भारत ही नहीं वरन् विभिन्‍न देशों की संस्‍कृति में गाय की उल्‍लेखनीय भूमिका

मेरठ

 19-04-2021 03:33 PM
स्तनधारी

हिन्‍दू धर्म में वैदिक काल से ही गाय का विशेष महत्‍व रहा है।लोक मान्यताओं, साहित्यों और पौराणिक कथाओं में इसकी स्‍पष्‍ट झलक दिखाई देती है। वैदिक काल के दौरान होने वाले युद्धों में गाय को संपत्ति के रूप में लूटा जाता था। जिसका प्रमुख कारण संभवत: गाय के द्वारा की जाने वाली बहुमुखी उद्देश्‍यों की पूर्ति रहा होगा। भारत में ही नहीं वरन् अन्‍य देशों की संस्‍कृति में भीगायकी विशेष भूमिका है I फारसी सभ्यता में यह प्रकाश और अंधकार के मध्‍य संघर्ष का प्रतिनिधित्‍व करती है।प्राचीन ईरान में चंद्रमा की देवी को गाय के रूप में दर्शाया गया है।अवेस्ता (ईरानी धार्मिक ग्रंथ)में कहा गया है कि चंद्रमा गू शोरोवन (Goo Shoravan) की संतान है जिसका अर्थ है गाय की आत्‍मा।गाय सृष्टि की कहानी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और पृथ्वी में बादलों और हवाओं को नियंत्रित करती है। रोमन रहस्‍यवाद मिथ्रावाद(Mithraism) में गाय को एक प्रमुख आकृति के रूप में चिन्हित किया गया है। कसाई, मिथ्र (Mithra), पवित्र गाय का बलिदान करता है और जमीन पर खून बिखेर कर गेहूं उगाता है।नैतिकता के मुस्लिम शिक्षकों के अनुसार गाय की बलि देने का मतलब था खुद को वासना और अविश्वास से मुक्त करना।ईरान में खुदाई में मिली कई ऐतिहासिक प्राचीन वस्तुएँ जो पाषाण युग से संबंधित हैं उनमें से एक गाय के शरीर की है।
हिब्रू बाइबिल (Hebrew Bible) के अनुसार, गोल्डन बछड़ा (golden calf) एक मूर्ति (एक पंथ छवि) थी, जिसे हारून द्वारा मूसा की अनुपस्थिति के दौरान इस्राएलियों को संतुष्ट करने के लिए बनाया गया था, जब वह माउंट सिनाई (Mount Sinai) तक गए थे। हिब्रू में, घटना को "द सिन ऑफ द काफ" (The Sin of the Calf) के रूप में जाना जाता है। स्वर्ण बछड़े की पूजा की घटना कुरान और अन्य इस्लामी साहित्य में भी वर्णित है।
चीन (China) में कई राजाओं के शासनकाल के दौरान गोमांस को प्रतिबंधित किया गया था। कुछ सम्राटों ने गायों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया था। चीनी दवा में गोमांस के उपयोग की सिफारिश नहीं की जाती है, क्योंकि इसे एक गर्म भोजन माना जाता है जो कि शरीर के आंतरिक संतुलन को बाधित करता है।बर्मा (Myanmar) में विशेष रूप से बौद्ध समुदाय के भीतर गोमांस निषेध काफी व्यापक है।जापान में मांस-भक्षण लंबे समय से वर्जित था, जिसकी शुरुआत 675 में हुई थी, जिसमें मवेशियों, घोड़ों, कुत्तों, बंदरों और चिकन के सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जो कि बौद्ध निषिद्ध हत्या से प्रभावित थे। यहां यूरोपीय लोगों के आगमन के बाद गोमांस तेजी से लोक प्रिय हुआ।नेपाल (Nepal) में, गाय राष्ट्रीय पशु है। नेपाल में, एक हिंदू बहुसंख्यक देश, गायों और बैल के वध पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। गायों को देवी लक्ष्मी (धन और समृद्धि की देवी) की तरह माना जाता है।प्राचीन मिस्रियों ने जानवरों का बलिदान दिया, लेकिन गाय का नहीं क्योंकि यह देवी हठोर (Hathor) के लिए पवित्र था।

