विश्व तथा भारत में कपास मिल का इतिहास

मेरठ

 18-06-2021 09:19 AM
घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

“कपास कारखाना” या कॉटन मिल (Cotton Mill), एक ऐसा कारखाना या इमारत है, जहां कपास से सूत या कपड़े के उत्पादन के लिए कताई या बुनाई की मशीनें रखी गयी होती हैं। पहले कपास के रेशों को हाथ से संसाधित किया जाता था, किंतु बाद में इसे मशीनों द्वारा संसाधित किया जाने लगा। अधिकांश प्रारंभिक मिलें बिजली के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तेज बहने वाली नदियों और धाराओं में पानी के पहियों या वाटर व्हील्स (Water wheels) का उपयोग करके बनाई गई थीं।कपास मिल वर्ष 1740 का एक अंग्रेजी आविष्कार है, जिसे लुईस पॉल (Lewis Paul) और जॉन वायट (John Wyatt) द्वारा बनाया गया था। उनके द्वारा बनायी गयी मिल में रोलर कताई (Roller spinning) मशीनरी स्थापित की गयी थी।इस मिल का नाम अपर प्रायरी कॉटन मिल (Upper Priory Cotton Mill) रखा गया, जिसे 1741 में इंग्लैंड (England) के बर्मिंघम (Birmingham) में खोला गया। यह दुनिया की पहली मशीनीकृत कपास कताई मिल या कपास मिल थी। इसमें उपयोग की गयी रोलर कताई मशीनरी को 1738 में पॉल द्वारा पेटेंट कराया गया था, जिसकी सहायता से पहली बार मानव उंगलियों की सहायता के बिना कपास की कताई सक्षम हो पायी। 1781 से बौल्टन (Boulton) और वाट (Watt) द्वारा व्यवहार्य भाप इंजनों के विकास ने बड़ी, भाप से चलने वाली मिलों का विकास किया, जिसके कारण शहरी क्षेत्रों में भी मिलों की स्थापना सम्भव हो पायी। शहरी मिल कस्बों, जैसे मैनचेस्टर (Manchester) और सैलफोर्ड (Salford) के आस-पास 1802 तक 50 से अधिक मिलों की स्थापना की जा चुकी थी। प्रारंभिक कारखानों में कताई प्रक्रिया का मशीनीकरण मशीन उपकरण उद्योग के विकास में सहायक बना, जिससे बड़ी कपास मिलों का निर्माण संभव हुआ।संयुक्त राज्य अमेरिका (America) में, पहली कपास मिल 1790 में न्यूयॉर्क (New York) के पास रोड आइलैंड (Rhode Island) में बनी थी।
अंग्रेजी आविष्कारक रिचर्ड आर्कराइट (Richard Arkwright) के डिजाइनों के आधार पर, मिल का निर्माण सैमुअल स्लेटर (Samuel Slater) द्वारा किया गया था। इस मिल में कपास के तंतुओं को अलग करने, कताई आदि के लिए पानी से चलने वाली मशीनरी का उपयोग किया गया था। गृहयुद्ध से पहले, कपड़ा निर्माण अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण उद्योग था, तथा पहला अमेरिकी पावर लूम 1813 में फ्रांसिस कैबोट लोवेल (Francis Cabot Lowell) की अध्यक्षता में बोस्टन (Boston) व्यापारियों के एक समूह द्वारा बनाया गया था।कुछ समय बाद ही कपड़ा मिलों के निर्माण ने वहां की नदियों के परिदृश्य, अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन को बदलकर रख दिया। ब्रिटिश भारत की बात करें, तो उस समय पहली कपास मिल 1818 में कोलकाता के पास बनायी गयी। भले ही कपास मिल की शुरूआत 1818 में कोलकाता से हुई, लेकिन भारत में कपास मिल का अत्यधिक विकास 1854 में मुंबई से हुआ, तथा परिणामस्वरूप कपास मिल पूरे ब्रिटिश भारत में फैल गयी। भारत की दूसरी कपास मिल की स्थापना केजीएन डाबर (KGN Daber) द्वारा की गई थी, जिसका नाम बॉम्बे स्पिनिंग एंड वीविंग कंपनी (Bombay Spinning and Weaving Company) रखा