंगलोर (कर्नाटक); तिरुवल्लूर, चेन्नई, कांचीपुरम, इरोड, कोयंबटूर (तमिलनाडु) में देखा गया है।तथा सबसे अधिक जिन जिलों से पलायन देखा गया, उनमे मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, कौशाम्बी, फैजाबाद और उत्तर प्रदेश के 33 अन्य जिले, उत्तराखंड में - उत्तरकाशी, चमोली, रुद्र प्रयाग, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत, राजस्थान में चुरू, झुंझुनू, पाली, बिहार में दरभंगा, गोपालगंज, सीवान, सारण, शेखपुरा, भोजपुर, बक्सर, झारखंड में धनबाद, लोहरदगा, गुमला; और महाराष्ट्र में रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग शामिल हैं
विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से रोजगार, शिक्षा आदि के अवसर की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से लोग प्रवास करते हैं तथा विभिन्न कारणों से शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों में विपरीत दिशा में प्रवास भी होता है। पिछले दशक के दौरान देश में लगभग 98 मिलियन अंतर-राजीय प्रवासियों में से, 61 मिलियन ग्रामीण क्षेत्रों में और 36 मिलियन शहरी क्षेत्रों में विस्तापित हो गए। 2001 की जनगणना में एकत्र की गई जानकारी के अनुसार अपने मूल स्थान से प्रवास के सन्दर्भ में अधिकांश महिला प्रवासियों को 'विवाह' का कारण दिया है, खासकर जब प्रवास राज्य के भीतर हो। वही पुरुषों के लिए, प्रवास के प्रमुख कारणों में 'काम/रोजगार' और 'शिक्षा' को गिना गया। प्रवासन पर कार्य समूह की रिपोर्ट से पता चलता है कि, प्रवासी श्रमिकों में शामिल महिलाओं की हिस्सेदारी निर्माण क्षेत्र (construction sector) में सबसे अधिक है, (शहरी क्षेत्रों में 67 प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्रों में 73 प्रतिशत)। जबकि पुरुष प्रवासी श्रमिकों को सार्वजनिक रूप से परिवहन, डाक, लोक प्रशासन सेवाएं और आधुनिक सेवाएं (वित्तीय मध्यस्थता, अचल संपत्ति, किराया, शिक्षा, स्वास्थ्य) आदि में नियोजित किया जाता है, जिनमें से 16 प्रतिशत ग्रामीण और 40 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों कार्यरत हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3gP22R9
https://bit.ly/3zIboqq

चित्र संदर्भ
1. कोरोना में फंसे हुए प्रवासी श्रमिक "श्रमिक स्पेशल" ट्रेन से पैतृक गांव पहुंचने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का एक चित्रण (wikimedia)
2.वर्ष 2015-16 में रेलवे के माध्यम से भारत में शुद्ध प्रवासन प्रवाह का एक चित्रण (twitter)
3. भारत में मानव प्रवास का एक चित्रण (drishtiias)

RECENT POST

  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • vfrnhh
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 12:41 PM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM


  • मेरठ क्षेत्र में किसानों की सेवा करती हैं, ऊपरी गंगा व पूर्वी यमुना नहरें
    नदियाँ

     18-12-2024 09:26 AM


  • विभिन्न पक्षी प्रजातियों के लिए, एक महत्वपूर्ण आवास है हस्तिनापुर अभयारण्य की आर्द्रभूमि
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:29 AM


  • डीज़ल जनरेटरों के उपयोग पर, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के क्या हैं नए दिशानिर्देश ?
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:33 AM


  • आइए देखें, लैटिन अमेरिकी क्रिसमस गीतों से संबंधित कुछ चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:46 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, बिजली बचाने के कारगर उपायों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id