Post Viewership from Post Date to 20-Mar-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2466 1670 0 0 4136

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

बंदूकों पर निजी स्वामित्व के लिए करना होगा कठोर नियमों का पालन

मेरठ

 15-03-2021 10:18 AM
हथियार व खिलौने
वर्तमान समय में बहुत से लोग अपने पास बंदूकें रखते हैं, फिर वह चाहे कानूनी रूप से हो या फिर गैर कानूनी रूप से। हाल ही में जारी स्माल आर्म्स सर्वे (Small Arms Survey) के अनुसार, दुनिया में एक अरब बंदूकें हैं। 2006 की तुलना में इनकी संख्या 1380 लाख अधिक हुई है। आश्चर्य की बात यह है कि, उनमें से 85 प्रतिशत बंदूकें नागरिकों के पास हैं, और बाकी सैन्य और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Agencies) द्वारा उपयोग की जाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि, पूरी दुनिया में भारत वह दूसरा देश है, जिसके नागरिक अपने पास सबसे अधिक बंदूकें रखते हैं। 2017 के सर्वेक्षण के अनुसार, प्रति 100 व्यक्तियों पर निजी स्वामित्व वाली बंदूकों की अनुमानित संख्या सबसे अधिक संयुक्त राज्य अमेरिका (120.5) में थी। इस सर्वे में, भारत प्रति 100 व्यक्तियों पर 120 वें स्थान (5.3) पर था। इंडोनेशिया (Indonesia), नारू (Nauru) और ताइवान (Taiwan) में यह आंकड़ा सबसे कम पाया गया। 2017 में भारत के नागरिकों के पास लगभग 710 लाख वैध और अवैध बंदूकें थीं। बंदूकों के स्वामित्व के सन्दर्भ में भारत भले ही दूसरे स्थान पर है, लेकिन प्रति 100 व्यक्तियों के हिसाब से देखा जाए तो, यह उन शीर्ष देशों में से एक नहीं है, जहां के नागरिक अपने पास बंदूकें रखते हैं। इसका मुख्य कारण यहां की अत्यधिक आबादी है। भारत में नागरिकों द्वारा बंदूकों को निजी स्वामित्व में रखने के लिए अनेकों नियम बनाये गए हैं, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे कठोर हैं। 1959 में, अंग्रेजों द्वारा अधिनियमित 1878 के शस्त्र अधिनियम को निरस्त कर दिया गया और एक नया शस्त्र अधिनियम पारित किया गया, जिसके अनुसार बिना लाइसेंस (License) के नागरिकों द्वारा बंदूकों का अधिग्रहण, निर्माण, बिक्री, निर्यात, आयात, हस्तांतरण आदि नहीं किया जा सकता है। लाइसेंस पाना अपने आप में बहुत कठिन है, क्यों कि, यह प्रक्रिया जटिल है, और इसमें कई वर्ष भी लग सकते हैं। आर्म्स एक्ट (Arms act) 1959, ने बंदूकों को दो श्रेणियों, प्रतिबंधित बोर (Prohibited bore - PB) और गैर प्रतिबंधित बोर (Non-prohibited bore - NPB) में वर्गीकृत किया है। बोर से तात्पर्य गोली की मोटाई या व्यास से है। गैर-प्रतिबंधित बोर हथियारों में कैलिबर (Caliber) .35, .32, .22 और .380 वाली हैंडगन (Handguns) आदि शामिल हैं।
सभी नागरिक आर्म्स एक्ट 1959 के अध्याय दो और अध्याय तीन के तहत नियत प्रक्रिया का पालन करके ही गैर-प्रतिबंधित बोर वाली बंदूक को प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्रतिबंधित बोर हथियारों में पिस्तौल (Pistols - 9 मिलीमीटर) और .38, .455 कैलिबर वाली हैंडगन और .303 कैलिबर की राइफलें (Rifles) शामिल हैं। इनमें अर्ध स्वचालित और पूरी तरह से स्वचालित बंदूकें भी शामिल हैं। पहले, यह आमतौर पर केवल रक्षा कर्मियों के लिए ही जारी किए जा सकते थे, लेकिन मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों के बाद, यह उन लोगों के लिए भी जारी की जा सकती है, जो गंभीर खतरे का शिकार हो सकते हैं या आतंकवादी क्षेत्रों में रहते हैं, या फिर वे सरकारी अधिकारी जिन्हें आतंकवादियों से खतरा है, को भी इन हथियारों को रखने की अनुमति दी जाती है। केवल उन्हीं प्रतिबंधित बोर वाले हथियारों का लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता है, जिन्हें सरकारी गजट (Gazette) में सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है। 