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पुलाव, चावल और मांस से निर्मित एक बेहद स्वादिष्ट व्यंजन है। पारम्परिक मुस्लिम परिवारों में यह बेहद
महत्वपूर्ण व्यजन है, दावत, त्योहारों, और सामूहिक भोजों में यह खासतौर पर ज़रूरी हो जाता है।
रामपुर शहर अपने स्वादिष्ट और विभिन्न रंगों के पुलाव के संदर्भ में खासा लोकप्रिय है। यहाँ पुलाव का अंतिम
संस्कार में भी बेहद महत्व है जहाँ मृत्यु होने पर जब ताबूत को कंधों में रखकर बाहर ले जाया जाता है, उसके बाद घर
के भीतर शोकग्रस्त महिलाएं ही रह जाती हैं। शोक और दुःख थोड़ा कम हो जाने पर सभी उदास बैठी महिलाओं के
लिए पुलाव की दावत का प्रबंध किया जाता है, साथ ही इसे परोसने का समय भी महत्वपूर्ण हो जाता है - यह ज़रूरी
होता है, कि इसे सारा दम (जीवन रूपी भाप ) निकलने से पहले परोस दिया जाय।
रामपुर में यखनी पुलाव बहुत प्रसिद्द है, इसके मांस, मसालों और चावल के खास मिश्रण की खुशुबू लोगो के मन में
बसी है। यखनी पुलाव विशेष रूप से लखनऊ तथा हैदराबाद में भी बड़े चाव से खाया जाता है। यहाँ बिरयानी की
अपेक्षा पुलाव को ही खास महत्ता दी जाती है। यखनी पुलाव में उबला हुआ मांस विशेष होता है, वही बिरयानी की
विशेषता उसके उबले हुए चावल होते हैं।
अधिकांश रामपुरी घरों में आज मूल यखनी पुलाव बड़े चाव से पकाया जाता
है। विरासती दौर में भी यह स्वादिष्ट शाहजहानी, मीठे पुलाव- शीर शकर (दूध और चीनी) से लेकर अन्नास
(अनानास) , इमली (तामरीन) पुलाव आदि बनाये जाते थे।
रामपुर के कोठी खासबाग में एक अलग चावल की रसोई थी - और खानसामा रसोइया सबसे उत्तम और नवीन चावल
के व्यंजन बनाने में प्रसिद्ध थे। रामपुर की प्राचीन विरासतों जैसे "खासबाग पैलेस" में खानसामा रसोइया खास
महत्व रखते हैं। अपने एक लेख "मशाहिदत" में नवाब होश यार जंग बिलग्रामी (वे 1914 से 1926 तक नवाब हामिद
अली खान के दरबार से जुड़े रहे) लिखते हैं कि, "यहां की रसोई में लगभग 150 रसोइए थे, उनमें से हर कोई किसी
एक व्यंजन का उस्ताद था। "ऐसे रसोइये मुगल बादशाहों के पास या ईरान, तुर्की और इराक में नहीं मिल सकते थे।"
पुलाव के विभिन्न रूपों की लोकप्रियता विश्व के अनेक देशों जैसे कैरिबियन, दक्षिण काकेशस, मध्य एशिया, पूर्वी
अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और मध्य एशिया में व्याप्त है। काबुली पुलाव अफगानिस्तान का
राष्ट्रीय व्यंजन है। अलग-अलग स्थानों के अनुसार यह अनेक वैकल्पिक नामों जैसे पोलो, पोलु, कुरीश, फूलो, फुलाव,
फुलाव, फूलब, ओश, इत्यादि से भी जाना जाता है।
इसे नरम और भाप के साथ परोसा जाता है इसे बनाने के लिए चावल, स्टॉक या शोरबा, मसाले, मांस, सब्जियां, सूखे
मेवे आदि मुख्य सामग्रियों में से हैं। अब्बासिद खलीफा के शासनकाल में चावल और मांस को दिलचस्प तौर पर
पकाने के ऐसे तरीके पहले भारत से स्पेन और फिर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में विस्तारित हो गए। लेखक केटी-आचार्य
के अनुसार, “प्रसिद्ध भारतीय महाकाव्य महाभारत में चावल और मांस को एक साथ पकाए जाने का वर्णन मिलता
है।”
इस लज़ीज़ व्यंजन को बनाने के लिए कई रसोइये बासमती और कुछ अन्य प्रकार के लंबे अनाज वाले चावल का भी
उपयोग करते हैं। सबसे पहले चावल को भली भांति धोया जाता है, जिससे उसमें उपस्थित स्टार्च हटा दिया जाता है।
जिसके बाद उन्हें पानी में पकाया जा सकता है। इसके बाद तली हुई प्याज और इलायची, तेजपत्ता और दालचीनी जैसे
सुगंधित मसालों तथा आमतौर पर मांस या सब्जियों के साथ बनाया जाता है।
इसे सादा भी बनाया जा सकता है
जिसे तुर्की में साडे पिलाव, फारसी में चेलो और अरबी में रज मुफलफल कहा जाता है। खास मौकों पर पीलापन लाने
के लिए इसमें केसर का भी इस्तेमाल किया जाता है।
चावल को उबालने के पश्चात इसे अलग-अलग पारंपरिक तरीकों से निर्मित जाता है। पुलाव को उसके बेहतरीन
स्वरूप में खाने का आनन्द ही अलग है। इसके सर्वोच्च स्तर पर स्वादिष्ट खाने के लिए तहदिग (Tahdig) का
उच्चारण किया जाता है। जिसका अर्थ होता है 'बर्तन के नीचे' चावल की सुनहरी परत जो अच्छी तरह से मिश्रित हो।
यदि आप भी इस प्रकार का पुलाव खाने के इच्छुक हैं तो, आपको सर्विंग प्लेट पर पलटने से पहले पैन के निचले
हिस्से को एक मिनट के लिए ठंडे पानी में डुबोना होगा। यहाँ चावल से भरे बर्तन को संभालना भी एक चुनौती है।
संदर्भ
https://bit.ly/3uj8x37
https://bit.ly/3hRqSBW
https://bit.ly/3ulHAf9
चित्र संदर्भ
1. मटन के यखनी पुलाव का एक चित्रण (flickr)
2. सादे वेज पुलाव का एक चित्रण (youtube)
3. स्वादिष्ट मटन तवा पुलाव का एक चित्रण (flickr)