हिंदू धर्म में गाय को बहुत पवित्र माना जाता है। अधिकांश हिंदू इसके कोमल स्वभाव के लिए इसका सम्मान करते हैं यह हिंदू धर्म के मुख्य शिक्षण "अहिंसा" का प्रतिनिधित्व करती है। हिंदू गाय की पूजा करते हैं। प्राचीनकाल से ही गाय संभवतः पूजनीय थी क्योंकि यह दुग्‍ध उत्पादों के लिए और खेतों को जोतने, ईंधन और उर्वरक के स्रोत के रूप में कार्य कर रही थी। इस प्रकार, गाय की स्थिति को 'कार्यवाहक' के रूप में पहचानने के लिए इसे लगभग मातृ आकृति के रूप में जाना गया। महात्मा गांधी के अनुसार, “किसी भी राष्ट्र की महानता और उसकी नैतिक प्रगति को उसके जानवरों के साथ व्यवहार करने के तरीके से मापा जा सकता है। मेरे लिए गाय संरक्षण केवल गाय का संरक्षण नहीं है। इसका मतलब है उन सभी का संरक्षण जो दुनिया में असहाय और कमजोर हैं। गाय का अर्थ है संपूर्ण उपमानीय दुनिया।”
भारत के पहले स्‍वतंत्रता संग्राम (1857 की क्रांति) में भी गाय के प्रति श्रद्धा ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। हिंदू और मुस्लिम सिपाहियों का मानना था कि ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company)सेना को जो कारतूस उपलब्‍ध करा रही है उसमें गाय और सूअर की चर्बी का उपयोग किया गया है। इस्लाम में सूअर का सेवन वर्जित है। जिससे इन्‍हें लगा कि अंग्रेज उनके धर्म को आहत करने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके परिणामस्‍वरूप 1857 की क्रांति का आगाज हुआ।
गाय का दूध सभी पोषक तत्‍वों से भरपुर होता है। दूध से बने घी (स्पष्ट मक्खन) का उपयोग समारोहों में और धार्मिक भोजन तैयार करने में किया जाता है। गोबर का उपयोग उर्वरक के रूप में, ईंधन के रूप में और घरों में कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है। आधुनिक विज्ञान कहता है कि गाय के गोबर से निकलने वाला धुआँ एक शक्तिशाली कीटाणुनाशक है और प्रदूषण के खिलाफ अच्छा स्‍त्रोत है। गाय के मूत्र का उपयोग धार्मिक समारोहों के साथ-साथ चिकित्सा कारणों से भी किया जाता है।भारत में, गौशाला नामक 3,000 से अधिक संस्थाएं बूढ़ी और दुर्बल गायों की देखभाल करती हैं। एक गाय के उपहार को सर्वोच्च उपहार के रूप में सराहना की जाती है।
दुनिया भर में 800 से अधिक गायों की नस्लें हैं, सभी दूध के अच्छे उत्पादक नहीं हैं। कई नस्लों को गोमांस उत्पादन के लिए पाला जाता है और कई नस्लों को दूध उत्पादन या दोनों के लिए पाला जाता है। कुछ सबसे अच्‍छी गाय की नस्‍लें जो अधिक दूध का उत्पादन करती हैं:
होल्स्टीन (Holstein):
* दुग्ध उत्पादन: 11,800 किलोग्राम प्रति वर्ष
* भेद: यह दुनिया में सबसे अधिक उत्पादन वाली दुधारू पशु है।
नॉर्वेजियन रेड (Norwegian Red):
* दुग्ध उत्पादन: प्रति वर्ष 10,000 किलोग्राम
* उत्पत्ति: नॉर्वे (Norway)
* भेद: यह हार्डी (hardy)मवेशी नस्ल अपने दूध की समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है
* वजन: 600 किलोग्राम
कोस्त्रोमा मवेशी नस्ल (Kostroma Cattle Breed):
* दुग्ध उत्पादन: प्रति वर्ष 10,000 किलोग्राम
* उत्पत्ति: कोस्त्रोमा ओब्लास्ट, रूस (Kostroma Oblast, Russia)
* भेद: यह लगभग 25 वर्ष की उम्र तक जीती हैं।
भारत की देशी गाय की किस्में:

2019 में मेरठ शहर में अवैध रूप काम कर रही डेयरी को शहर से बाहर करने के आदेश दिए गए जिसके चलते डेयरी मालिकों ने 24 घंटों के अंदर-अंदर 200 से अधिक भैंसों को बूचड़ खानों में बेच दिया गया। डेयरी (Dairy) मालिकों, विशेष रूप से छोटे मालिकों, जो स्थानांतरण के लिए तत्काल व्यवस्था नहीं कर सकते थे, उन्‍होंने अपने मवेशियों को बहुत कम कीमतों पर बेचने के लिए विवश होना पड़ा।

संदर्भ:
https://bit.ly/3mSLBFW
https://bit.ly/3ghmH1E
https://bit.ly/3uWOwQJ
https://bit.ly/2B7SrQL
https://en.wikipedia.org/wiki/Cattle
https://bit.ly/3e9Lthb

चित्र सन्दर्भ:
1.भगवान कृष्ण को अक्सर गायों के साथ उनके संगीत को सुना जाता है।
2.हिंदू धर्म में बछड़े की तुलना भोर से की जाती है। यहाँ, एक साधु के साथ

RECENT POST

  • आइए देखें, अपने अस्तित्व को बचाए रखने की अनूठी कहानी, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:17 AM


  • आर्थिक व ऐतिहासिक तौर पर, खास है, पुणे की खड़की छावनी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id