1987 के बाद, प्रतिबंधित बोर के लिए लाइसेंस देना पूरी तरह से केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बन गई है। संयुक्त राज्य में, किसी भी बन्दूक को प्राप्त करना एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन भारत में इसे विशेषाधिकार के रूप में देखा जा सकता है। कोई भी सामान्य भारतीय नागरिक सक्षम लाइसेंसिंग प्राधिकरण (Licensing Authority) से लाइसेंस प्राप्त किए बिना बंदूक प्राप्त नहीं कर सकता। किसी भी बंदूक पर स्वामित्व प्राप्त करने के सन्दर्भ में भारत और भी कठिन नियम तैयार कर रहा है। बन्दूक रखने वालों को इसे चलाने में अपना प्रशिक्षण प्रदर्शित करना होगा। साथ ही सरकार ने स्कूल सहित कुछ अन्य स्थानों को बन्दूक रहित क्षेत्र निर्धारित किया है। 2016 के संशोधित शस्त्र नियम के अनुसार, एयरगन (Airgun) के लिए भी अब लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। नई बन्दूक नीति के प्रस्ताव के अनुसार, एक व्यक्ति को अब केवल एक ही बन्दूक रखने की अनुमति होगी।
बंदूकों के स्वामित्व पर कठोर नियम बनाने के पीछे का एक मुख्य कारण इससे होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि होना हो सकता है। पूरी दुनिया में ही बंदूकों का उपयोग किसी की हत्या करने या आत्महत्या के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा बंदूकों द्वारा होने वाली आकस्मिक दुर्घटनाओं के कारण भी अनेकों मौतें होती हैं। 2016 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, पूरी दुनिया में बंदूकों द्वारा होने वाली मौतों की संख्या ब्राजील (Brazil - 43200) में सबसे अधिक है। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (37200) का स्थान है। इस सूची में भारत तीसरे स्थान (26500) पर है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के अनुसार, 2010 और 2014 के बीच बंदूक से संबंधित मौतों की संख्या 3,063 से बढ़कर 3,655 हुई। 2014 में वैध बंदूकों से मारे जाने वाले लोगों की संख्या जहां केवल 14 प्रतिशत थी, वहीं बाकी लोग अवैध बंदूकों से मारे गए थे। इस प्रकार बंदूकों पर निजी स्वामित्व के लिए बनाये जा रहे कठोर नियम बंदूकों की सहायता से होने वाले अपराधों को कम करने में सहायक हो सकते हैं।


संदर्भ:
https://bit.ly/3qDIyBR
https://wapo.st/2qJbKhr
https://bit.ly/3cn94tT
https://bit.ly/3et4i0J
https://bit.ly/2N7rM05
https://n.pr/38sFMJg
https://bit.ly/2POmZl7

चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में बंदूक के साथ एक व्यक्ति को दिखाया गया है। (स्नेपोगोट)
दूसरी तस्वीर देश द्वारा प्रति व्यक्ति नागरिक बंदूक की अनुमानित संख्या दर्शाती है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर में एक नागरिक को अपनी बंदूक उठाए हुए दिखाया गया है। (फ़्लिकर)
आखिरी तस्वीर में एक लड़की को अपनी बंदूक के साथ दिखाया गया है। (अनस्पेश)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id