Post Viewership from Post Date to 02-Feb-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2925 1 0 0 2926

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

मेरठ के आसपास छिपा जाटों का इतिहास

मेरठ

 28-01-2021 10:55 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
15 अगस्‍त 1947 को जब भारत आजाद हुआ उस समय यह लगभग 587 रियासतों में विभाजित था। जो 1950 तक भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गयीं, इन रियासतों में से 7 रियासतें जाट कबीले की थीं।
जाट राज्य और उनके सरदार
1. भरतपुर राज्य के सिनसिनवार (Sinsinwar of Bharatpur State)
2. धौलपुर राज्य के राणा (Rana of Dholpur State)
3. गोहद के बमरौलिया (Bamraulia of Gohad)
4. मुर्सन के थेनुआ (ठाकुर) (Thenua (Thakur) of Mursan)
5. जींद राज्य के सिद्धू बरार (Sidhu Brar of Jind State)
6. नाभा राज्य के सिद्धू (Sidhu of Nabha State)
7. पटियाला राज्य के सिद्धू (Sidhu of Patiala State)
भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी क्षेत्रों के कई हिस्सों पर जाटों के विभिन्न कुलों द्वारा शासक या रियासत के रूप में शासन किया गया था। इनमें से 7 बड़ी रियासतों के जाट राज्यों ने वास्तव में गठबंधन (1857 की भारतीय स्वतंत्रता की पहली बड़ी लड़ाई के बाद विवाह और ब्रिटिश राज हस्तक्षेप के माध्यम से) किया और पश्चिमी यूपी में अपने जागीरदारों और जमींदारों को नियुक्त किया। मेरठ के पास, आज भी हम कई ऐसे जमींदारों के किले और उनके इतिहास को देख सकते हैं। जिनमें से कुछ को आज होटल में बदल दिया गया है। आइए आज हम अपने आसपास के क्षेत्र में दौराला, ऊंचा गाँव और कुचेसर के बारे में जानते हैं।
दौराला:
दौराला मेरठ जिले की सरधना तहसील का गाँव है। राम सरूप जून (Ram Sarup Joon ) लिखते हैं बाहिक जाटसारे (Bahik Jatsare) हिंदू और सिख दोनों में मिलते हैं। पाकिस्तान (Pakistan ) में मुस्लिम बाहले जाट (Muslim Bahele Jats) हैं, बाहिक का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। महाभारत के कर्ण पर्व के अनुसार राजा शल्य ने बहिकों को अपनी आय का 6 वां हिस्सा दिया था। नंदलाल डे के अनुसार, बाहिक मद्राक्‍स (Madraks) की एक उप शाखा हैं। जिला शेखूपुरा में अरात उनकी राजधानी थी। हशक (Hashak), कर्मभ कलक (Karmabh Kalak) और कारकर (Karkar) उनके महत्वपूर्ण शहर थे। दौराला में बहुजन जाटों के छह गाँव हैं। कुवंर अनवर रघुनंदन सिंह दौराला के एक उल्‍लेखनीय जाट हैं।
कुवंर अनवर रघुनंदन सिंह (अहलावत) (1915 – 1985) पुत्र चौधरी रिशाल सिंह का जन्म 1915 में मेरठ जिले के सरधना तहसील के दौराला गाँव में हुआ था। वह दौराला के एक प्रसिद्ध जाट जमींदार, कृषक और परोपकारी थे। उन्हें 1930 या 1940 के दशक में ब्रिटिश शासन द्वारा "कुंवर रईस" की उपाधि से सम्मानित किया गया था। कुंवर रघुनंदन सिंह उन अग्रणी लोगों में से एक थे जिन्होंने पूरे उत्तर पूर्वी भारत में यंत्रीकृत खेती की नींव रखी। भारत में फसल काटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पहली मशीनरी (Machinery) इन्‍हीं के द्वारा जर्मनी (Germany) से लायी गयी थी। उन्होंने अपने गाँव के किसानों के उत्थान के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। उन्होंने किसानों के लिए पहला सहकारी बैंक (1962) शुरू किया और साथ ही दौराला में किसानों के लिए पहली सहकारी समिति (1962) खोली, जहां वे गरीब किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशक आदि खरीदने और उनकी आर्थिक मदद कर सकें। लगभग 7-8 वर्षों के लिए उन्हें सहकारी बैंक और समाज दोनों के सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया।
वह ब्रिटिश शासन के दौरान मेरठ शहर में विंटेज कार (vintage car) रखने वाले कुछ भारतीयों में से एक थे। सभी को विशेष रूप से बालिकाओं को शिक्षित करने में मदद करना उनका सपना था और इसलिए उनके नाम पर दौराला गांव में वंचित लड़कियों के लिए एक स्कूल शुरू किया गया था, जो आज भी उनके पैतृक घर और भूमि में चलाया जाता है और उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त है।

