चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं, सांप के जहर से तैयार दवाएं

मेरठ

 06-01-2021 02:07 AM
रेंगने वाले जीव

धरती पर सांप की कई प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनका जहर मानव के लिए बहुत घातक माना जाता है। हालांकि, यह जहर खतरनाक है, लेकिन वर्तमान समय में इनका उपयोग कई दवाईयों के निर्माण में भी किया जा रहा है। सांप का जहर एक उच्च संशोधित लार होता है, जिसमें ज़ूटॉक्सिन (Zootoxins) मौजूद होते हैं। इसकी सहायता से सांप अपने शिकार का स्थिरीकरण और पाचन आसानी से कर सकता है तथा अपने आपको खतरे से भी बचाता है। सामान्यतः सांप का जहर किसी व्यक्ति या जानवर तक तब पहुंचता है, जब सांप द्वारा उन्हें काटा जाता है, किंतु सांप की कुछ विशिष्ट प्रजातियां अपने जहर को थूकने में भी सक्षम हैं। अन्य कशेरुकी जीवों में पायी जाने वाली पेरोटिड (Parotid) लार ग्रंथियां सांप में संशोधित हो जाती हैं तथा ज़ूटॉक्सिन को स्रावित करने वाली ग्रंथियों का निर्माण करती हैं। ग्रंथियों में बड़ी एल्वियोली (Alveoli) होती है, जिसमें संश्लेषित जहर संग्रहित होता है। जहर में 20 से अधिक विभिन्न यौगिक होते हैं, जिनमें ज्यादातर प्रोटीन (Proteins) और पॉलीपेप्टाइड (Polypeptides) शामिल हैं। विषाक्त और घातक गुणों के साथ प्रोटीन, एंजाइमों (Enzymes) और विभिन्न अन्य पदार्थों का एक जटिल मिश्रण शिकार को गतिहीन कर देता है। सांप के जहर में मौजूद कुछ प्रोटीन विभिन्न जैविक कार्यों जैसे – खून का जमना, रक्तचाप विनियमन और तंत्रिका या मांसपेशियों के आवेगों के संचरण आदि पर बहुत विशिष्ट प्रभाव डालती हैं, जिसके कारण इन्हें औषधीय या नैदानिक उपकरणों और यहां तक कि उपयोगी दवाओं के रूप में उपयोग के लिए भी विकसित किया गया है। सांपों की लगभग 3000 अलग-अलग प्रजातियाँ हैं, जिनमें से लगभग 600 प्रजातियां विषैली हैं। सांपों की प्रजाति में दो मुख्य प्रकार के ज़हर पाए जाते हैं, जिनमें हेमोटॉक्सिन (Hemotoxins) और न्यूरोटॉक्सिन (Neurotoxins) शामिल हैं। हेमोटॉक्सिन खून के संचार पर अपना प्रभाव डालता है ताकि, यौगिकों का स्कंदन न हो और रक्त का संचरण सही तरीके से हो। न्यूरोटॉक्सिन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर अपना प्रभाव डालता है, जिससे मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं, और दम घुटने लगता है। न्यूरोटॉक्सिन, न्यूरॉन झिल्लियों के आस-पास आयनों (Ions) के विनियमन में सहायता करने वाले संचार चैनलों (Channels) को बाधित करता है, जिससे संपूर्ण शरीर प्रणाली खराब हो सकती है, और तत्काल मृत्यु हो सकती है।
सांप के विषैले जहर से एंटीवेनम (Antivenom) तैयार किया जाता है। यह एंटीबॉडी (Antibodies) से बना होता है, जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब कोई विषैला जीव काट लेता है या डंक मार लेता है। एंटीवेनम का इस्तेमाल केवल तभी किया जाता है, जब विषाक्तता अत्यधिक या उच्च जोखिम वाली हो। नए चिकित्सा अनुसंधान यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि, सांप के जहर का इस्तेमाल स्ट्रोक (Stroke) और घातक ट्यूमर (Tumor) का इलाज करने के लिए किया जा सकता है। हेमोटॉक्सिन से प्राप्त दवाओं का उपयोग दिल के दौरे और रक्त विकारों के उपचार में किया जाता है। सांप के जहर से प्राप्त पहली