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बैसाखी बैसाख सौर महीने का पहला दिन होता है। हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए यह एक पावन पर्व होता है। इस दिन हरिद्वार और ऋषिकेश में भव्य मेले आयोजित किये जाते हैं। देश भर के कोने-कोने से लोग गंगा स्नान और गंगा आरती के लिए यहाँ आते हैं। बैसाखी को मेष संक्रांति भी कहा जाता है, क्यों की इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। यह प्रतिवर्ष 14 तथा 15 अप्रैल को हिन्दू, सिख तथा बौद्ध धर्म का पालन करने वाले लोगों द्वारा पूरे उत्साह से मनाया जाता है। बैसाखी हिन्दू सोलर कैलेंडर (Hindu Solar Calendar) के अनुसार नए साल का पहला दिन होता हैं। इस दिन गंगा नदी के तट पर बेहद भव्य आरती होती है। ऐसा माना जाता है कि पहली बार माँ गंगा धरती पर बैसाखी के दिन ही अवतरित हुई थी। हिन्दू धर्म के पालक इस दिन स्नान करते हैं, पूजा करते हैं, और अनेक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित करते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों में आज अनेक प्रकार की परंपराएं और त्यौहार मनाये जाते हैं। जिनमे से कुछ निम्नवत हैं।
1. विशु
विशु भारत के केरल राज्य में हिन्दू नववर्ष के मौके पर मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस दिन यहाँ के लोग नए वस्त्र खरीदते हैं। विशेष प्रकार से 'विशु कानी' सजाई जाती है। यह एक खास प्रकार की धार्मिक परंपरा है, जिसमें किसी पात्र अथवा निश्चित स्थान में विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति लगाई जाती है। जिस मूर्ति के आस पास फूल, फल, अनाज, वस्त्र, सोना, चावल, सुनहरा नींबू, सुनहरा ककड़ी, नारियल का खुला, काजल, सुपारी जैसी अनेक वस्तुओं से सजाया जाता है। और प्रातः काल में जल्दी उठने के पश्चात इसके दर्शन किये जाते हैं और ईश्वर से सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
2. बिखोरी उत्सव
यह उत्सव भारत के पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में मनाया जाता है। जहा प्रातः काल उठकर स्नान किया जाता है। अथवा पवित्र नदियों में डुबकी भी लगाई जाती है, साथ ही दानवों के प्रतीक, पुतले आदि बनाकर उन्हें पत्थरों से नष्ट भी किया जाता है। जो प्रतीकात्मक रूप से बुराई को समाप्त करने का सन्देश देता है।
3. बोहाग बिहू
यह एक प्रसिद्ध भारतीय त्यौहार है। जो की भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों, मुख्य रूप से असम राज्य में मनाया जाता है। जहाँ ये असामी नववर्ष के तौर पर भी मनाया जाता है। इसे 'रोंगाली बिहू' या हतबिहू से भी संबोधित किया जाता है। जो की आमतौर पर विशुवर संक्रांति के सात दिन बाद १३ अप्रैल को पड़ता है। यह फसल कटाई के संकेत के तौर पर भी देखा जाता है।
4. महा विषुव संक्रांति
हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष्य पर उड़ीसा में मनाया जाने वाला जश्न है। जिसे अनेक प्रकार के पारंपरिक तथा सांस्कृतिक नृत्यों के साथ मनाया जाता है।
5. पाहेला बेशाख
14 अप्रैल के दिन बंगाल में हिन्दू नववर्ष को 'पाहेला बेशाख' के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और बांग्लादेश में कई स्थानों पर मंगल शोभायात्रा भी आयोजित की जाती है। इस उत्सव को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किया गया है।
6. पुत्थांडु
तमिल कैलेंडर के अनुसार पुत्थांडु का मतलब नया साल होता है। यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 14 अप्रैल को मनाया जाता है। जो की भारतीय कैलेंडर में साल का पहला दिन है। यह पूरे परिवार के साथ मिलकर बेहद भव्य तौर पर मनाया जाता है।
7. जुरशीतल
जुरशीतल भारत और नेपाल के मिथल क्षेत्र में नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रसोई में लाल चने सत्तू और जौ और अन्य अनाज से प्राप्त आटे का भोजन बनता है। बिहार में यह मिथिला दिवस के नाम से मनाया जाता है। जहां इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। जुरशीतल को निरयण मेष संक्रांति और तिरहुत नव वर्ष से भी संबोधित किया जाता है।
भारत के विभिन्न प्रांतों के साथ साथ बैसाखी त्यौहार विश्व के अनेक देशों में हिन्दू धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। सिख संप्रदाय में भी बैसाखी बेहद खास त्यौहार के तौर पर मनाया जाता है। रामपुर लगभग 3,500 सिखों का घर है। और बैसाखी के दौरान पूरे शहर में सिख समुदाय द्वारा लंगर आयोजित किये जाते है। जिसकी शुरुआत ही पंजाब से हुई। जहां ये फसल के पकने और कटाई शुरू करने के संकेत के रूप में भी देखा जाता है।
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