Post Viewership from Post Date to 07-Mar-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2631 1668 0 0 4299

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

कैसे पर्सिस्टेंट हंटिंग (Persistent Hunting) ने मनुष्य के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई?

मेरठ

 02-03-2021 10:35 AM
व्यवहारिक
दुनिया में मनुष्य की गिनती सबसे बुद्धिमान प्राणी के रूप में होती है। पृथ्वी पर मौजूद अन्य जानवरों के विपरीत मनुष्य कई प्रकार की गतिविधियों में शामिल होता है जो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से विकसित होने में मदद करती है। मनुष्य को जैसा आज हम देखते हैं यह विकास के लाखों वर्षों का परिणाम है। आज का जीवन हम जिस प्रकार से जीते हैं वह उस जीवन से पूरी तरह से भिन्न है जो मनुष्य हजारों साल पहले जीता था। प्राचीन काल या पाषाण युग लगभग 20 लाख वर्ष पहले के समय में मनुष्य जंगली जानवरों के बीच जंगलों मे रहता था। भोजन खोजने के लिए संघर्ष करते हुए उसने जंगली जानवरों का शिकार किया, मछलियों और पक्षियों को पकड़ा और अपनी भूख को मिटाने के लिए उन्हें खाया। आदिकाल का मनुष्य अक्सर भोजन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान भटकता रहता था। वह एक जगह से दूसरी जगह तभी जाता था जब उसके स्थान पर सारे भोजन के स्रोत खत्म हो जाते थे। पशु और पक्षी भी आमतौर पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते थे। चुकीं आदिकाल के मनुष्य के लिए भोजन का मुख्य स्रोत जानवर थे इसलिए वह भी उनके साथ चला जाता था।
कहते है कि मनुष्य ने अपने अनुभवों से शिकार की कई रणनीतियों को बनाया था, जिनमें एक पर्सिस्टन्ट हंटिंग (Persistence hunting) यानि की दीर्घस्थायित्व या दृढ़ता से शिकार करने रणनीति भी शामिल थी, माना जाता है कि यह शिकार करने की तकनीक इंसानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली शुरुआती रणनीतियों में से एक है। इस तकनीक में शिकारी, धीमी गति से भागते हुये अपने शिकार का तब तक पीछा या ट्रैकिंग (Tracking) करता है जब तक की वह थक नहीं जाता। यह उन जानवरों पर इस्तेमाल की जाती है जो शिकारी की तुलना में तेजी से भाग सकते है और जिनको तेजी से भाग कर पकड़ना शिकारी के लिये मुस्किल होता है। यह तकनीक अभी भी प्रभावी ढंग से कालाहारी रेगिस्तान (Kalahari Desert) में सैन लोगों (San People), और उत्तर पश्चिमी मेक्सिको (Northwestern Mexico), में रारामुरी लोगों (Rarámuri People) द्वारा उपयोग में लायी जाती है। इसे धीरज से शिकार करना (Endurance Hunting) भी कहा जाता था। यह शिकारी प्रवृत्ति अफ्रीका (Africa) के जंगली कुत्तों (African Wild Dogs) और घरेलू शिकारी (Domestic Hounds) में भी पाई है, वे तेज गति वाले चीते का भी इस रणनीति से शिकार कर लेते हैं। वे धीमी गति से कई मील तक उसका पीछा करते है और जब चीता थक जाता है और तेज भागने लायक नहीं रहता है तो ये जंगली कुत्ते उस पर हमला कर देते हैं।
44 लाख साल पहले मानव ने द्विपादवाद (Bipedalism) की विशेषता का प्रदर्शन करना शुरू किया, अर्थात दो पैरों पर चलना शूरू किया। उस समय मानव भोजन में मांस भी शामिल था इसके प्रमाण मस्तिष्क और शरीर के आकार में वृद्धि और दांत तथा आंत के आकार में कमी से मिलते है, इसके अलावा लगभग 26 लाख साल पहले के अफ्रीका में मिले एक पुरातात्विक साक्ष्य जिसमें जानवर की हड्डियों पर कट के निशान है, से भी पता चलता है कि मानव भोजन में मांस शामिल था। इस समय में इंसान केवल पतले पत्थर के औजारों का उपयोग करता था। अफ्रीका के मैदानों पर पाए जाने वाले स्तनधारियों की तुलना में मानव छोटे, धीमे और कमजोर हुआ करते थे। एक बड़े जानवर का वजन लगभग 250 किलोग्राम से अधिक होता था और रफ्तार लगभग 98 किमी/घंटा वहीं बात करे पाषाण काल के मनुष्य की तो उसका वजन औसतन 50 किलोग्राम और रफ्तार लगभग 37.7 किमी/घंटा थी, ऐसे में मांस प्राप्त करने के लिए ऐसे शक्तिशाली जानवरों के साथ प्रतियोगिता या उनका शिकार एक बेहद खतरनाक लड़ाई हो सकती थी। इस समस्या से निजात पाने के लिये मनुष्यों ने धीरज रखने की असाधारण क्षमता विकसित की और पर्सिस्टन्ट हंटिंग को अपनाया।
