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 प्रायः रोबोट हॉस्पिटल में स्थापित होते हैं, जिसे संचालित करने
के लिए मास्टर कंट्रोलर (कंसोल) जैसी अति संवेदनशील तकनीक की आवश्यकता होती है।
भारत में इस तकनीक के व्यापक संचालन हेतु बड़े पैमाने पर प्रयास किये जा रहे हैं। भारतीय कंपनी एसएस
इनोवेशन (SS Innovation) बीते 3 वर्षो से भारतीय तकनीक से विकसित मल्टी आर्म नॉवेल 'मंत्र' सर्जिकल
रोबोटिक सिस्टम (Multi Arm Novel 'Mantra' Surgical Robotic System) की, इस साल 100 मशीनें बनाने की
योजना बना रहा है। इनका लक्ष्य अगले पांच वर्षों के भीतर 1,000 से अधिक इकाइयों (Units) के निर्माण और
उनकी बिक्री करने का है। कंपनी के द्वारा इस क्षेत्र में अभी तक 300 करोड़ रुपयों का निवेश किया गया है, साथ ही
आनेवाले वर्षों में उद्पादन में बढ़ोतरी करते हुए कंपनी 1000 करोड़ रुपयों का निवेश करने की योजना बना रही है।
कंपनी के अनुसार वे अपने उद्पाद की प्रति यूनिट शुरुवाती कीमत 4 से 5 करोड़ रखेंगे। जहां दा विंची जैसे रोबोटिक
सर्जिकल सिस्टम, जो लगभग पूरे वैश्विक बाजार को नियंत्रित करता है, अपनी मशीनों की प्रति यूनिट 15-17 करोड़
रुपयों में बिक्री करता है। अभी तक पूरे वैश्विक स्तर पर लगभग 6,000 से 6,500 के बीच रोबोटिक सर्जिकल
सिस्टम स्थापित किए गए हैं। जिसमे से कैलिफोर्निया स्थित दा विंची रोबोट 5,600-5,700 से अधिक इकाइयों का
इंस्टालेशन करने के साथ ही बाजार में सबसे अग्रणी हैं। परंतु बाजार की संभावनाओं को देखते हुए कई बड़ी और नयी
कंपनियां भी इस क्षेत्र में निवेश करने की योजना बना रही है। यूनाइटेड किंगडम स्थित एक कंपनी सीएमआर
सर्जिकल (CMR Surgical) ने पिछले साल से यूके, भारत, इटली और फ्रांस जैसे बाजारों में बिक्री शुरू कर दी है। साथ
ही 2022 तक जॉनसन एंड जॉनसन की सामान्य रोबोट सर्जरी प्रणाली, मानव पर अपना पहला परीक्षण करने की
उम्मीद जता रही है, साथ ही यह गूगल की मूल कंपनी Alphabet की जीवन विज्ञान अनुसंधान शाखा Verily के
साथ सामान्य रोबोटिक्स सर्जरी पर भी काम कर रही थी।
 प्रायः रोबोट हॉस्पिटल में स्थापित होते हैं, जिसे संचालित करने
के लिए मास्टर कंट्रोलर (कंसोल) जैसी अति संवेदनशील तकनीक की आवश्यकता होती है।
भारत में इस तकनीक के व्यापक संचालन हेतु बड़े पैमाने पर प्रयास किये जा रहे हैं। भारतीय कंपनी एसएस
इनोवेशन (SS Innovation) बीते 3 वर्षो से भारतीय तकनीक से विकसित मल्टी आर्म नॉवेल 'मंत्र' सर्जिकल
रोबोटिक सिस्टम (Multi Arm Novel 'Mantra' Surgical Robotic System) की, इस साल 100 मशीनें बनाने की
योजना बना रहा है। इनका लक्ष्य अगले पांच वर्षों के भीतर 1,000 से अधिक इकाइयों (Units) के निर्माण और
उनकी बिक्री करने का है। कंपनी के द्वारा इस क्षेत्र में अभी तक 300 करोड़ रुपयों का निवेश किया गया है, साथ ही
आनेवाले वर्षों में उद्पादन में बढ़ोतरी करते हुए कंपनी 1000 करोड़ रुपयों का निवेश करने की योजना बना रही है।
कंपनी के अनुसार वे अपने उद्पाद की प्रति यूनिट शुरुवाती कीमत 4 से 5 करोड़ रखेंगे। जहां दा विंची जैसे रोबोटिक
सर्जिकल सिस्टम, जो लगभग पूरे वैश्विक बाजार को नियंत्रित करता है, अपनी मशीनों की प्रति यूनिट 15-17 करोड़
रुपयों में बिक्री करता है। अभी तक पूरे वैश्विक स्तर पर लगभग 6,000 से 6,500 के बीच रोबोटिक सर्जिकल
सिस्टम स्थापित किए गए हैं। जिसमे से कैलिफोर्निया स्थित दा विंची रोबोट 5,600-5,700 से अधिक इकाइयों का
