कोई भी आयोजन या समारोह बिना लोगों की भीड़-भाड़ के पूरा नहीं होता, फिर चाहे वह कोई खेल हो या किसी नेता की चुनाव रैली, कोई मेला हो या फिर कोई धार्मिक यात्रा। जितनी बड़ी संख्या में लोग इन कार्यक्रमों में शामिल होते हैं, कार्यक्रम की शोभा उतनी ही बढ़ जाती है। महमानों की भीड़ से मेजबान का बहुत उत्साहवर्धन होता है। परंतु कभी-कभी एक महोत्सव शोक-सभा में परिवर्तित हो जाता है जब एकत्रित हुई भीड़ में अफरा-तफरी मच जाती है और भगदड़ के चलते कई लोग घायल हो जाते हैं। समाचार में अक्सर हमें ऐसी कई घटनाओं की जानकारी मिलती रहती है। जिनमें से कुछ निम्नवत हैं:
1) कुंभ मेला भगदड़, फरवरी 1954
वर्ष 1954 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात पहले महाकुंभ मेले में भगदड़ के दौरान 800 से अधिक लोगों की जानें चली गई और 100 से भी अधिक लोग घायल हो गए। इलाहाबाद में हुआ यह मेला 40 दिनों से भी अधिक समय तक चला था।
2) नासिक में भगदड़, अगस्त 2003
27 अगस्त, 2003 के दिन नासिक में हुए कुंभ मेले में पवित्र गोदावरी नदी के पास स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं में अचानक भगदड़ शुरु हो गई। इस दुर्घटना में 40 लोगों की मौत हो गई और 125 लोग घायल हो गए थे।
3) हिमाचल भगदड़, अगस्त 2006
3 अगस्त 2006 के दिन हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर में आए लोगों की एक भयानक भगदड़ में 160 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 400 से अधिक घायल हो गए।
4) सबरीमाला भगदड़, जनवरी 2011
भारत में हुई सबसे भयानक भगदडों में से एक 14 जनवरी, 2011 को सबरीमाला, केरल में घटित हुई। जिसमें भीड़ में कुचलने से 106 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई और 100 से भी अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए।
5) दतिया में भगदड़, अक्टूबर 2013
भारत के मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़मातामहल के पास 13 अक्टूबर 2013 को नवरात्रि के शुभ अवसर पर एक पुल पर अचानक लोगों की भीड़ जमा हो गई। देखते ही देखते उनमें भगदड़ मच गई, जिसमें 115 लोगों की मृत्यु और 110 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
6) राजमुंदरी भगदड़, जुलाई 2015
पारंपरिक भारतीय संस्कृति में पवित्र नदियों के किनारे कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है और इनमें नदियों में स्नान करना व्रत-अनुष्ठान का मुख्य भाग माना जाता है। कुंभ मेले के समान पुष्करालु उत्सव जो गोदावरी नदि के तट पर मनाया जाता है। वर्ष 2015 में पुष्करालु उत्सव के उद्घाटन के दिन राजामुंदरी में पुष्कर घाट में घुसने की कोशिश में लोगों में अचानक भगदड़ मच गई जिससे 27 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई। मृतकों में लगभग 13 महिलाएं शामिल थी।
भगदड़ के कारण हुई दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विश्वभर में विशेषज्ञ हर संभव उपाय की खोज में लगे हैं। इसी दिशा में गणितज्ञों ने ऐसे मॉडल (Model) तैयार किए हैं जिनकी सहायता से भीड़ में होने वाली भीड़ को नियंत्रित करना और भगदड़ को रोकना आसान हो सकेगा। गणितीय मॉडल में एक सेट (Set) बनाया जाता है। जिसमें समारोह में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की चाल और हाव-भाव का निरीक्षण किया जाता है। इस मॉडल में गणितज्ञ इन बातों की समी़क्षा करते हैं कि लोग किसी आयोजन में किस तरह पहुँचते हैं और कैसे चलते हैं। इसको एक उदाहरण से समझते का प्रयास करते हैं। माना किसी संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है जहाँ दर्शकों को खड़े होकर कार्यक्रम देखना है तो लोग अच्छी जगह ढूंढ़ने के लिए निश्चित समय से काफी समय पहले ही प्रवेश करेंगे। इसके विपरीत यदि समारोह में टिकट सीट (Ticket Seat) की व्यवस्था है तो लोग कार्यक्रम आरम्भ होने से थोड़ा पहले ही प्रवेश करेंगे। इस तरह ग्राफ (Graph) की सहायता से एक पैटर्न (Pattern) तैयार कर लिया जाता है। इसके अगले चरण में स्थल में प्रवेश करने वाली भीड़ के आकार के नियमित नमूने लिए जाते हैं। इससे तैयार किए गए अनुमानित ग्राफ की आने वाली भीड़ की वास्तविक संख्या से तुलना करने और ग्राफ को सटीक बनाने में मदद मिलती है। इस मॉडल से आयोजकों को समारोह के लिए उपयुक्त स्थान की व्यवस्था करने में भी सहायता मिलती है। वे ऐसा स्थान ढूंढ़ने में सक्षम हो पाते हैं जहाँ प्रवेश द्वार सुविधाजनक और विस्तृत हों और जहाँ से सभी लोग आसानी से प्रवेश और प्रस्थान कर सकें। एक गणितीय विश्लेषण से पता चलता है कि लोगों के लिए इष्टतम प्रवाह दर (The Optimal Flow Rate) तब होती है जब प्रति वर्ग मीटर में 2 से 3 लोग होते हैं।
एओइफ़ हंट (Aoife Hunt) लोगों की चाल से संबंधित रणनीतियों पर कार्य करती हैं। साथ ही लंदन (London) में लोगों की चाल का विश्लेषण कर परामर्श सेवा भी प्रदान करती हैं। वह वेम्बली स्टेडियम (Wembley Stadium) जैसे स्थानों पर बड़ी भीड़ के पैटर्न का पता लगाने के लिए गणित और सांख्यिकी का उपयोग करती हैं। वह इस काम में संभाव्यता (Probability) का भी प्रयोग करती हैं।
भारतीय संविधान के अंतर्गत नागरिकों को शांतिपूर्ण तरिके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार प्रदान किया गया है। किंतु ऐसे प्रदर्शन समारोह के दौरान यदि भीड़ आक्रामक हो जाए या कोई सार्वजनिक रैली अनियंत्रित हो जाए तो ऐसी स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 141 के अंतर्गत पुलिस और प्रशासन को यह अधिकार है कि वह भीड़ को तितर-बितर कर सकती है और आवश्यकता पड़ने पर पुलिस को बल-प्रयोग करने की भी अनुमति है। ताकि भगदड़ के कारण होने वाली क्षति को कम से कम किया जा सके। इस प्रकार प्रत्येक सार्वजनिक समारोह वाले स्थानों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गणितीय मॉडलिंग एक महत्वपूर्ण कदम है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3lXx9Mw
https://bit.ly/31eUrUB
https://bit.ly/3vVVBCp
https://bit.ly/3fe9N3G
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र भीड़ नियंत्रण को दर्शाता है। (piqsels)
दूसरी तस्वीर कुंभ मेला भीड़ दिखाती है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर भारत में भीड़ नियंत्रण को दर्शाती है। (विकिपीडिया)