Post Viewership from Post Date to 18-Apr-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2588 0 0 2588

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

दुनिया भर की विभिन्न संस्कृतियों में महत्व रखते हैं, सांप

मेरठ

 13-04-2021 01:13 PM
रेंगने वाले जीव

दुनिया भर की पौराणिक कथाओं और धर्मों में वास्तविक सरीसृप जैसे मगरमच्छ और सांप तथा काल्पनिक सरीसृप जैसे ड्रेगन (Dragons) दोनों का अस्तित्व दिखायी देता है। इन कथाओं और धर्मों में सरीसृप एक धार्मिक प्रतीक के रूप में दिखायी देते हैं। उदाहरण के लिए हिंदू धर्म, चीन (China) और अमेरिका (Americas) की पौराणिक कथाओं में कछुए का वर्णन अवश्य किया गया है।ब्राजील (Brazil) में सरीसृप (मगरमच्छ और सांप) की ऐसी 13 प्रजातियों को दर्ज किया गया है, जिनका उपयोग जादुई धार्मिक उद्देश्यों जैसे कि,जादू मंत्र, बुरी नजर से बचाने के लिए ताबीज आदि के रूप में किया जाता था।इसी प्रकार से सांप या सरीसृप के लक्षणों वाला ड्रैगन भी यूरोपीय (European) और चीनी संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं में दिखायी देता है।ग्रीक (Greek) पौराणिक कथाओं में भी सांपों को एक घातक प्रतिरोधी या शत्रु के रूप में दिखाया गया है।दुनिया भर के धर्मों में मगरमच्छ की भूमिकाएं भी दिखाई देती हैं।
प्राचीन मिस्र (Egypt) के सोबेक (Sobek) नामक देवता को मगरमच्छ के सिर के साथ दिखाया गया था।पौराणिक कथाओं में उच्च दर्जा रखने वाले सरीसृपों में से एक सांप भी है, जिसे नाग भी कहा गया है।हिंदू और बौद्ध धर्म में नाग शब्द का उपयोग उस देवता या मुख्य वर्ग के लिए किया गया है, जिन्होंने एक बहुत बड़े सांप का रूप लिया है। कई प्राचीन संस्कृतियों में साँपों को शक्ति के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है। भारत की यदि बात करें तो, यहां कई युगों से नाग पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।सांप अक्सर अपनी खाल उतारते हैं, और इस प्रकृति के कारण उन्हें पुनर्जन्म, मृत्यु और मृत्यु दर का प्रतीक माना जाता है। हिंदू मंदिरों में सांपों की अनेक मूर्तियाँ तथा चट्टानों पर उनके उत्कीर्णित चित्र दिखायी देते हैं। इन मूर्तियों और चित्रों की पूजा फूल, दीये, दूध,अगरबत्ती आदि से की जाती है, ताकि धन, प्रसिद्धि और ज्ञान प्राप्त किया जा सके।भारत के कुछ समुदाय एक कोबरा (Cobra) के मारे जाने पर उसे ठीक उसी तरह से जलाते हैं, जैसा कि, किसी इंसान की मृत्यु के बाद उसे जलाया जाता है। हालांकि,कोई उसे जानबूझकर नहीं मारता। उत्तरी भारत में, जहां रीवान (Rivaan) नाम के सांप (जिन्हें नागों के राजा के रूप में जाना जाता था) की पूजा की जाती थी, वहीं दक्षिणी भारत में नागों की मूर्ति या चित्र के बजाय वास्तविक जीवित सांपों को पूजा जाता था, तथा आज भी पूजा जा रहा है। हिंदू धर्म में कई हिंदू देवताओं को सांपों के साथ जोड़ा गया है, जैसे भगवान शिवको उनके गले में एक सांप पहने हुए तथा भगवान विष्णु को शेष नाग पर योग निद्रा में लीन दिखाया जाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं में सांपों की प्रमुख भूमिकाएं अस्तिका (Astika),आदिशेष (Adishesha), वासुकी (Vasuki), कालिया (Kaliya) आदि के रूप में दिखायी देती हैं।