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मृदाक्षय को आवश्यक पौधों के पोषक तत्वों की
कमी के माध्यम से मिट्टी की विकृति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वहीं एक अन्य स्थिति, जिसे
कृत्रिमक्षय कहा जा सकता है,यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब पिछली फसलों से हानिकारक उत्सर्जन की
उपस्थिति के कारण फसल खराब होती है। मिट्टी के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट को अक्सर स्थिर या घटती
पैदावार के कारणों में से एक के रूप में उद्धृत किया जाता है।
साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक मिट्टी अपने
पर्यावरण के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों को किस हद तक पूरा करती है मिट्टी के स्वस्थ्य को
मापा जाता है।
भारत में सरकार द्वारा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा एक
योजना “मृदा स्वास्थ्य कार्ड(Soil Health Card)” को लागू किया है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड एक मुद्रित विवरण है,
जिसमें किसानों को उनके खेत की मिट्टी की संपूर्ण जानकारी मुद्रित रूप में दी जाती है। मृदास्वास्थ्य कार्ड के
तहत प्रत्येक किसान को उसकी मिट्टी के पोषक तत्व की स्थिति के बारे में जानकारी देना और उर्वरकों की
खुराक पर सलाह देना और लंबे समय तक मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक मिट्टी के
संशोधनों के बारे में बताया जाता है।इसमें 12 मापदंडों, अर्थात् N,P,K (दीर्घ-पोषक तत्व); S (माध्यमिक- पोषक
तत्व); Zn, Fe, Cu, Mn, Bo (सूक्ष्म पोषक तत्व); और pH, EC, OC (भौतिक मापदंड) के संबंध में मिट्टी की
स्थिति के बारे में बताया जाता है। साथ ही यह खाद के गुण और खेत के लिए आवश्यक मिट्टी संशोधन का
भी संकेत देता है। किसान इस कार्ड की मदद से उर्वरकों और उनकी मात्रा का प्रयोग सही तरीके से कर सकते
हैं और साथ ही यह कार्ड उन्हें मिट्टी में पर्याप्त रूप से संशोधन करने में मदद करेगा। किसानों को यह कार्ड 3
वर्षों में एक बार दिया जाएगा। साथ ही यह अगले तीन वर्षों के लिए प्रदान किए गए कार्ड में पिछले कारकों की
वजह से मिट्टी के स्वास्थ्य में आए परिवर्तन को मापने में सक्षम होगा।जीपीएस (GPS) उपकरणों और राजस्व
मानचित्रों की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हेक्टेयर और वर्षा आधारित क्षेत्र में 10 हेक्टेयर की मिट्टी के नमूने
लिए जाएंगे। इन नमूनों को एक प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा 15-20 सेमी की गहराई से "V" आकार में काटकर
एकत्र किया जाएगा। नमूनों को खेत के चार कोनों और क्षेत्र के केंद्र से एकत्र करके अच्छी तरह से मिश्रित
किया जाएगा और इसका एक हिस्सा नमूने के रूप में उपयोग कर, इसे विश्लेषण के लिए मिट्टी परीक्षण
प्रयोगशाला में स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं किसानों द्वारा राज्य सरकार को प्रति मिट्टी के नमूने का 190
रुपये देना होगा। इसमें किसान की मिट्टी के नमूने के संग्रह, उसके परीक्षण, उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य कार्ड
के वितरण की लागत शामिल है।