पाषाण काल में एक पर्सिस्टन्ट हंटर (Persistence Hunter) लंबी दूरी तक चलने में सक्षम होता था। हालांकि द्विपादिता के वजह से मनुष्य की गति कुछ कम हो गयी परंतु इसके साथ उसने अपने को शिकार करने में सक्षम बनाया। उसने धीरज से शिकार के लिए खुद अनुकूल बनाया। इस प्रवृत्ति से मानव में कई मानसिक और शारीरिक बदलाव आये। लम्बी दूरी तक भागने की वजह से उनके शरीर से बाल कम होते गये, क्योंकि कम बाल शरीर को ठंडा करने का एक प्रभावी साधन है। विकासवादी सिद्धांतकारों ने इस बात के लिए कई परिकल्पनाएं दी है कि कैसे मानव प्राचीन दुनिया में ही बाल रहित बन गया। जीवविज्ञानी शारीरिक तंत्र को भली भांति समझते हैं, वे बताते है कि दिन की गर्मी के दौरान शिकार करते समय बाल रहित त्वचा शरीर को ठंडा रखने में मदद करती है। परंतु सवाल उठता है कि क्या हमारे पूर्वजों ने सच में मांस के लिये गर्म और शुष्क सवाना (Savanna) में कुछ पत्थर के औजार लेकर हिरण का पीछा किया होगा, और उसे इतना थका दिया कि वो भागने के लायक नहीं रहा तथा आसानी से शिकार बन गया। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक पिछले 20 लाख वर्षों में मनुष्यों के विकास के कई लक्षणों को समझा सकती है। वहीं कुछ का कहना है कि इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं कि प्राचीन मानव पर्सिस्टन्ट हंटर थे, यह कहना पूरी तरह से ठीक नहीं होगा कि पर्सिस्टन्ट हंटिग मानव में विकासवादी लक्षणों के लिये उत्तरदायी है। इस बात के समर्थन के लिये कि पर्सिस्टन्ट हंटिग ने मनुष्य के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, पहली बार 1984 में डेविड कैरियर (David Carrier, जो उस समय मिशिगन विश्वविद्यालय (University of Michigan.) में डॉक्टरेट छात्र (Doctoral Student) थे, द्वारा सुझाया गया कि केवल मनुष्य उन स्तनधारियों में से एक है जो पसीना बहाकर खुद को ठंडा करते हैं। अधिकांश चार-पैर वाले स्तनधारियों में पैंट (pant) यानी की हांफना या सांस देने से गर्मी को दूर किया जाता है, और यह तरकीब चलने के दौरान कम काम करती है। कैरियर ने निष्कर्ष निकाला कि यदि हमारे मानव पूर्वज किसी जानवर का लंबे समय तक पीछा कर सकते थे, तो जाहिर से बात है कि जानवर ज्यादा देर तक भागने के कारण गर्मी और थकावट से गिर जाता होगा, और मनुष्य इसे आसानी से मार डालता होगा। कैरियर के इस विचार को पैलियोन्थ्रोपोलॉजिस्ट (Paleoanthropologist) डैनियल लिबरमैन (Daniel Lieberman) द्वारा समर्थन मिला और इसमें सुधार भी किये गये। लिबरमैन ने बताया कि शारीरिक, आनुवांशिक और जीवाश्म विज्ञान संबंधी प्रमाणों से बता चलता है कि मनुष्यों की बहुत सारी व्युत्पन्न विशेषताएं हैं जो हमें दौड़ने में अच्छा बनाती हैं और जिनका कोई अन्य कार्य नहीं है, ये स्पष्ट रूप से संकेत करते हैं कि पाषाण काल में मनुष्य पर्सिस्टन्ट हंटर था और लंबी दूरी तक दौड़ने में सक्षम था।

संदर्भ:
https://bit.ly/3r6K8gB
https://bit.ly/3r0A6NX
https://bit.ly/3r5AWsP
https://bit.ly/3b5M4Aw

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र शिकार को दर्शाता है। (विकिमीडिया)
दूसरी तस्वीर धीरज शिकार को दिखाती है। (विकिमीडिया)
अंतिम तस्वीर में एक व्यक्ति को बंदूक से शिकार करते दिखाया गया है। (पिक्साबे)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id