मेरठ के क्लॉक टॉवर (Clock tower) को 100 साल से भी अधिक समय हो गया है, यह भारत में औपनिवेशिक अंग्रेजी शासन की विरासत है। मेरठ उन 50 भारतीय शहरों में से एक है जहां अंग्रेजी शासन के दौरान क्लॉक टावरों का निर्माण करवाया गया था। एक टावर दिल्ली में भी बनवाया गया था, जिसे 1947 में भारत विभाजन के दौरान नष्ट कर दिया गया था। मेरठ के घण्टाघर की नींव 17 मार्च 1913 को रखी गयी थी, जो लगभग एक साल में बनकर तैयार हुआ। यहां पर लगने वाली घड़ी को जर्मनी से लाया जा रहा था किंतु जिस जहाज से इसे लाया जा रहा था वह जहाज डूब गया जिस कारण 1914 में इलाहबाद कोर्ट की घड़ी को यहां लगवा दिया गया। एक समय में मेरठ के क्लॉक टॉवर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी तक के गांव के लोग अपने घड़ी का समय मिलाते थे।
80 वर्षीय शमशुल अजीज जो पिछली चार सदियों से इस टावर की घड़ी का रखरखाव कर रहे हैं बताते हैं कि घंटाघर में लगी घड़ी का पेंडुलम (Pendulum) जब बजता था तो इसकी आवाज 15 किमी तक सुनाई देती थी मंदिर मस्जिद के दरवाजे इसकी घंटी के साथ खुलते थे, किसान खेतों के लिए निकलते थे। इस घंटाघर से लोग बहुत खुश थे। यह देश का एकमात्र ऐसा घण्टाघर है जिसके नीचे से तीन ट्रक एक साथ गुजर सकते हैं। घंटाघर के आसपास एक टाउन हॉल (Town Hall) था और दिल्ली के लिए बस स्टैंड (Bus Stand) भी इसके नजदीक ही था। घंटाघर के चारों ओर कुछ चुनिंदा दुकानें ही थी, लेकिन अधिकतर खाली थी। धीरे-धीरे आसपास की आबादी और दुकानें बढ़ने लगी और ट्रेफिक जाम की समस्या भी बढ़ने लगी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां टाउन हाल में अक्सर बैठकें और जनसभाएं होती थीं। इनमें शहर व आसपास के लोग यहां पहुंचते थे।
1990 के बाद घंटाघर की घड़ी से लोगों को समय मिलाने में परेशानी आने लगी, क्योंकि इस घड़ी के पीतल के जरूरी भाग चोरी कर दिए गए। इसके बाद घंटाघर की घड़ी बंद हो गयी। इस घंटाघर के रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम मेरठ की है, लेकिन अब तक यह घड़ी ठीक नहीं हो पायी है। बीच बीच में कुछ निजी प्रयास भी किए गए जो कुछ समय तक चली लेकिन फिर बंद हो गयी। कुछ समय पहले अभिनेता शाहरूख खान की फिल्म जीरो के निर्माण की तैयारी चल रही थी। यह फिल्म मेरठ पर आधरित थी। इसमें मेरठ का घंटाघर केंद्र बिंदु था, लेकिन घंटाघर की घड़ी बंद थी तो शाहरूख खान ने इसे ठीक कराने के लिए छ: लाख रूपय दिए। यह फिल्म प्रदर्शित भी हो गयी लेकिन यह घड़ी अभी तक बंद पड़ी हुयी है। जिसकी कमी आज भी लोगों का खल रही है।
उत्तर प्रदेश के कुछ प्रसिद्ध क्लोक टावर इस प्रकार हैं:
इलाहाबाद क्लॉक टॉवर को चौक घंटाघर के नाम से भी जाना जाता है। यह 1913 में बनाया गया था और यह पुराने इलाहाबाद का एक मील का पत्थर है। यह चौक, इलाहाबाद के केंद्र में स्थित है, जो भारत के सबसे पुराने बाजारों में से एक है और मुगलों के कलात्मक और संरचनात्मक कौशल का एक उदाहरण है। वर्ष 1913 में निर्मित, यह भारत के सबसे पुराने क्लॉक टॉवर में से एक है।