इंस्टालेशन करने के साथ ही बाजार में सबसे अग्रणी हैं। परंतु बाजार की संभावनाओं को देखते हुए कई बड़ी और नयी
कंपनियां भी इस क्षेत्र में निवेश करने की योजना बना रही है। यूनाइटेड किंगडम स्थित एक कंपनी सीएमआर
सर्जिकल (CMR Surgical) ने पिछले साल से यूके, भारत, इटली और फ्रांस जैसे बाजारों में बिक्री शुरू कर दी है। साथ
ही 2022 तक जॉनसन एंड जॉनसन की सामान्य रोबोट सर्जरी प्रणाली, मानव पर अपना पहला परीक्षण करने की
उम्मीद जता रही है, साथ ही यह गूगल की मूल कंपनी Alphabet की जीवन विज्ञान अनुसंधान शाखा Verily के
साथ सामान्य रोबोटिक्स सर्जरी पर भी काम कर रही थी। यह रोबोट्स सर्जन के कंसोल (जहां से रोबोट्स
नियंत्रित होते हैं ) पर बैठने के दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखने के साथ, यह रोगी या सर्जिकल टीम द्वारा COVID-
19 से संक्रमित होने की संभावना को कम कर देता है। रोबोटिक सर्जरी के दौरान सर्जन मरीज़ से 6 फीट से अधिक
की दूरी पर होता है, साथ ही रोबोट्स के होने से आपरेशन रूम में अधिक सहायकों की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।
हालांकि, अधिक संवेदनशील मामलों में सर्जन एक निश्चित दूरी पर ही होता है ताकि जरूरत पड़ने पर मरीज तक
आसानी से पहुंचा जा सके।
भारत ने हाल ही में रोबोटिक हार्ट सर्जरी के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। जहां कार्डियक सर्जन (Cardiac
Surgeon) डॉ. तेजस पटेल ने 30 किमी दूर से दुनिया की पहली रोबोटिक हार्ट सर्जरी की। 32 किलोमीटर दूर से
दुनिया की पहली रोबोटिक हार्ट सर्जरी के लिए एपेक्स हार्ट इंस्टीट्यूट (Apex Heart Institute, Ahmedabad)
अहमदाबाद के मुख्य इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट ((Chief Interventional Cardiologist)) डॉ. पटेल ने अमेरिका
स्थित कोरिंडस वैस्कुलर रोबोटिक्स की वैस्कुलर रोबोटिक्स कोरपैथ (Vascular Robotics Corepath
Technology) की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया।
 यह रोबोट्स सर्जन के कंसोल (जहां से रोबोट्स
नियंत्रित होते हैं ) पर बैठने के दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखने के साथ, यह रोगी या सर्जिकल टीम द्वारा COVID-
19 से संक्रमित होने की संभावना को कम कर देता है। रोबोटिक सर्जरी के दौरान सर्जन मरीज़ से 6 फीट से अधिक
की दूरी पर होता है, साथ ही रोबोट्स के होने से आपरेशन रूम में अधिक सहायकों की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।
हालांकि, अधिक संवेदनशील मामलों में सर्जन एक निश्चित दूरी पर ही होता है ताकि जरूरत पड़ने पर मरीज तक
आसानी से पहुंचा जा सके।
भारत ने हाल ही में रोबोटिक हार्ट सर्जरी के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। जहां कार्डियक सर्जन (Cardiac
Surgeon) डॉ. तेजस पटेल ने 30 किमी दूर से दुनिया की पहली रोबोटिक हार्ट सर्जरी की। 32 किलोमीटर दूर से
दुनिया की पहली रोबोटिक हार्ट सर्जरी के लिए एपेक्स हार्ट इंस्टीट्यूट (Apex Heart Institute, Ahmedabad)
अहमदाबाद के मुख्य इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट ((Chief Interventional Cardiologist)) डॉ. पटेल ने अमेरिका
स्थित कोरिंडस वैस्कुलर रोबोटिक्स की वैस्कुलर रोबोटिक्स कोरपैथ (Vascular Robotics Corepath
Technology) की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        