ऊंचा गाँव:
ऊंचा गाँव उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर जिले की देबाई तहसील में पिलानिया जाटों (Pilania Jats) के जाट किले का एक गाँव और स्थल है। ऊंचा गाँव, ऊंचा गाँव मड फोर्ट (Unchagaon Mud Fort) के लिए भी प्रसिद्ध है। किले की पुरानी नींव तोमर राजवंश, जो पिलानिया जाट शासकों के रिश्तेदार भी थे, के शासन में रखी गयी थी। मुख्य शासक परिवार बहादुरपुर एस्टेट (Bahanpur estate) से ऊंचा गाँव किले में आ गए थे, वर्तमान होटल का निर्माण बाद में क्रमिक शासकों द्वारा किया गया था। 1898 में राजा गुरसहाय सिंह की मृत्यु के बाद, उनके पोते राजा करण सिंह को जमींदारी विरासत में मिली। उनकी कोई संतान नहीं थी और 1927 में अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में उन्‍होंने भतीजे राजा सुरेंद्र पाल सिंह को गोद लिया, यह उस समय 10 साल के थे। 1933 में जब राजस्थान में भरतपुर राज्य के महाराजा किशन सिंह की बेटी से इनकी शादी हुई तो किले को पूरी तरह से पुनर्निर्मित किया गया। इस महल का नवीनीकरण सुरेंद्र पाल सिंह द्वारा किया गया था। और अब इसका एक हिस्सा हेरिटेज रिसोर्ट / होटल (heritage resort/Hotel) के रूप में खोला गया है।

कुचेसर:
कुचेसर बुलंदशहर जिले के ओसियां तहसील का गाँव है। राम सरूप जून लिखते हैं कि कुचेसर के दलाल वंश: के चार भाई, बहल सिंह, जग राम, जीत मल और गुरवा, रोहतक जिले के मंडोठी से कुचेसर में आकर बस गए। वे उत्साही थे। गुरवा ने चंदौसी परगना पर कब्जा कर लिया और उनके वंशज वहीं बस गए। विलियम क्रुक (William Crooke ) ने अपनी पुस्तक "द ट्राइब्स एंड कास्ट्स ऑफ द नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंस एंड अवध" (The Tribes and Castes of the North Western Provinces and Avadh) में दलाल गोत्र की उत्पत्ति के बारे में लिखा है। विलियम क्रुक ने उल्लेख किया है कि देसवाल, दलाल और मान हरियाणा के रोहतक के गांव सिलौटी की धननारायण जाट और बडगुजर राजपूत महिला से तीन बेटे थे। तीनों पुत्रों के वंशज क्रमशः देसवाल, दलाल और मान जाट के रूप में जाने जाते थे। कुचेसर भारत में उत्तर प्रदेश में दलाल गोत्र जाटों की रियासत था। कुचेसर के जाट शासकों ने, जो हरियाणा के मांडोटी से थे, 18 वीं शताब्दी के मध्य में जगह-जगह पर अपना मिट्टी का किला बनाया। कुचेसर का मड किला (Mud Fort of Kuchesar ) जाटों के चेकर इतिहास के बारे में बताता है जिन्होंने सिखों, मराठों, रोहिलों और राजपूतों के साथ-साथ फ्रांसीसी साहसी और ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ, मुगल सत्ता की रिक्तता को भरने का प्रयास किया था। परिवार ने दलित वंश के जाटों से अपने साहसिक वंश का पता लगाया। इस क्षेत्र में लगभग 1630 दलाल जाटों का निवास था। दलाल, गोत्र जाट परिवार में भील, जगराम, जटमल और गुरवा चार भाई थे जिन्होंने कुचेसर राज्य की स्थापना की थी। कुचेसर का मड किला आज एक विरासत होटल है। किले ने उत्तर प्रदेश के जाट साम्राज्य की तत्कालीन स्थिति को दर्शाता है। 18 वीं शताब्दी के मध्य के इस किले को उत्कृष्ट रूप से संरक्षित किया गया है। होटल मड फ़ोर्ट कुचेसर में ब्रिटिश काल के तत्वों को बनाए रखा गया है और आतिथ्य के पारंपरिक भारतीय मंत्र "आतिथि देवो भव" को आदर्श मानता है।
संदर्भ:
https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Jat_states_and_clans
https://bit.ly/2YmlTy4
https://www.jatland.com/home/Daurala
https://www.jatland.com/home/Uncha_Gaon
http://fortunchagaon.com/
https://www.jatland.com/home/Kuchesar
https://www.mudfortkuchesar.com/
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में ऊंचा गाँव का किला दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
दूसरी तस्वीर ऊंचा गाँव किले को दिखाती है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में मड फोर्ट, कुचेसर को दिखाया गया है। (प्ररंग)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id