वर्तमान जीवाणुनाशक संकट ने फेज थेरेपी (Phage therapy) की सहायता से मल्टीड्रग (Multidrug) प्रतिरोधी जीवाणु संक्रमणों के उपचार में फेज की क्षमता में रुचि को प्रज्वलित किया है। उम्मीद है, एक व्यक्तिगत दवा की ओर वर्तमान रुझान आधुनिक नैदानिक चिकित्सा में थेरेपी को पेश करने में मदद कर सकता है। दूसरी ओर, फेज इम्युनोबायोलॉजी (Immunobiology) की हमारी समझ में हालिया प्रगति, अकेले जीवाणु संक्रमणों के अलावा अन्य नैदानिक संकेतों के लिए फेज थेरेपी के पुनरुत्थान के लिए दृष्टिकोण खोलती है। ऐसे आंकड़े बताते हैं कि ऐसे संकेत कोविड-19 सहित वायरल (Viral) संक्रमणों को भी शामिल कर सकते हैं। यह भी सुझाव है कि फेज प्रतिविषाणुज साइटोकिन्स (Cytokines) को प्रेरित करके प्रतिविषाणुज प्रतिरक्षा को प्रबल कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, IFN -α और IL-12।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध के उद्भव और प्रसार को सीमित करने की आवश्यकता को संबोधित करने के प्रयास में, विटालिस फेज थेरेपी (Vitalis Phage Therapy) हाल ही में भारत में शुरू की गई है। इस पहल को प्रणव जौहरी द्वारा विकसित किया गया है, इन्होंने फेज थेरेपी से अपने जीवाणुनाशक-प्रतिरोधी संक्रमण का सफलतापूर्वक इलाज किया। विटालिस फेज थैरेपी में भारत के मरीजों के लिए जॉर्जिया (Georgia) के त्बिलिसी (Tbilisi) में एलियावा इंस्टीट्यूट ऑफ बैक्टीरियोफेज, माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी (Eliava Institute of Bacteriophages, Microbiology and Virology) द्वारा पेश की गई फेज थेरेपी की सुविधा है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध भारत में पहले से ही एक स्वास्थ्य आपातकाल है। हर साल, अनुमानित 58,000 नवजात बच्चे रक्तपूतिता के कारण मर जाते हैं क्योंकि जीवाणुनाशक बैक्टीरिया के संक्रमण का इलाज करने में विफल होते हैं। अप्रैल 2017 में, रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर दिल्ली घोषणा के साथ रोगाणुरोधी प्रतिरोध (2017-21) पर राष्ट्रीय कार्य योजना की घोषणा की गई थी, देश में रोगाणुरोधी प्रतिरोध की रोकथाम पर एक सहयोगी दृष्टिकोण अपनाने के लिए 12 मंत्रालयों द्वारा संयुक्त घोषणा की गई थी।
फेज थेरेपी प्राकृतिक रूप से होने वाले विषाणु का उपयोग करके जीवाणु-संबंधी संक्रमणों का इलाज करती है, इन विषाणुओं को बैक्टीरियोफेज (Bacteriophages), या बैक्टीरिया इटर्स (Bacteria eaters) कहा जाता है। फेज को आधिकारिक तौर पर 1917 में फ्रांसीसी (French) वैज्ञानिक फेलिक्स डी'हर्ले (Felix d Herelle) द्वारा खोजा गया था, लेकिन उनके जीवाणुरोधी क्रिया की पहचान 1896 में गंगा और यमुना नदियों के पानी में बहुत पहले हो गई थी। तत्कालीन यूएसएसआर (USSR) देशों में पिछले 101 वर्षों में फेज थेरेपी विकसित और परिष्कृत की गई है। इस बढ़ती रुचि का कारण यह है कि दुनिया भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध का संकट तेजी से बढ़ रहा है। जीवाणुरोधी उपचार, चाहे वह फेज या जीवाणुनाशक आधारित हों, प्रत्येक के सापेक्ष फायदे और नुकसान होते हैं। तदनुसार, जीवाणु संक्रमण को रोकने और इलाज करने से पहले कई संक्रमणों को ध्यान में रखकर चिकित्सीय दृष्टिकोण को डिजाइन करना चाहिए। हालांकि फेज, जीवाणु और मानव मेजबान के बीच परस्पर क्रिया के बारे में अभी भी बहुत कुछ अज्ञात है, इसलिए फेज थेरेपी को गंभीरता से लेने का समय तेजी से आ रहा है।
वहीं 2017 में, मेरठ में एक दवा प्रतिरोधी रोगज़नक़ का पता चला था और उपचार को फ्रिंज (Fringe) के रूप में खारिज कर दिया गया था। मेरठ में घर-घर जा कर जांच करने पर 258 व्यक्तियों में तीसरे चरण के तपेदिक के लक्षण पाए गए। 7 जनवरी से 17 जनवरी तक चलाए गए अभियान में, चिकित्सकों और स्वास्थ्य अधिकारियों के 163 समूहों ने 4.74 लाख लोगों की जांच करने के लिए हज़ारों घरों का दौरा किया था। 2017 में किये गए दौरे में तपेदिक से पीड़ित 357 रोगी और 2018-2019 के चरण में 392 रोगी पाए गए। केंद्र सरकार ने 2025 तक इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखते हुए सभी राज्यों को "सक्रिय खोज" शुरू करने का निर्देश दिया। भारत में जीवाणुनाशक दवाओं का उपयोग दुनिया भर में सबसे अधिक होता है यही वजह है कि भारत में रोगियों के लिए इस उपचार को उपलब्ध कराने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सामान्य जीवाणु रोगजनकों में जीवाणुनाशक प्रतिरोध के उच्च स्तर दिखाई देते हैं। हाल में एक अध्ययन के अनुसार, 38% एमआरएसए (MRSA) संक्रमण जीवाणुनाशक दवाओं के लिए प्रतिरोधी हैं, जबकि 43% स्यूडोमोनस एरुगिनोसा (Pseudomonas Aeruginosa) संक्रमण जीवाणुनाशक दवाओं के कार्बापेनम (Carbapenem) वर्ग के लिए प्रतिरोधी हैं।
संदर्भ :-
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7451411/
https://bit.ly/2keUCx5
https://en.wikipedia.org/wiki/Phage_therapy
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5547374/
https://cmr.asm.org/content/32/2/e00066-18
http://www.nirt.res.in/pdf/bulletin/2019/NB_V.2_(4).pdf
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र फेज को अपने जीनोम को जीवाणु कोशिका में इंजेक्ट करता दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
दूसरी तस्वीर में फेज को दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर में फेज थेरेपी को दिखाया गया है। (विकिपीडिया)