कोरोना त्रासदी ने भले ही भारत में बेरोजगारी के स्तर को बेतहाशा बढ़ा दिया हो, लेकिन भारत में बेरोजगारी त्रासदी
का इतिहास पुराना है। 2017-18 में किये गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के परिणामों को
सार्वजानिक करने पर पाया गया है की,
2017-18 में भारत में बेरोजगारी 45 वर्षों के अपने सर्वोच्च स्तर पर थी।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि 2004-05 और 2017-18 के मध्य के 13 वर्षों में देश में लगभग 4.5 करोड़ नए
रोज़गारों की वृद्धि हुई। इन 4.5 करोड़ की वृद्धि में से 4.2 करोड़ रोजगार अवसर शहरी क्षेत्रों में जबकि 2004 और
2011 के बीच ग्रामीण रोजगार मात्र 0.01 प्रतिशत या स्थिर रहा, तथा 2011 और 2017 के बीच केवल 0.18 प्रतिशत
की वृद्धि देखी गई। जहां 13 वर्षों में पुरुषों के लिए 6 करोड़ नए रोजगार अवसर उत्पन्न हुए, वहीं महिलाओं के लिए
रोजगार अवसरों में 1.5 करोड़ की गिरावट देखी गयी। अर्थात
2004 में जहां 11.15 करोड़ महिलाओं को रोजगार
मिला, वहीं 13 साल बाद केवल 9.67 करोड़ को ही रोजगार मिला था।
भारत में दुनिया के किसी देश की तुलना में सबसे अधिक युवा वर्ग है, लेकिन रोजगार के आंकड़ों से पता चलता है कि,
15 से 24 वर्ष की आयु के बीच के युवाओं के लिए 2004 में रोजगार अवसरों की संख्या 8.14 करोड़ थी जो 2017 में
गिरकर में 5.34 करोड़ तक पहुँच गयी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा दिए गए आंकड़ों से
पता चलता है कि 2018 में भारत की बेरोजगारी दर 5.9% थी जो फरवरी 2019 में बढ़कर 7.2% हो गई। फरवरी
2019 तक, भारत में लगभग 31.2 मिलियन बेरोज़गार लोग अपने लिए नौकरी की तलाश में थे। लेकिन 2020 में
आई कोरोना महामारी ने पहले से ही बिगड़े बेरोज़गारी के हालातों को अधिक भयवाह बनाने के लिए उत्प्रेरक का काम
किया। कोरोना महामारी के दौरान सबसे अधिक नौकरियां युवा वर्ग (25-29 वर्ष के आयु) ने गंवाई है। भारत में युवा
(25-29 वर्ष की आयु) कार्यबल की 11% हिस्सेदारी है, लेकिन नौकरियों को गवाने में 46% केवल युवा वर्ग के लोग
थे। सीएमआईई (CMIE) ने जो आंकड़े दिए हैं उनके अनुसार
अप्रैल और जुलाई 2020 के बीच 121 मिलियन लोग
बेरोज़गार हो गए। हालांकि, जुलाई के अंत तक कुछ हद तक नौकरियां गवाने में कमी आयी, जबकि 40 में से 8.9
मिलियन नौकरियां प्राप्त हुईं। सीएमआईई के अनुसार महामारी में उद्द्योगों के घटते विस्तार से नौकरी की नयी
संभावनाओं में भी कमी आयी है। भारत की युवा आबादी के मद्देनज़र आने वाली पीढ़ियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
हालाँकि 40 वर्ष से अधिक की आयु वाले कर्मचारियों को अन्य की तुलना में बेहद कम को नौकरियां गवानी पड़ी।
हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि, 2019-20 में 40 वर्ष से अधिक आयु वालों की हिस्सेदारी देश के कुल कार्यबल
का 56 प्रतिशत थी, वहीं युवाओं के अचानक बेरोज़गार हो जाने के कारण दिसंबर 2020 तक बढ़कर 60 प्रतिशत हो
गई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार युवाओं जिनकी उम्र (40 साल से कम है )
उनकी नौकरी छूटने के कारण अब अधिक उम्र के कर्मचारी शेष रह गए हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत
रिकवरी के लिए अनुकूल नहीं है।
2021 के फरवरी और मार्च में नौकरियों के छूटने में कमी आयी थी, परन्तु
कोरोना
की दूसरी लहर ने कहर ढाते हुए मात्र अप्रैल माह में 7.35 मिलियन नौकरियों को निगल लिया। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग
इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार विभिन्न कार्यक्षेत्र के कर्मचारियों की संख्या मार्च में 398.14
मिलियन से गिरकर अप्रैल में 390.79 मिलियन हो गई। अप्रैल माह में रोजगार दर और श्रम बल की भागीदारी दर में
भी भारी गिरावट देखी गई, और बेरोजगार लोगों की संख्या में ज़बरदस्त वृद्धि देखी गई।
कोरोना की दूसरी लहार अब ग्रामीण भारत में भी हाहाकार मचा रही है, सक्रमण के खतरों के मद्देनज़र खुदरा,
आतिथ्य, पर्यटन और यात्रा उद्योग जैसे बाज़ारों के खुलने और रोज़गार के नए अवसर मिलने की फिलहाल कोई
उम्मीद नज़र नहीं आ रही है। यह एक बहुत बड़ी विडम्बना है कि जहां महामारी से पूर्व ही देश के लाखों युवा
बेरोज़गारी का प्रमाण पत्र लिए घूम रहे थे, वही अब लाखो नौकरियों के छूट जाने से स्थिति को अधिक सोचनीय और
दयनीय दोनों बना दिया है।
संदर्भ
https://bit.ly/346U5Rc
https://bit.ly/34bPqxj
https://bit.ly/3fDxxwW
https://bit.ly/2NsR84Q
https://bit.ly/3hUCrrQ
https://bit.ly/320elRc
चित्र संदर्भ
1. केरल, दक्षिण भारत, भारत में बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शन का एक चित्रण (wikimedia)
2. दिहाड़ी श्रमिकों का एक चित्रण (wikimedia)
3. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भारत में संचयी COVID-19 मामलों का नक्शा। डेटा स्रोत: MoHFW का एक चित्रण (wikimedia)