कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के इस बेहद चुनौतीपूर्ण समय में हम लगातार मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और ऐसे में पीने के स्वच्छ पानी तक पहुंच और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है। ये जानना जरूरी है कि कोविड-19 से बचाव के उपायों में सुरक्षित पेयजल भी एक महत्त्वपूर्ण उपाय है।पीने का साफ पानी और सैनिटेशन (sanitation) यानि स्वच्छता तक पहुंच दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए आसान नहीं है और यह असमानता भविष्य मे होने वाले घातक प्रभावों के महत्त्वपूर्ण उदाहरणों में से एक है। दुनिया भर में लगभग 2.2 बिलियन लोगों के पास सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सेवाओं तक पहुंच नहीं है, जबकि 4.2 बिलियन लोगों के पास स्वच्छता सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं और 3 बिलियन लोग बुनियादी तौर पर हाथ धोने की सुविधा से भी वंचित हैं।
धरती पर जल संकट व्याप्त है,
शायद मानव की बुद्धि समाप्त है,
पानी की बूँद-बूँद भी बच जाए तो,
बचा हुआ पानी भी पर्याप्त है।
जैसा की हम जानते ही हैं कि कोरोना संक्रमण के बीच पानी की मांग लॉकडाउन (Lockdown) के कारण नहीं, बल्कि स्वच्छता उपायों को अपनाने और बार बार हाथ धोने के कारण बढ़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने शुरुआत में ही संक्रमण को रोकने के लिए हैंडवॉश (Handwash) करने और पर्याप्त स्वच्छता बनाए रखने की गाइडलाइन (Guideline) जारी कर दी थी। सभी देश विभिन्न माध्यमों से जनता को हाथ धोने के लिए बार बार याद भी दिला रहे थे। ऐसे में पानी की खपत बढ़ गई है, क्योंकि लगभग हर व्यक्ति हाथ धोने लगा है, इससे पानी की मांग बढ़ी।कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के लिए नियमित तौर पर स्वच्छता अपनाना बेहद जरूरी है, जिसके लिए साबुन और पानी से हाथों को 20 सेकंड तक धोना है। कोविड -19 के खिलाफ इस लड़ाई में साबुन से हाथ धोना महत्त्वपूर्ण है। कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया को स्वच्छता और साफ पानी का महत्व बता दिया है, लेकिन इन परिस्थितियों में उन देशों के लिए स्वच्छता बनाए रखना एक चुनौती बन गया है, जहां न तो स्वच्छता की पर्याप्त सुविधा है और न ही साफ पानी की पहुंच।
भारत में लाखों लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में खराब स्वच्छता और हैंडवॉशिंग (Handwashing) सुविधाओं के अभाव के कारण कोरोनावायरस और कई अन्य संक्रामक रोगों से हजारों लोगों की मौत हो रही है।भारत में स्वच्छ पानी तक पहुंच की समस्या चिंताजनक है।राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey-NFHS-4) के आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्र में 81.65% घरों में पानी की उपलब्धता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में केवल 58.05% घरों में ही पानी की उपलब्धता है।ग्रामीण क्षेत्र में,51 %परिवार पानी के लिए ट्यूबवेल (tubewell) पर निर्भर हैं,और इमनें से 70%से अधिक लोग पीने से पहले पानी का कोई उपचार नहीं करते हैं।56% परिवार घर के बाहर से पानी लाते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि भारत में आबादी का एक बड़ा हिस्सा सामुदायिक नलकूपों या नलों पर निर्भर है जहाँ पानी के साझा स्रोत को देखते हुए शारीरिक दूरी बनाए रखना मुश्किल है।ऐसे में सुविधाओं से वंचित इन इलाकों में कोरोना फैलता है, तो संक्रमितों की संख्या में कई गुना इजाफा हो सकता है। जिस कारण कोरोना से निपटना काफी मुश्किल हो सकता है।
इसके अलावा कोरोना काल में भारत के जल संसाधनों पर विशेष रूप से नदी के पानी की गुणवत्ता, घरेलू और वाणिज्यिक क्षेत्रों में पानी के उपयोग, अपशिष्ट जल उपचार क्षेत्र और कृषि क्षेत्र पर कोविड-19 का विशेष प्रभाव भी पड़ा है।जहां एक ओर लॉकडाउन से नदियों का पानी साफ हुआ तो वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन ने घरेलू पानी की मांग को बढ़ा दिया है और वाणिज्यिक क्षेत्र (commercial sectors) जल की मांग को कम कर दिया है। कुछ स्थानों पर लॉकडाउन के दौरान कम वाणिज्यिक गतिविधियों के कारण पानी की खपत में कमी दर्ज की गई।लॉकडाउन के कारण, अधिकांश कृषि गतिविधियों को कुछ महीनों के लिए निलंबित या स्थगित कर दिया गया था, जिसका सीधा प्रभाव सिंचाई और फसल उत्पादन के लिए पानी की निकासी पर पड़ा।साथ ही साथ कम कृषि गतिविधियों और आपूर्ति श्रृंखला ने भारत में सब्जियों, फलों और तेल की आपूर्ति में 10% की गिरावट की। इसलिए अन्य वक्त की अपेक्षा इस समय जल संकट से निपटना बेहद जरूरी है, इसके लिए हर किसी को एक साथ सामूहिक रूप से कार्य करना होगा।
