सभ्यताएँ अपनी संस्कृतियों के माध्यम से अधिक समय तक जीवित रहती हैं और संस्कृतियां लोक परंपराओं, जैसे कि संगीत, कला, कहानी सुनाना, वस्त्र, वास्तुकला, मिथक, किंवदंतियां या लोक उत्सव से समृद्ध होती हैं। नील (Nile), मेसापोटामिया (Mesapotamia), चीनी (Chinese), मूल अमेरिकी (Native American), अफ्रीकी (African), यूरोपीय (European) या भारतीय जैसी महान सभ्यताओं ने लौकिक एकरसता को तोड़ने के तरीके खोजे और लोगों के जीवन के प्रत्येक दिनों को उत्सव के माध्यम से आनंदित मनाने के लिए कई संस्कृतियों को जोड़ा। यदि आप दुनिया के किसी भी कोने में देखेंगे तो पाएंगे कि लोग अपने त्योहारों को मनाने के लिए एकजुट हो जाते हैं।
जहां अफ्रीकियों द्वारा उत्सवों में नृत्य और अनुष्ठान किये जाते हैं, तो वहीं लैटिन अमेरिकियों द्वारा कार्निवल (Carnivals - रोमन कैथोलिक (Roman catholics) लोगों का एक उत्सव) मनाया जाता है; ग्रीष्मकालीन, कई यूरोपीय परंपराओं में, गायन, नृत्य और उत्सव से जुड़ा हुआ है; जबकि चीनी सब कुछ छोड़ अपने परिवार के साथ वसंत के त्योहार को मनाते हैं। वहीं भारतीय उप-महाद्वीप में वर्ष के लगभग हर दूसरे दिन एक त्योहार मनाया जाता है। दूर दराज के गाँव या असंबद्ध कस्बों में भी कोई न कोई त्योहार मौजूद होता है। भारत में कुछ ऐसे त्यौहार हैं जो एक भाषाई समूह या समुदाय तक ही सीमित हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो उप-महाद्वीप और उसके बाहर भी मनाए जाते हैं। लगभग संपूर्ण देश में मनाया जाने वाला वसंत पंचमी या बसंत का त्योहार इनमें से एक है।
बसंत पंचमी का उत्सव पौराणिक कथाओं का हिस्सा है और सरस्वती पूजा के रूप में इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी किया गया है। यह चंद्र पंचांग के अनुसार, माघ महीने के पांचवें दिन पड़ता है। सर्दी के ठंडे और निराशाजनक दिन समाप्त हो जाने के बाद, बसंत के मौसम का स्वागत करने के लिए बसंत पंचमी को मनाया जाता है। उत्तर भारत में एक कहावत है, "आया बसंत पाला उदंत" (वसंत आता है और ओस लुप्त हो जाती है)। यह न केवल भारत में बल्कि पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh), नेपाल (Nepal), इंडोनेशिया (Indonesia), थाईलैंड (Thailand), मलेशिया (Malaysia), चीन और जापान (Japan) में भी मनाया जाता है।
भारतीय उप-महाद्वीप के प्रत्येक क्षेत्र का बसंत के उत्सव को मनाने का अपना तरीका है। जबकि उत्तर भारत में, विशेष रूप से पंजाब में, इसे सर्दियों के बाद तेज धूप की शुरुआत का स्वागत करने और सरसों के खेतों के पकने का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। इस उत्सव में पतंग उड़ाना एक प्रकार की अभिव्यक्ति में से एक है, जो किसी चीज को खुले आसमान में छोड़कर या उड़ाकर स्वाधीनता को दर्शाता है। खेतों में सुनहरे पीले रंग की चमक, लोगों की पीली पोशाक और यहां तक कि भोजन में भी केसर एक के स्वतंत्र भाव को मुखर करने के लिए प्रोत्साहित करता है। बसंत पंचमी जैसा त्योहार काफी लोकप्रिय है क्योंकि यह न केवल सर्दियों से बसंत तक मौसम के परिवर्तन और पेड़ों और फूलों के खिलने की घोषणा करता है, बल्कि एक मजबूत धार्मिक स्वीकृति को भी दर्शाता है। सभी धर्म अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार इसकी व्याख्या करते हैं। हिंदुओं द्वारा बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है।
देवी सरस्वती परा विद्या, स्वयं का सत्य ज्ञान और अपरा विद्या की देवी हैं। अपरा विद्या हमें सुख दे सकती है, लेकिन यह हमें सच्ची तृप्ति कभी नहीं दे सकती। एक हंस को अक्सर सरस्वती के चरणों में चित्रित किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, यह अच्छे और बुरे के बीच, और शाश्वत और गैर-शाश्वत के बीच विचार करने की क्षमता का प्रतीक है। यह वह विवेचन है जो किसी को विद्या की तलाश में ले जाता है। विवेक और आत्मविश्वास के बिना, हम वास्तव में कभी खुश नहीं हो सकते। इसी के संबंध में एक कहानी पर नजर डालें :
युधिष्ठिर के पास कई गुण थे, लेकिन वे अत्यधिक जुआ खेलने के शौकीन थे। जब दुर्योधन ने उन्हें पासा के खेल के लिए आमंत्रित किया, तो युधिष्ठिर द्वारा दो बाजी हार गए। जब उन्होंने खेलना जारी रखा और हारते गए, तो उनके शरीर से एक उज्ज्वल रूप उभरा। युधिष्ठिर ने उस उज्ज्वल रूप से पूछा की ‘आप कौन हो?’ उज्ज्वल रूप ने कहा ‘मैं विवेक हूं। चूंकि आपने मुझे छोड़ दिया है, इसलिए अब मैं आपको छोड़ रहा हूं’। जल्द ही, एक और रूप सामने आया। युधिष्ठिर ने पूछा, ‘आप कौन हो?’ ‘मैं धर्मनिष्ठ हूं, तुम्हारी धार्मिकता में स्थिर रहने की क्षमता। विवेक के बिना, मैं नहीं रह सकता।’ इनके बाद धीरे धीरे समृद्धि भी चली गई और प्रतिष्ठा ने भी उनका अनुगमन किया।
जल्द ही, युधिष्ठिर ने अपना राज्य और प्रतिष्ठा को खो दिया। एक बार, जब वे जंगल में दुखी और निराशाजनक स्थिति में घूम रहे थे, तो उनके शरीर से एक और उज्ज्वल रूप उभरा। युधिष्ठिर ने पूछा, 'आप कौन हैं?' – मैं आत्मविश्वास हूं’। तब युधिष्ठिर ने संकल्प किया कि वे अपने आत्मविश्वास को जाने नहीं देंगे और ऐसे ही धीरे-धीरे विवेक और धर्मनिष्ठ भी वापस आ गए। विवेक की वापसी के साथ, अधिकार, समृद्धि और प्रसिद्धि ने भी जल्द ही अनुगमन किया। इसलिए संकट में, सबसे महत्वपूर्ण चीज है आत्मविश्वास। आत्मविश्वास और विवेका के साथ, हम अंततः किसी भी कठिनाई को दूर कर सकते हैं।
संदर्भ :-
https://www.nationalheraldindia.com/culture/basant-panchami-spring-never-skips-a-turn
https://www.speakingtree.in/article/spring-cleaning-776812
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर पीले फूलों को दिखाती है। (unsplash)
दूसरी तस्वीर में वसंत पंचमी के लिए देवी सरस्वती को पीले रंग की साड़ी पहनाई हुई दिखाई गई है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में बसंत पंचमी त्योहार पर एक पतंग उड़ती हुई दिखाई गई है। (विकिमीडिया)