आज मनुष्य धरती पर मौजूद किसी भी अन्य प्रजाति से बौद्धिक तथा सामाजिक स्तर पर बेहद अधिक विकसित
होने का दावा कर सकता है। तकनीक, आधुनिक शहर और अन्य कई उपकरण इस कथन को सार्थक करते हैं। परंतु
मानव प्रजाति का ज़बरदस्त विकास औजारों के उपयोग के बिना निश्चित ही अधूरा रहता। औजारों के दम पर
मनुष्य ने शिकार करना सीखा, औजारों से औजार बनाना सीखा और धरती पर हजारों सालों से टिके रहने में सफल
हुआ। धीरे-धीरे वैज्ञानिक यह स्पष्ट कर पा रहे हैं, की किस प्रकार हमारे पूर्वजों के द्वारा निर्मित औजारों ने मानवता
के विकास को प्रभावित किया।
मनुष्य के साथ कई समानता रखने वाले जीव चिंपाजी, शिकार के लिए खुद के हथियार निर्मित करने सक्षम हैं। इन्हे
हमारे पूर्वज के रूप में भी देखा जाता है। हमारे पूर्वजों द्वारा शुरू में लकड़ी के हथियारों का इस्तेमाल किया जाता था,
और
लगभग 2.6 मिलियन वर्ष पूर्व इथियोपिया के गोना (Gona, Ethiopia) में मनुष्य ने पत्थर के औजारों का
निर्माण करना शुरू किया। पत्थर से औजार बनाने की जिज्ञासा में माइक्रोलिथ नामक ज़बरदस्त और क्रन्तिकारी
औजार का निर्माण हुआ। माइक्रोलिथ आमतौर पर चकमक पत्थर या चर्ट से बना एक छोटा किन्तु धारदार औजार
होता है। यह प्रायः एक सेंटीमीटर लंबा तथा आधा सेंटीमीटर चौड़ा होता है। प्रारंभ में यह लगभग 35,000 से 3,000
वर्ष पहले यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में हमारे पूर्वज मनुष्यों द्वारा निर्मित किये गए थे। माइक्रोलिथ
का उपयोग प्रायः भाले के सिरे तथा तीर के नुकीले निशानों को बनाने में किया जाता था। माइक्रोलिथ को दो श्रेणियों
लैमिनार (Laminar) और ज्यामितीय में विभाजित किया जाता है। लैमिनार माइक्रोलिथ आकार में बड़े होते थे
जिनका संबंध पुरापाषाण काल के अंत और एपिपेलियोलिथिक(Epipaleolithic) युग की शुरुआत से है। वही
ज्यामितीय माइक्रोलिथ त्रिकोणीय, समलम्बाकार अथवा चंद्राकार में होते थे। शिकार के परिपेक्ष्य यह बेहद प्रचलित
थे, परंतु 8000 ईसा पूर्व में कृषि की शुरुआत के साथ ही इसके निर्माण में भारी गिरावट आई। परंतु कई संस्कृतियों में
यह लंबे समय तक शिकार हेतु हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल होता रहा। इनका अन्य उपयोग लकड़ी, हड्डी, राल
और फाइबर के औजार या हथियार बनाने के लिए भी किया जाता था। पुरातत्व में पत्थर के एक नुकीले औजार को
ब्लेड(blade) से परिभाषित किया जाता है। यह एक प्रकार का पत्थर का उपकरण होता है जो पत्थर के कोर को
घिसकर, नुकीला करके बनाया जाता है। ब्लेड बनाने की इस प्रक्रिया को लिथिक रिडक्शन (Lithic reduction) कहा
जाता है। ब्लेड के लंबे नुकीले कोणों ने उन्हें विभिन्न परिस्थियों के अनुसार बहुपयोगी बना दिया था, प्राचीन समय में
ब्लेड को अक्सर भौतिक संस्कृति की छपाई प्रक्रिया में उपयोग किया जाता था। धरती पर औजारों के विकास ने
हमारे विकास को बड़े स्तर पर प्रभावित किया। शिकार करने, निर्माण करने और चित्रकारी करने जैसी कई
जटिलताओं को औजारों के दम पर आसान कर दिया गया, और समय बचत होने से मनुष्य अन्य स्तरों पर भी
विकास करने लगा।
पाषाण काल के अंतिम चरण को नवपाषाण युग कहा जाता है। 7,000 ई.पू. का यह समय मुख्यतः धरती पर खेती की
शुरुआत तथा पत्थरों के तराशे गए हथियारों और औजारों के उपयोग के लिए प्रसिद्ध है। पाषाण युग के दो अन्य
चरण - पुरापाषाण युग (500,000 ईसा पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व) और मध्य पाषाण युग (9,000 ईसा पूर्व से 4,000
ईसा पूर्व) थे। इस दौरान
लोगों ने घिसें और पॉलिश किए हुए पत्थरों के साथ-साथ हड्डियों से बने औजारों के
माइक्रोलिथिक ब्लेड का इस्तेमाल भी करना सीखा। साथ ही उन्होंने कुल्हाड़ियों, छेनी और सल्ट को भी पहली बार
आजमाया।
भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग (जैसे कश्मीर), दक्षिणी भाग (कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश), उत्तर
पूर्वी सीमांत (मेघालय) और पूर्वी भाग (बिहार और ओडिशा) में नवपाषाण कालीन बस्तियों के होने के संकेत मिले है।
इस समय में इंसान रागी, चना, कपास, चावल, गेहूं और जौ की खेती करना सीख चुके थे। साथ ही वे मवेशी, भेड़ और
बकरियों को भी पालते थे। इस युग के लोग आयताकार या गोलाकार घरों में रहने लगे थे, जो घर प्रायः मिट्टी और
ईख से निर्मित होते थे। कृषि के विकास के साथ-साथ ही लोगों को अपने अनाज को इकट्ठा करने, खाना बनाने, पीने
के पानी की व्यवस्था करने जैसी आवश्यकताओं को देखते हुए मिट्टी के बर्तनों का निर्माण भी किया, और उन्होंने
एक व्यवस्थित जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया था।
संदर्भ
https://bit.ly/3f92QAw
https://bit.ly/3441qRE
https://bit.ly/2TbtRLf
https://bit.ly/3uarJjH
https://bit.ly/3hMCMx4
चित्र संदर्भ
1. पाषाण युग की चित्रकारी एक चित्रण (wikimedia)
2. पाषाण युग के औजारों का एक चित्रण (wikimedia)
3. माइक्रोलिथिक ब्लेड का एक चित्रण (wikimedia)