वास्तव में, कोरोना संक्रमण ने पूरे विश्व का ध्यान जल संकट की ओर खींचा और साफ जल के महत्व से पूरी दुनिया को परिचित करवाया है, लेकिन जल संकट से जलवायु परिवर्तन भी हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा और बाढ़ जैसी घटनाएं तेजी से हो रही हैं। ऐसे में समय भले ही कोरोना लोगों की जान ले रहा है, लेकिन इसने हमें भविष्य की राह दिखाई है, कि पर्यावरण और जल संरक्षण क्यों जरूरी है। इसके लिए हमें अभी से नीतियों पर काम करने की आवश्यकता है और पर्यावरण संरक्षण आधारित विकास पर जोर देना जरूरी है। जिसमें स्वच्छता के उपायों की भी व्यवस्था की जाए। क्योंकि यदि हम आज भी जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरुक नहीं हुए, तो भविष्य में इस प्रकार की बीमारियों को रोक पाना मुश्किल होगा।साथ ही साथ जल संरक्षण से आप पानी के बिल को कम कर सकते हैं।
इस काल में जो लोग पानी का उपयोग करने में कुशल हैं उनका बिल निश्चित तौर पर कम आयेगा और जो पानी को प्रचुर मात्रा में उपयोग करते हैं,उनका मासिक बिल अधिक आयेगा।आपका पानी का मीटर कैसे काम करता है, इसकी समझ होने से आपको अपने पानी के संरक्षण और पानी के बिल को कम करने में सहायता मिलेगी।यह वाटर मीटर (Water Meter) पानी की लाइन पर मुख्य नियंत्रण वाल्व (main control valve) में लगा होता है। पानी के संरक्षण के लिये आप अन्य उपाय भी अपना सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
• बाथरूम (bathroom)में पानी की बचत:
दोहरे फ्लश (Dual flush) वाले शौचालय पारंपरिक शौचालयों की तुलना में 67 फीसदी कम पानी का उपयोग करते हैं।लीक (leak) हो रहे टॉयलेट फ्लश (Toilet Flush) और नल को ठीक करें, ताकि पानी बर्बाद ना हो।कम प्रवाह वाले शावरहेड (showerhead) का उपयोग करें।अपने साथ बाथरूम (bathroom) में टाइमर (Timer), घड़ी या स्टॉपवॉच (Stopwatch) लें कर कम समय में स्नान करने की कोशिश करें और शॉवर के बजाय बाल्टी से नहाएं।अपने शरीर में साबुन लगाते समय पानी बंद कर दें।उपयोग के बाद नल को कसकर बंद करें।
• किचन में पानी की बचत:
किचन के नल की फिटिंग (Fitting) में शॉवर हेड लगाएं, जिससे 30% तक पानी की बचत होती है। बर्तनों में साबुन लगाते समय नल को बंद कर दें। डिशवॉशर (Dishwasher)भी हाथ से बर्तन धोने की तुलना में पानी बचा सकते हैं। सब्जियों को एक पूर्ण सिंक (full sink) या पानी के पैन (pan) में धोएं।
• कपड़े धोते समय पानी की बचत:
वॉशिंग मशीन (washing machine) का उपयोग करते समय, तब तक प्रतीक्षा करें जब तक आपके पास कपड़ों की संख्या अधिक न हो। फ्रंट लोडर (Front loader) वॉशिंग मशीनटॉप लोडर (top loaders) की तुलना में बहुत कम पानी का उपयोग करती है।संभव हो सके तो कपड़े एक से अधिक बार पहनें और अतिरिक्त कपड़ों का उपयोग न करें।ठंडे पानी में गहरे रंग के कपड़े धोने से पानी और ऊर्जा दोनों की बचत होती है और यह कपड़ों के रंग को बनाए रखने में भी मदद करता है। तौलिये का पुन: उपयोग करें।
• बगीचे में पानी की बचत:
फुटपाथ (sidewalks) और बगीचे के फर्नीचर को साफ करने के लिए पानी की बजाय झाड़ू का प्रयोग करें।सूक्ष्म छिड़काव (micro-sprinklers) या ड्रिप सिंचाई प्रणाली (drip irrigation systems) का प्रयोग करें, यह पौधों को गहरी जड़ें विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे उन्हें कम पानी की आवश्यकता होगी।नमी बनाए रखने के लिए अपने बगीचे में घास, खाद, पत्ते, लकड़ी, छाल और अखबार आदि का प्रयोग करें।
• पानी बचाने के लिए अन्य अपरंपरागत सुझाव:
प्रत्येक दिन अपने पीने के पानी के लिए एक गिलास निर्दिष्ट करें या एक पानी की बोतल का उपयोग करें, ताकि बर्तन धोने में कम पानी लगे।अपने ओवरहेड टैंक (overhead tank) को ओवरफ्लो (overflow) न होने दें। समय का नियमन करें।फिश टैंक (fish tanks) की सफाई करते समय इसका पानी पौधों में डाल दें। स्विमिंग पूल (swimming pool) कवर के रखें ताकि वाष्पीकरण ना हो।
संदर्भ:
https://bit.ly/3uQAn82
https://bit.ly/33WTNfv
https://bit.ly/3hy09tO
https://bit.ly/3eYCRvP
https://bit.ly/33NLhjd
चित्र संदर्भ
1. जल कलश के साथ बच्चे तथा कोरोना वायरस का एक चित्रण (Unsplash)
2. पीने के पानी का संकट का एक चित्रण (wikimedia)
3. केप टाउन वाटरफ्रंट में दीवार बनाए रखने पर जल संरक्षण संदेश का एक चित्रण (wikimedia)
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