Post Viewership from Post Date to 04-Mar-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2695 1560 0 0 4255

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

शिकारी पक्षी की एक लौकप्रिय प्रजाति शिकरा

मेरठ

 27-02-2021 10:16 AM
पंछीयाँ
रामपुर में अक्‍सर पक्षियों की एक अद्भुत प्रजाति शिकरा को देखा जाता है। भारत (India) और पाकिस्‍तान (Pakistan) में शिकरा बाज की प्रजातियों में से सबसे ज्‍यादा पसंदीदा है क्योंकि इसे आसानी से प्रशिक्षित किया जा सकता था। इसका नाम उर्दू और हिंदी शब्द शिकारी से लिया गया है। यह अपने कार्यों से अपने नाम के बहुत करीब प्रतीत होता है। शिकरा (एक्सीपीटर बैजियस (Accipiter badius)) अपने परिवार में सबसे छोटा शिकारी पक्षी है, जो एशिया (Asia) तथा अफ़्रीका (Africa) में काफ़ी संख्या में पाया जाता है। यहां इसे गोशॉक (goshawk) भी कहा जाता है। इसका अफ्रीकी रूप एक अलग प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन सामान्‍यत: इसे शिकरा की उप-प्रजाति के रूप में ही माना जाता है। शिकरा चीनी गोशॉक (Chinese goshawk) और यूरेशियन गौरैया (Eurasian Sparrow) सहित अन्य गौरैया प्रजातियों के समान ही है।
शिकरा एक छोटा पक्षी है जो तक़रीबन 26 से 30 से.मी. लम्बा होता है। अपनी प्रजाति के अन्य सदस्यों की तरह शिकरे के छोटे, गोलाकार पंख होते हैं और इनकी पतली, लम्बी पूँछ होती है। वयस्क पेट की तरफ़ से सफ़ेद होते हैं और उसमें कत्थई रंग की पड़ी लकीरें होती हैं जो सफ़ेदी छुपाकर पेट को लालिमा देती हैं। निचले पेट में कत्थई धारियाँ कम हो जाती हैं और निचला पेट सफ़ेद सा होता है। रान के क्षेत्र में प्रायः सफ़ेदी ही दिखाई देती है। मादा नर से थोड़ी बड़ी होती हैं। नरों की आँख की पुतली लाल रंग की होती है जबकि मादा की पुतली पीले–नारंगी रंग की होती है। यह तीक्ष्ण और दो नोट (two note) वाली ध्वनि उत्पन्न करते हैं और इनकी विशिष्ट पल्लव और ग्लाइड (glide) की उड़ान होती है। भुजंगा द्वारा इनके आवाज की नकल की जाती है, क्रमिक विकास के दौरान, शिकारियों से बचने के लिए इसके रूप की नकल पपीहे ने की है। ये अपने साहस और सामर्थ्‍य के लिए जाने जाते हैं जो कि अपने आकार के भी बड़े पक्षियों को उठा लेते हैं।
शिकरा जंगलों, खेतों और शहरी क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला में पाया जाता है, यह सामान्‍यत: अकेले या फिर जोड़े में घूमना पसंद करते हैं। जो अपने भोजन के लिए मुख्य रूप से कृन्तकों, गिलहरी, छोटे पक्षियों, छोटे सरीसृपों (मुख्य रूप से छिपकली लेकिन कभी-कभी छोटे सांप) और कीड़ों का शिकार करता है। यह अपने घोंसले टहनियों और लकडि़यों से बनाते हैं जिसका आकार कप जैसा होता है, जो कौवे के घोंसलों के समान दिखता है। ये घरेलू पक्षी नहीं हैं, फिर भी ये पेड़ों पर घोसले बनाते हुए विशेष सावधानी बरतते हैं। शहरों में, ये आक्रामक हो सकते हैं, अपने घोंसले को कौवे और अन्य प्राणियों (यहां तक कि मनुष्यों) से बचा सकते हैं। भारत में इनके प्रजनन का मौसम मार्च से जून तक गर्मियों में होता है। नर और मादा दोनों अंडों को सेते हैं (वे समानता में विश्वास करते हैं)।
भारत और पाकिस्तान में जो लोग शिकार के लिए शिकरा को पालते हैं तथा इन्हें प्रशिक्षित करते हैं, उनमें यह पक्षी अत्यधिक लोकप्रिय है। स्वतंत्रता से पूर्व यह शिकारियों का सबसे अच्छा दोस्त हुआ करता था क्योंकि इसे शिकार के लिए आसानी से प्रशिक्षित और नियंत्रित किया जा सकता था। इसलिए इसे बाज़ की कला में भी अत्यधिक इस्तेमाल किया गया। हालांकि अब इस तरह की गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है, किंतु आज भी यह अपने असाधारण धैर्य, अनुशासन, साहस, शिकारी के रूप में अपनी बुद्धि, और आसानी से प्रशिक्षित और नियंत्रित होने की अपनी विशेषताओं के लिए लोकप्रिय है जो इसे अद्भुत और अन्य जीवों से अलग बनाती हैं।
कई संस्कृतियों में इसे दिमाग और बहादुरी का प्रतीक भी माना गया है। अक्सर इसका उपयोग अधिक बेशकीमती बाज़ों के लिए भोजन सप्‍लाई करने के लिए किया जाता था। 2009 में एक भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टर बेस (helicopter base) का नाम INS शिकरा (INS Shikra) भी रखा गया था। प्रसिद्ध पंजाबी कवि शिव कुमार बतालवी ने ‘मैंने इक शिकरा यार बनाया’ नामक कविता भी लिखी है, जिसमें उसने अपने खोए हुए प्यार की तुलना शिकरा से की है। आईयूसीएन (International Union for Conservation of Nature) द्वारा शिकरा को सबसे कम चिंताजनक (Least concern) जीव की श्रेणी में रखा गया है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3bzTlqY
https://bit.ly/3aU0Udc
https://bit.ly/3r0aSzb

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में शिकारा पक्षी दिखाया गया है। (पिक्सिनियो)
दूसरी तस्वीर में उड़ते हुए शिकरा को दिखाया गया है। (विकिमीडिया
आखिरी तस्वीर में महिला शिकारा दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM


  • मेरठ क्षेत्र में किसानों की सेवा करती हैं, ऊपरी गंगा व पूर्वी यमुना नहरें
    नदियाँ

     18-12-2024 09:26 AM


  • विभिन्न पक्षी प्रजातियों के लिए, एक महत्वपूर्ण आवास है हस्तिनापुर अभयारण्य की आर्द्रभूमि
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:29 AM


  • डीज़ल जनरेटरों के उपयोग पर, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के क्या हैं नए दिशानिर्देश ?
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:33 AM


  • आइए देखें, लैटिन अमेरिकी क्रिसमस गीतों से संबंधित कुछ चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:46 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id