आज भी क्लॉक टावरों को उनके सौंदर्यशास्त्र और वास्तुकला के लिये सराहा जाता है। लेकिन ये अपने सौंदर्य के साथ साथ एक महत्वपूर्ण उद्देश्य के लिये भी जाने जाते थे। बीसवीं शताब्दी के मध्य से पहले, ज्यादातर लोगों के पास घड़ियां नहीं थीं और 18 वीं शताब्दी से पहले तो लोगों के घरों में भी घड़ियां दुर्लभ थीं। पहले के क्लॉक टावरों की घड़ियां आज के जैसे नहीं हुआ करती थी, पहले इन में बड़ी घंटियाँ बजाई जाती थीं जो लोगों को दूर तक सुनाई पड़ती थी। इन क्लॉक टावरों को शहरों के केंद्रों में रखा जाता था और अक्सर ये वहाँ की सबसे ऊँची संरचनाएँ हुआ करती थीं। ये घंटाघर न सिर्फ समय बताते थे, बल्कि अपनी वास्तुकला के सौंदर्य के लिए भी दुनिया भर में मशहूर थे। जैसे जैसे समय बीतता गया इन टावरों में तब्दीलियां होती गई। अब घंटी की जगह एक घड़ी ने ले ली। इससे शहरवासी जब मन चाहे तब समय देख सकते थे।
सबसे पहला क्लॉक टॉवर एथेंस (Athens) में विंड्स का टॉवर (Tower of the Winds) था जिसमें आठ सूर्यघड़ी (sundials) थी। इसके अंदरूनी हिस्से में, एक पानी की घड़ी (या क्लेप्सिड्रा-clepsydra) थी, जो एक्रोपोलिस (cropolis) से नीचे आने वाले पानी से चलती थी। सॉन्ग चाइना (Song China) में, एक खगोलीय क्लॉक टॉवर को सू सॉन्ग (Su Song) द्वारा डिजाइन किया गया था और 1088 में कैफेंग (Kaifeng) में बनाया गया था, जिसमें एक तरल निकास तंत्र (liquid escapement mechanism) था। इंग्लैंड (England) के वेस्टमिंस्टर (Westminster) में बने (1288) एक क्लॉक टावर में एक घड़ी लगाई गई थी जिसे मध्ययुगीन में बिग बेन (Big Ben) के नाम से जाना गया। यूरोप (Europe) में एक क्लॉक टॉवर में सबसे पुरानी बुर्ज घड़ी या फिर बाहरी दीवारों पर स्थापित घड़ी है, जिसे सालिसबरी कैथेड्रल घड़ी (Salisbury Cathedral clock) नाम से जाना जाता है, इसे 1326 में पूरा किया गया था, और 1326 में सेंट एल्बंस (St. Albans) में एक और घड़ी लगवाई गई थी जिसमें विभिन्न खगोलीय घटनाएँ दिखाई गईं थी। 1920 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) में लाइन सिंक्रोनस टॉवर घड़ियों (Line synchronous tower clocks ) की शुरुआत हुई थी। आज ये पुराने घड़ी टावर शहरों के प्रमुख लैंडमार्क्स (Landmarks) में तब्दील हो गये हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/387Z32K
https://bit.ly/3bYUV5Z
https://bit.ly/3rsx99j
https://bit.ly/3e4mAoU
https://bit.ly/3kHmiW8
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में मेरठ का क्लॉक टॉवर दिखाया गया है।
दूसरी तस्वीर में मेरठ का क्लॉक टॉवर पर शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा को दिखाया गया है।
तीसरी तस्वीर एथेंस के टॉवर ऑफ़ द विंड्स को दिखाती है। (विकिमीडिया)