गया। इस मिल को भारत में आधुनिक कपास उद्योग की वास्तविक मिल कहा जाता है। अहमदाबाद, जिसे 'भारत का मैनचेस्टर (Manchester) भी कहा जाता है, में 1861 और 1863 में क्रमशः शाहपुर मिल (Shahpur mill) और केलिको मिल (Calico mill) की शुरूआत हुई, जिसने अहमदाबाद को पूरी दुनिया में कपास का उत्पादन करने वाले प्रमुख शहरों में से एक के रूप में चिन्हित किया। हालाँकि, भारत में सूती वस्त्र उद्योग का वास्तविक विस्तार 1870 के दशक में हुआ। इस अवधि के दौरान, मिलों की संख्या बढ़कर 47 हुई, जिनमें से 60% से अधिक मुंबई में थीं। प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध, स्वदेशी आंदोलन और वित्तीय सुरक्षा के अनुदान ने इस उद्योग के विकास को तेजी से आगे बढ़ाया। परिणामस्वरूप, मिलों की संख्या 1926 में 334 से बढ़कर 1939 में 389 हुई तथा 1945 में 417 तक पहुंची।
सूती कपड़े का उत्पादन भी 1939 - 40 में 4,012 मिलियन गज से बढ़कर 1945 - 46 में 4,726 मिलियन गज हुआ।भारत में कपास क्षेत्र को कपड़ा उद्योग (मानव निर्मित रेशों के बाद) में दूसरा सबसे विकसित क्षेत्र माना जाता है। भारत दुनिया का कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है, तथा यह दुनिया में कपास की खेती के तहत सबसे बड़ा क्षेत्र भी है। गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य भारत के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र हैं। संयुक्त प्रांत (ब्रिटिश भारत के उत्तर प्रदेश) में, वर्ष 1914 के आसपास कई नई कपास मिलें स्थापित हुईं। रामपुर में भी एक कपास मिल,‘रामपुर रज़ा मिल्स’ स्थापित की गयी थी। यह मिल 40 से भी अधिक वर्षों तक शहर की सबसे बड़ी नियोक्ता बनी रही तथा अंततः 1980 के दशक में दिवालिया घोषित कर दी गयी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है,कि जब कपास मिल तकनीक रामपुर में आई थी, तब कपास मिल के आविष्कार को पहले से ही 150 वर्ष हो चुके थे। को 1940 के दशक में नवाब रज़ा अली खान द्वारा स्थापित किया गया था, जिसे बाद में कानपुर के एक परिवार को बेच दिया गया। यह मिल अब खंडहर में परिवर्तित हो चुकी है, जो रामपुर के उत्थान और पतन की कहानी को व्यक्त करती है।अनेकों कारणों की वजह से रामपुर की इस बंद पड़ी मिल में कोई भी निवेश नहीं करना चाहता।1991 में बंद होने के समय, मिल में 2,664 लोग थे। 35 बीघा के इस कारखाने में 90 करोड़ से भी अधिक रुपये की मशीनरी मौजूद थी। इसमें से अधिकांश पहले सरकारी अधिकारियों द्वारा और फिर अन्य लोगों द्वारा चोरी कर ली गयी। लेकिन अभी भी कुछ मशीनों को चोरी होने से बचाया गया है, ताकि उनका उपयोग श्रमिकों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए किया जा सके।

संदर्भ:
https://bit.ly/2TClBE2
https://bit.ly/3zy5ms8
https://bit.ly/35pm4fs
https://bit.ly/3xrs1oc
https://bit.ly/3vtHT8t
https://bit.ly/2S2MoJu

चित्र संदर्भ
1. मैगनोलिया कॉटन मिल्स स्पिनिंग रूम का इंटीरियर का एक चित्रण (flickr)
2. स्पूलिंग रूम, विंसबोरो कॉटन मिल, 1940 का एक चित्रण (flickr)
3. कॉटन जिनिंग ऑटोमेशन प्लांट, रॉ कॉटन जिनिंग मशीन, भारत का एक चित्रण (Youtube)
4. रामपुर की रजा टेक्सटाइल का एक चलचित्र (Youtube)

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