शंख (Shankha), वायु की सहायता से बजने वाला एक वाद्य यंत्र है, जिसका निर्माण समुद्री मोलस्क (Mollusk) या समुद्री घोंघे के खोल या बाह्य आवरण से किया जाता है। इसका उपयोग कैरिबियन (Caribbean), मेसोअमेरिका (Mesoamerica), भारत, तिब्बत (Tibet), न्यूजीलैंड (New Zealand), प्रशांत द्वीप समूह आदि की विभिन्न संस्कृतियों द्वारा किया गया है। जब इसे बजाया जाता है, तब इसकी भीतरी आकृति तुरही के समान ऊँची ध्वनि उत्पन्न करती है। भारत में, हिंदू परंपरा के अनुसार शंख, भगवान विष्णु का एक पवित्र प्रतीक है, जो महिला प्रजनन क्षमता, समृद्धि और जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। शंख को उसके रंग तथा घुमाव की दिशा के आधार पर भी पवित्र माना जा सकता है। यदि शंख दक्षिणावर्त है, तो उसे बहुत पवित्र माना जाता है, क्यों कि उसका घुमाव सूर्य, चंद्रमा, तारों और आकाश की वृत्तीय गति को दर्शाता है। मेसोअमेरिकन और कैरेबियन जनजातियों में, यह उपकरण मुख्य रूप से शिकार, युद्ध और प्रार्थना अनुष्ठानों के लिए उपयोग किया जाता था। वर्तमान मेक्सिको (Mexico) के प्राचीन शहर तेओतिहुआकान (Teotihuacan) का शंख के साथ मजबूत प्रतीकात्मक संबंध था। इसे व्यापक रूप से कलाकृति में चित्रित किया गया तथा उन समारोहों में अत्यधिक इस्तेमाल किया गया, जो पानी और पुरुष प्रजनन क्षमता से सम्बंधित थे। इसके आकार को देखकर यह आभास होता है, कि जैसे पानी बाहर की ओर बह रहा है, फसलों और लोगों को पोषण दे रहा है तथा नए मानव जीवन का निर्माण कर रहा है। इस संदर्भ में शंख, पुरुष के पौरुष और कामुकता का प्रतिनिधित्व भी करता है। योद्धाओं और उच्च स्तर के पुरुषों को शंख के साथ दफनाया जाता था। इसके अलावा फिजी (Fiji) जैसे विभिन्न प्रशांत द्वीप संस्कृतियों में, शंख का उपयोग गांव में मेहमानों के आगमन या अंतिम संस्कार समारोहों में आने की घोषणा करने के लिए किया जाता था, जहां इसे तब तक बजाया जाता था, जब तक मृतक के शरीर को दफना न दिया जाए। तो आइए, इन वीडियो के माध्यम से देखते हैं, कि उन्हें कैसे बनाया जाता है तथा समारोहों में उनका उपयोग कैसे किया जाता है।