कृषि के लिए निरंतर उपयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य में होती है गिरावट

मेरठ

 01-06-2021 08:46 AM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

मिट्टी आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। यह मानव, पशु और पौधों के जीवन को बनाए रखने के लिए भोजन, चारा, रेशा और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करता है।ऐसे में मानव द्वारा इसकी देखभाल के साथ-साथ समय पर इसकी भरपाई करने की भी जरूरत है। चूंकि खेती का क्षेत्रफल बढ़ाना मुश्किल है, मौजूदा खेती वाले क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। मेरठ में मुख्यतः समृद्ध रेतीली मिट्टी पाई जाती है, जिसे कृषि के लिए एक आदर्श मिट्टी माना जाता है,लेकिन कृषि के लिए निरंतर रूप से मिट्टी के उपयोग की वजह से मिट्टी को पुनःपूर्ति का काफी कम समय मिलता है, कारणवश इससे मिट्टी के ह्रास होने का बहुत खतरा होता है।
मृदाक्षय को आवश्यक पौधों के पोषक तत्वों की कमी के माध्यम से मिट्टी की विकृति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वहीं एक अन्य स्थिति, जिसे कृत्रिमक्षय कहा जा सकता है,यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब पिछली फसलों से हानिकारक उत्सर्जन की उपस्थिति के कारण फसल खराब होती है। मिट्टी के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट को अक्सर स्थिर या घटती पैदावार के कारणों में से एक के रूप में उद्धृत किया जाता है।
2016 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा तैयार किए गए भूमि क्षरण पर एक राष्ट्रीय आंकड़ा संचय से पता चलता है कि 120.7 मिलियन हेक्टेयर, या भारत की कुल कृषि योग्य और गैर-कृषि योग्य भूमि का 36.7 प्रतिशत विभिन्न प्रकार के क्षरण से ग्रस्त है, जिसमें 68.4प्रतिशत में जल क्षरण मुख्य योगदानकर्ता है। जल अपरदन से कार्बन का नुकसान, पोषक तत्वों का असंतुलन, मिट्टी का संघनन, मृदाजैव विविधता में गिरावट और भारी धातुओं और कीटनाशकों के साथ संदूषण होता है।नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के अनुसार, हमारे देश में वार्षिक मृदा हानि दर लगभग 15.35 टन प्रति हेक्टेयर है, जिसके परिणामस्वरूप 5.37 से 8.4 मिलियन टन पोषक तत्वों की हानि होती है।मिट्टी के नुकसान की वजह से फसल उत्पादकता पर भी काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है। एनएएएस (NAAS) के अनुमानों के अनुसार, भारत में प्रमुख वर्षा आधारित फसलों को पानी के कटाव के कारण 13.4 मिलियन टन (लगभग 205.32 बिलियन रुपये) का वार्षिक उत्पादन नुकसान होता है।साथ ही जलभराव, जो लवणता के कारण मिट्टी को नुकसान पहुंचाता है, भारत में सालाना 1.2 से 6.0 मिलियन टन अनाज के नुकसान का कारण बनता है। हालांकि शहरीकरण के साथ रसायनों के माध्यम से मृदा विषाक्तता बढ़ रही है। कार्सिनोजेनिक (Carcinogenic) प्रभाव वाली भारी धातुओं के साथ अधिक से अधिक नगरपालिका और औद्योगिक कचरे को मिट्टी में डाला जा रहा है।2015 में भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल के एक अध्ययन ने मिश्रित नगरपालिका ठोस कचरे से भारत के कई शहरों में निर्मित खादों में भारी धातुओं (कैडमियम (Cadmium), क्रोमियम (Chromium), तांबा, सीसा, निकल (Nickel) और जस्ता) की उच्च सांद्रताके बारे में सूचित किया। वहीं ये भारी धातुएं मिट्टी में बार-बार डालने से जमा हो सकती हैं और मिट्टी की उर्वरता को कम करती है।
मृदा स्वास्थ्य, मृदाजैव विविधता पर निर्भर करता है और मृदा संशोधन के माध्यम से इसमें सुधार किया जा सकता है। विभिन्न मिट्टी में ‘विरासत में मिले’ गुणों के आधार पर और मिट्टी की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर स्वास्थ्य के विभिन्न मानक होते हैं।
साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक मिट्टी अपने पर्यावरण के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों को किस हद तक पूरा करती है मिट्टी के स्वस्थ्य को मापा जाता है। भारत में सरकार द्वारा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा एक योजना “मृदा स्वास्थ्य कार्ड(Soil Health Card)” को लागू किया है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड एक मुद्रित विवरण है, जिसमें किसानों को उनके खेत की मिट्टी की संपूर्ण जानकारी मुद्रित रूप में दी जाती है। मृदास्वास्थ्य कार्ड के तहत प्रत्येक किसान को उसकी मिट्टी के पोषक तत्व की स्थिति के बारे में जानकारी देना और उर्वरकों की खुराक पर सलाह देना और लंबे समय तक मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक मिट्टी के संशोधनों के बारे में बताया जाता है।इसमें 12 मापदंडों, अर्थात् N,P,K (दीर्घ-पोषक तत्व); S (माध्यमिक- पोषक तत्व); Zn, Fe, Cu, Mn, Bo (सूक्ष्म पोषक तत्व); और pH, EC, OC (भौतिक मापदंड) के संबंध में मिट्टी की स्थिति के बारे में बताया जाता है। साथ ही यह खाद के गुण और खेत के लिए आवश्यक मिट्टी संशोधन का भी संकेत देता है। किसान इस कार्ड की मदद से उर्वरकों और उनकी मात्रा का प्रयोग सही तरीके से कर सकते हैं और साथ ही यह कार्ड उन्हें मिट्टी में पर्याप्त रूप से संशोधन करने में मदद करेगा। किसानों को यह कार्ड 3 वर्षों में एक बार दिया जाएगा। साथ ही यह अगले तीन वर्षों के लिए प्रदान किए गए कार्ड में पिछले कारकों की वजह से मिट्टी के स्वास्थ्य में आए परिवर्तन को मापने में सक्षम होगा।जीपीएस (GPS) उपकरणों और राजस्व मानचित्रों की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हेक्टेयर और वर्षा आधारित क्षेत्र में 10 हेक्टेयर की मिट्टी के नमूने लिए जाएंगे। इन नमूनों को एक प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा 15-20 सेमी की गहराई से "V" आकार में काटकर एकत्र किया जाएगा। नमूनों को खेत के चार कोनों और क्षेत्र के केंद्र से एकत्र करके अच्छी तरह से मिश्रित किया जाएगा और इसका एक हिस्सा नमूने के रूप में उपयोग कर, इसे विश्लेषण के लिए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं किसानों द्वारा राज्य सरकार को प्रति मिट्टी के नमूने का 190 रुपये देना होगा। इसमें किसान की मिट्टी के नमूने के संग्रह, उसके परीक्षण, उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण की लागत शामिल है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3uzl82y
https://bit.ly/3vNlKmg
https://bit.ly/3pfYnQd
https://bit.ly/34zvtRr
https://bit.ly/3p59oDD
https://bit.ly/3c4ixqU

छवि संदर्भ
1. कृषि जोत का एक चित्रण (unsplash)
2. स्वावलंबन आत्म आपूर्ति के लिए प्याज की रोपाई का एक चित्रण (unsplash)
3.मृदा स्वास्थ्य अवधारणा का एक चित्रण (wikimedia)

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id