अस्तिका, जरत्कारू (Jaratkaru) और सर्प देवी मनसा (Manasa) के पुत्र थे। महाभारत के अनुसार, अस्तिका ने सर्प यज्ञ के दौरान सांपों के राजा तक्षक (Takshaka) का जीवन बचाया। तक्षक के सर्प दंश के कारण राजा परीक्षित की मृत्यु हो गयी थी, तथा उसके पुत्र ने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें पृथ्वी के समस्त सांपों की आहूति दी जा रही थी। अस्तिका ने राजा को सर्प जाति का अंत न करने का अनुरोध किया तथा उन्हें इस बारे में समझाया। इस प्रकार राजा तक्षक का जीवन बच गया और इस दिन को श्रावण के हिंदू महीने में शुक्ल पक्ष पंचमी के नाम से जाना जाने लगा।तब से इस दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। आदिशेष को शेष नाग भी कहा जाता है, जो सभी नागों के राजा माने जाते हैं। पुराणों के अनुसार,आदिशेष ने सभी ग्रहों और ब्रह्मांड का भार अपने फन पर उठाया हुआ है, और यह भगवान विष्णु की महिमा का भी वर्णन करता है। महाभारत के अनुसार, आदिशेष का जन्म कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू के यहां हुआ था। कद्रू ने हजार सर्पों को जन्म दिया, जिनमें से आदिशेष सबसे बड़ा था। भगवान शिव के गले में जो सांप हम देखते हैं, उसे वासुकी माना जाता है। ऐसा माना जाता है, कि भगवान शिव ने वासुकी को आशीर्वाद दिया और उन्हें एक आभूषण के रूप में पहना। पौराणिक कथाओं के अनुसार,उनके सिर पर नागमणि नामक एक मणि भी मौजूद होती है। रामायण और महाभारत में भी उनका उल्लेख मिलता है। हिंदू धर्म की एक लोकप्रिय किंवदंती समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है, जिसमें समुद्र को मथने के लिए वासुकी नाग का उपयोग किया गया था। इसी प्रकार से पौराणिक कथाओं में कालिया नाग का भी वर्णन मिलता है, जो वृंदावन में यमुना नदी में रहने वाला एक जहरीला सांप था। कालिया रमणक द्वीप का निवासी था, किंतु नागों के शत्रु गरुड़ के डर से वह वृंदावन चला गया, क्यों कि गरुड़ को यह श्राप दिया गया था, कि वह वृंदावन में प्रवेश नहीं कर सकता। कालिया के प्रभाव से यमुना नदी जहरीली हो गयी थी, तथा जो भी वहां जाता वो मारा जाता।एक बार जब कृष्ण अपने दोस्तों के साथ नदी के किनारे खेल रहे थे, तब उनकी गेंद नदी में जा गिरी। भगवान कृष्ण ने नदी में छलांग लगाई और कालिया के फन पर नाचते हुए बाहर निकले। इस घटना को दक्षिण भारत में 'कलिंग नर्तन (Kalinga Nartana)' के रूप में जाना जाता है। भारत सहित अन्य देशों या स्थानों की प्राचीन कथाओं में भी सांपों का वर्णन मिलता है।कोरियाई (Korean) पौराणिक कथाओं में, धन की देवी इयोब्सिन (Eobshin) को एक सांप के रूप में दिखाया गया है।माना जाता है, कि यह देवी बागों, दरबारों और घर की रक्षा करती है। प्राचीन यूरोप में भी सर्प पूजा बहुत प्रसिद्ध थी। रोमन जीनियस लोकी (Roman genius loci) ने एक नागिन का रूप लिया था। इटली (Italy) में, मार्सियन (Marsian) देवी एंगिटिया (Angitia), का नाम "सर्प" के लिए प्रयुक्त होने वाले शब्द से लिया गया था, जो कि सांपों और साँप-जादूगरों से सम्बंधित था। मिस्र के इतिहास में, नील कोबरा (Nile Cobra) को राजा या फाराओ (pharaoh) के मुकुट की सुंदरता को बढ़ाने के लिए उसमें स्थापित किया गया था।इस प्रकार,ऐसे अनेकों उदाहरण मौजूद हैं, जो विभिन्न संस्कृतियों में सांपों की शक्तिशाली प्रतीकात्मक भूमिका प्रदर्शित करते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3fZR1xh
https://bit.ly/3s8MVp4
https://bit.ly/3s8N1Ns
https://bit.ly/3a0Nxa9

चित्र सन्दर्भ:

1.सर्प पूजन का उदाहरण(Youtube)
2.ममी वाटा, जो विभिन्न अफ्रीकी और अफ्रीकी-अमेरिकी धर्मों में एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं(Wikimedia)
3.तमिल नाडु में साँप पूजा का उदाहरण(Wikimedia)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id