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अंतर्राष्ट्रीय खगोलविदों के एक समूह ने असंभव कार्य को संभव करके दिखा दिया है, उन्होंने कृष्ण विवर (Black Hole) के छाया चित्र की एक छवि को कैप्चर (Capture) किया है। दरसल कृष्ण विवर अंतरिक्ष के उन स्थानों में पाए जाते हैं जहां किसी भी वस्तु का अस्तित्व नहीं पाया जाता है और खगोलविदों द्वारा लंबे समय से इन घटनाओं के परिवेश पर प्रभावों का अवलोकन किया जा रहा है। कृष्ण विवर की छवि को कैप्चर करने से पहले ऐसा माना जाता था कि यह एक असंभव कार्य है क्योंकि किसी ऐसी चीज़ की छवि, जो पूरी तरह से काली हो और जिसके आस पास कोई प्रकाश तक न बच सकता हो, ले पाना असंभव ही साबित होता है।
हालांकि वैज्ञानिकों ने यह प्रमाणित किया था कि उन्होंने अपने छायाचित्र में कृष्ण विवर के चमकते हुए परिवेश के प्रतिकूल ली जा सकती है। यह एक अत्यंत ही कठिन कार्य था तथा यह चित्र लेने के लिए दुनिया भर में विशालकाय कैमरों (Camera) को लगाया गया था। यह चित्र जब बाहर आई तो यह एक धूल और गैस के चक्र को प्रदर्शित कर रही थी। यह कृष्ण विवर M87 तारामंडल में मौजूद है और पृथ्वी से करीब 55 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। कृष्ण विवर एक ऐसा लौकिक दरवाज़ा है जिसके उस पार किसी भी प्रकार का प्रकाश या वस्तु नहीं जा सकता। इसके चित्र को लेने के लिए इवेंट होराइज़न टेलिस्कोप (Event Horizon Telescope - EHT) का प्रयोग किया गया था और इसके अलावा करीब 8 रेडियो टेलिस्कोप (Radio Telescopes) का सहारा लिया गया था जो कि अंटार्टिका (Antartica) से लेकर स्पेन (Spain) और चिली (Chile) तक उपस्थित थे।
यह उपलब्धि दुनिया भर के खगोलविदों, वेधशालाओं और वैज्ञानिक संस्थानों को शामिल करते हुए वर्षों की कड़ी मेहनत पर आधारित थी। शेपर्ड डोएलमन (Sheperd Doeleman) जो कि ई.एच.टी. के निर्देशक हैं और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) के वरिष्ठ अन्वेषण कर्ता हैं, द्वारा बताया गया कि कृष्ण विवर दुनिया की सबसे बड़ी रहस्य वाली वस्तु थी जिसे हमने देखा है और जो कि अबतक अनदेखा था। प्रस्तुत हुए चित्र को यदि देखा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि यह एक डोनट (Donut) या मेंदू वड़ा की तरह दिखता है। हांलाकि यह विभिन्न गैसों और कणों को लिए हुए एक खाली चक्र का निर्माण करता हुआ दिखाई देता है जिसे गुरुत्वाकर्षण ने एक तश्तरी की तरह प्रस्तुत किया है। कृष्ण विवर निर्मित किये गए चित्र में इतना छोटा है कि उसमें कुछ समझना अत्यंत ही मुश्किल है।
छवि में प्रभामंडल की अर्धचंद्राकार उपस्थिति इसलिए है क्योंकि पृथ्वी की ओर घूमने वाले चक्र के किनारे तेजी से हमारी ओर प्रवाहित होते हैं और इसलिए चमकीले दिखाई देते हैं। वहीं मौजूद अंधकारमय छवि क्षितिज के किनारे को चिह्नित करती है, बिना किसी वापसी के बिंदु, जिसके आगे कोई भी प्रकाश या द्रव्यमान कृष्ण विवर के अनुभवहीन गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से बचने के लिए पर्याप्त तेजी से यात्रा नहीं कर सकता है। वहीं कृष्ण विवर का अनुमान सबसे पहले आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत से लगाया गया था, हालांकि आइंस्टीन इसके अस्तित्व को लेकर स्वयं संदेह में थे। तब से, खगोलविदों द्वारा कई सबूत जमा किए गया कि ये ब्रह्मांडीय सिंकहोल (Sinkhole) मौजूद हैं।
परंतु हाल ही में आए कोरोनावायरस महामारी ने भविष्य की ईएचटी खोजों के रास्ते में कई अड़चने उत्पन्न कर दी है: जैसे 2020 के परियोजना अवलोकन अभियान को बंद कर दिया गया था क्योंकि कई भाग लेने वाले क्षेत्र स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से बंद हो गए थे। हालांकि अभियान को बंद करना एक सही कदम था, लेकिन इसमें ग्रीनलैंड, एरिज़ोना और फ्रांसीसी आल्प्स में उपकरणों से पहली बार योगदान प्राप्त होना था।
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