भारत की अधिकांश जनसंख्या खेती या कृषि पर निर्भर है।जैसे-जैसे देश की जनसंख्या बढ़ती जा रही है,
वैसे-वैसे संपूर्ण आबादी के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराने हेतु खाद्य उत्पादन की मांग में
भी वृद्धि हो रही है। इसलिए अन्य निवेशों और प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के माध्यम से
उत्पादकता बढ़ाने और खेती की लागत को कम करने के लिए कृषि में मशीनीकरण पर जोर दिया जा
रहा है।एक व्यक्ति तीन घोड़ों के साथ हल चलाने के लिए तीन हॉर्स पॉवर को नियंत्रित करता है, लेकिन
जब उसे मध्यम आकार का क्रॉलर ट्रैक्टर दिया जाता है, तो नियंत्रण 20 से 30 हॉर्स पावर के बीच होता
है। उसका उत्पादन, इस प्रकार लगभग 8:1 अनुपात हो जाता है।खेती में मशीनीकरण से तात्पर्य विभिन्न
कार्यों के लिए मशीनों के उपयोग से है। कृषि और कृषि प्रक्रिया का मशीनीकरण, खेतों में काम करने के
लिए मशीन शक्ति के उपयोग को दर्शाता है, जो आमतौर पर बैलों, घोड़ों और अन्य जानवरों या मानव
श्रम द्वारा किया जाता है।
मोटे तौर पर कृषि में मशीनीकरण के दो रूप हैं, गतिशील मशीनीकरण और
स्थिर मशीनीकरण। गतिशील मशीनीकरण जहां पशु शक्ति को प्रतिस्थापित करने पर आधारित है, वहीं
स्थिर मशीनीकरण कुछ कार्यों में लगने वाले कठिन परिश्रम को कम करने पर आधारित है, जिन्हें या तो
मानव श्रम द्वारा या मनुष्यों और जानवरों के संयुक्त प्रयास द्वारा पूरा किया जाता है। मशीनीकरण
आंशिक या पूर्ण हो सकता है। यह आंशिक तब होता है, जब कृषि कार्य का केवल एक हिस्सा मशीन
द्वारा पूरा किया जाता है। लेकिन जब मशीनों द्वारा पशु या मानव श्रम को पूरी तरह से प्रतिस्थापित
कर दिया जाता है, तब इसे पूर्ण मशीनीकरण कहा जाता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका (America - 95 प्रतिशत), ब्राजील (Brazil - 75 प्रतिशत) और चीन (China
- 57 प्रतिशत) जैसे अन्य देशों की तुलना में भारत में कृषि क्षेत्र में मशीनों का उपयोग 40-45 प्रतिशत
तक कम है। मशीनीकरण से खेती के कार्य की तीव्रता और गति दोनों बढ़ जाती है।मशीनीकरण के
अनेकों फायदें है, जिसके कारण खेती से जुड़े लोगों को इसे अवश्य अपनाना चाहिए। कृषि मशीनीकरण
भूमि की उत्पादकता को बढ़ाता है। इससे कार्य कुशलता और प्रति व्यक्ति उत्पादकता में वृद्धि होती है।
यह कृषि में लगने वाली श्रम लागत को कम करता है। इसके उपयोग से खेती के कार्यों में पशुओं की
आवश्यकता बहुत कम हो जाती है।ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संरचना को संशोधित करने में मशीनीकरण
सहायक है। मशीनीकरण से कृषि आय में वृद्धि होती है। खेती में लगने वाला समय मशीनीकरण से
बहुत कम हो जाता है तथा कम भूमि में भी फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इसकी मदद से
व्यवसायिक खेती शुरू की जा सकती है तथा श्रमिकों की कमी का खेती पर असर बहुत कम हो जाता
है।इन्हीं फायदों को देखते हुए भारत सरकार कृषि के मशीनीकरण पर अत्यधिक जोर दे रही है, तथा
अनेकों पहलों का संचालन कर रही है। मशीनीकरण के लिए खेती में मानवीय स्रोतों का विकास किया जा
रहा है। लोगों को स्वरोजगार के लिए कौशल आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है तथा इसके लिए फार्म
मशीनरी ट्रेनिंग (Farm Machinery Training) और टेस्टिंग इंस्टीट्यूट (Testing Institute) स्थापित
किए गए हैं। इसकी सहायता से किसान खेती के आधुनिक तरीकों और मशीनों के उपयोग के विषय में
प्रशिक्षण प्राप्त कर पाएंगे। कृषि मशीनों और औजारों की गुणवत्ता की जांच के लिए टेस्टिंग इंस्टीट्यूट
बनाए गए हैं, ताकि इनकी मदद से फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ायी जा सके। कृषि विभाग
और अन्य विभागों की सहायता से किसानों को कृषि मशीनें और औजार खरीदने के लिए 25% से 50%
तक की सब्सिडी प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है।
कटाई के बाद खेतों के उचित प्रबंधन के तरीकें
भी किसानों को सिखाए जा रहे हैं, ताकि फसल की गुणवत्ता को निरंतर बनाए रखा जा सके। छोटे और
सीमांत किसानों के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Centres -CHCs) की स्थापना को
प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य किसानों को कम दाम में किराए पर कृषि से सम्बंधित
मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराना है।
वर्तमान समय में कोरोना महामारी पूरे विश्व में फैली हुई है, तथा ऐसे समय में कृषि क्षेत्र भी इससे
अछूता नहीं है। महामारी के कारण लगाए गये प्रतिबंधों के कारण कई श्रमिकों को अपने मूल घरों में
जाना पड़ा है। बड़े पैमाने पर पलायन के चलते खेती के कार्यों के लिए मानव श्रम उपलब्ध नहीं है।ऐसी
स्थिति में खेती के लिए मशीनों का उपयोग और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, क्यों कि मशीनें
अधिकांश कार्यों को आसानी से कम लागत और कम समय में पूरा कर सकती हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3vDH2D2
https://bit.ly/2RQCpXK
https://bit.ly/2RdfRA4
https://bit.ly/3i7u64m
https://bit.ly/3uEv9vf
चित्र संदर्भ
1. सौर पैनलों से उत्पन्न ऊर्जा के साथ भूजल को पंप करने का एक चित्रण (Wikimedia)
2. बैल और ट्रेक्टर का तुलनात्मक चित्रण (Youtube)
3. कृषि मशीनों का एक चित्रण (Youtube)