City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2198 | 0 | 0 | 2198 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
आकाश में उपस्थित तारों तथा नक्षत्रों का दुनियाभर के विभिन्न धर्मों में विशेष महत्व है। ऐसा ही एक तारा जिसे इस्लाम धर्म में रब अल हिज़्ब (Rub El Hizb) या नजमत-अल-कद्स (Najmat al Quds) के नाम से जाना जाता है। यह एक इस्लामी धार्मिक प्रतीक है जिसका उपयोग अरबी ग्रन्थ के एक अध्याय पूर्ण होने पर एक चिन्ह के रूप में किया जाता है। अरबी भाषा में, रब का अर्थ एक चौथाई और हिज़्ब का अर्थ होता है एक समूह। इसका उपयोग सर्वप्रथम कुरान में किया गया था। जिसे लगभग समान लंबाई के 60 समूहों में विभाजित किया गया था। यह प्रतीक हिज़्ब के हर तिमाह को निर्धारित करता है, जबकि हिज़्ब एक जुज़ का आधा हिस्सा है। इस विभाजन प्रणाली का मुख्य उद्देश्य कुरान के उपदेशों को सुविधाजनक व सरल बनाना है। इस प्रतीक को दो अतिव्यापी वर्गों द्वारा दर्शाया गया है जैसा कि यूनिकोड ग्लिफ़ (۞ ) (Unicode Glyph) में होता है।
नई दिल्ली के पूर्व निज़ामुद्दीन में स्थित हुमायूँ के मकबरे के विशाल चबूतरे को थामे हुए एक पत्थर के स्तंभ के ऊपर सुशोभित यह सुंदर सितारा नजमत-अल-क़द्स या यरुशलम (Jerusalem) के आठ-सितारा इस्लामी वास्तुकला का जीवंत उदाहरण है। इसकी सजावट और सुंदर चित्रकारी इसके धार्मिक महत्व को उजागर करती है। प्राचीन समय की इस्लामी इमारतों की बनावट में सौंदर्यशास्त्र और आध्यात्मिकता का अनूठा संबंध देखा जा सकता है। इसी प्रकार तीसरे मुगल सम्राट जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर के शासनकाल के दौरान दक्षिण स्पेन (South Spain) और मध्य पूर्व में अरब (middle-east Arab) कारीगरों और फारसी वास्तुकार, मिरक मिर्जा गियास द्वारा मध्ययुगीन इस्लामिक वास्तुकला का प्रयोग कर एक शुभ तत्व, नजमत-अल-कद्स का निर्माण किया गया था। वर्तमान में इस इमारत को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
आठ बिंदुओं वाले सितारे का उद्भव
वास्तव में आठ बिंदुओं वाले सितारे का डिज़ाइन (Design) अरब में इस्लाम धर्म की स्थापना से पहले का माना जाता है जो सुमेर (Sumer) और अक्कादिया (Akkadia) की पुरानी सभ्यताओं के साथ-साथ हिब्रू (Hebrew), पार्थियन (Parthian), ससानियन (Sassanian) और क्रिश्चियन बीजान्टिन (Christian Byzantine) कला की विभिन्न कलाकृतियों में दिखाई देता है। मध्यकालीन भारत में दिल्ली सल्तनत के दो शासकों और बाद में गुरकानिस शैली में एक वास्तुशिल्प के रूप में प्रयोग होने वाले छ: बिंदुओं वाले सितारे के समान आठ बिंदुओं वाले सितारे का भी इस्लाम धर्म में विशेष महत्व है। इसे विरासत में प्राप्त हुए एक ऐतिहासिक तत्व की संज्ञा दी जाती है। इसे पुराने समय से ही कभी भेंट तो कभी व्यापार के माध्यम से दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानांतरित किया गया है।
इस्लामिक नजमत-अल-कद्स और इसके पूर्ववर्ती रब-अल-हिज़्ब आठ-बिंदु वाले सितारे के दो समान रूप हैं। किंतु रब-अल-हिज़्ब और नजमत-अल-कद्स दोनों में भिन्नता यह है कि नजमत-अल-कद्स के डिजाइन में दो सितारे एक ही फ्रेम के भीतर बने हुए हैं जबकि रब-अल- हिज़्ब का डिजाइन एक ही सितारे के आठ किनारों को एक-दूसरे से जोड़ता है। आठ बिंदुओं वाले सितारे का डिजाइन शिला तीर्थ के उमय्यद गुंबद के अष्टकोणीय इमारत की रूपरेखा से प्रेरित है जो इस्लाम में पहले क़िबला या प्रार्थना की दिशा के रूप में यरूशलेम की स्थिति का स्मरण करने के लिए बनाया गया था।
हिंदू धर्म में इस आठ बिंदुओं वाले सितारे को धन की देवी माता लक्ष्मी के प्रतीक के रूप में अस्ठलक्ष्मी या लक्ष्मी के सितारे के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा आठ बिंदुओं वाले सितारे को उज़्बेकिस्तान (Uzbekistan), तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) और कजाकिस्तान (Kazakhstan) जैसे विभिन्न राष्ट्रों के झंडों पर भी देखा जा सकता है। सबसे पहली कुरान जो कि पूर्वी अरबी लिपि में लिखी गई थी, से प्राप्त साक्ष्यों से पता चलता है कि इस्लामिक राज्यों के निर्माण के साथ अरबी भाषा सीखने को भी अनिवार्य किया गया था। साथ ही वास्तु परियोजनाओं के निर्माण अरबी वास्तुकारों द्वारा ही किया जाता था। समय के साथ ईसाई बीजान्टिन (Byzantine) वास्तुकारों के कौशल पर भी विचार किया गया और 691 ई. में यरुशलम शहर में डोम ऑफ़ द रॉक (Dome of the Rock) धर्मस्थल के निर्माण में अरबी के साथ बीजान्टिन वास्तुकला को भी स्थान दिया गया। आठ बिंदुओं वाले सितारे का उपयोग अरबियों ने न सिर्फ अपनी वास्तुकला और सजावटी कला की तकनीकों में किया बल्कि अपने पहले क़िबला नजमत-अल-कद्स के ज्यामितीय निरूपण के प्रतिनिधित्व के लिए भी किया। तत्पश्चात अरब के लोगों ने इस सितारे को एक शुभ अनुस्मारक के रूप में कई स्थानों जैसे कब्रों, आंगनों की सजावट और सिक्कों पर नक्काशी करने के लिए भी इस्तेमाल करना आरम्भ कर दिया। अरब इस्लाम धर्म की स्थपना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। इसके अलावा अरबी वास्तुकला और चित्रकारिता के जटिल किंतु मनमोहक नमूनों को आज भी कई स्थानों पर देखा जा सकता है।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.