दवा को उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए विकसित किया गया था। इस जहर को ब्राजील (Brazil) के पिट वाइपर (Pit viper) से लिया गया था। इसमें मौजूद प्रोटीन एंजियोटेंसिन-परिवर्तन एंज़ाइम (Angiotensin-converting Enzyme) मानव शरीर में एक स्थिर रक्तचाप बनाए रखने के लिए उपयोग की जाती है। हेमोटॉक्सिन से प्राप्त अन्य दवाओं में इप्टिफेबेटाइड (Eptifibatide) शामिल है, जिसमें एक संशोधित रैटलस्नेक (Rattlesnake) वेनम प्रोटीन, और टिरोफिबन (Tirofiban) शामिल हैं। इन दवाओं का उपयोग मामूली दिल के दौरे के उपचार में किया जाता है। ये दवाएं खून के थक्कों को घुलने में मदद करती हैं और थक्कों को बनने से रोकती हैं। न्यूरोटॉक्सिन से प्राप्त दवाओं का उपयोग मस्तिष्क की चोटों, अल्जाइमर (Alzheimer’s) और पार्किंसंस (Parkinson’s) जैसी बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। साँप प्रजातियों की इस उपयोगिता को देखते हुए वर्तमान समय में कई लोगों द्वारा स्नेक मिल्किंग (Snake milking) का कार्य किया जा रहा है। स्नेक मिल्किंग वह प्रक्रिया है, जिसमें जहरील सांपों का जहर निकालकर एंटीवेनम बनाया जाता है और फिर उस एंटीवेनम का उपयोग अस्पतालों या प्रयोगशालाओं में आवश्यकता के समय किया जाता है। एंटीवेनम के लिए प्रायः जहरीले सांपों जैसे, कोबरा (Cobras), मांबा (Mambas), वाइपर, कोरल (Corals), कॉपरहेड (Copperheads), क्रेट (Kraits), समुद्री सांप और रैटलस्नेक के जहर का उपयोग किया जाता है। सांप का जहर निकालना दिलचस्प प्रतीत हो सकता है, लेकिन यह कार्य काफी जोखिम भरा होता है। इसके लिए कुछ विशिष्ट गुणों के साथ इससे सम्बंधित प्रशिक्षण का होना आवश्यक है, जिसमें काफी सालों का समय लगता है।
साँप का जहर निकालने वाले लोग आमतौर पर सर्पेंटेरियम (Serpentarium) में रहते हैं। यह एक प्रकार की प्रयोगशाला है, जहां सांपों और अन्य संबंधित विषैले सरीसृपों पर शोध किया जाता है। यहां काम करने वाले लोग अलग-अलग कामों जैसे संरक्षण, प्रजनन, अनुसंधान, पुनर्वास, पशुचिकित्सा सेवा आदि में संलग्न होते हैं। इन कर्मचारियों को अधिकांश भुगतान घंटे के हिसाब से किया जाता है। इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए गणित, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है। इसके अलावा यदि आप सरीसृप विज्ञान से स्नाकोत्तर हैं, तो यह क्षेत्र आपके लिए अधिक उपयुक्त हो सकता है। वर्तमान समय में कोविड 19 (Covid-19) के प्रभाव ने कई चीजों को बदल दिया है, जिसमें चिकित्सा विज्ञान भी शामिल है। ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनके इलाज के लिए सांप के जहर के उपयोग पर शोध किया जा रहा है। इन शोधों में अब कोविड 19 भी शामिल हो गया है तथा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि, कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई में सांप के जहर की विशेष भूमिका हो सकती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/2MB5Ud0
https://en.wikipedia.org/wiki/Snake_venom
https://bit.ly/2XqCNvf
https://www.careerexplorer.com/careers/snake-milker/
https://www.environmentalscience.org/career/snake-milker
https://en.wikipedia.org/wiki/Antivenom
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में सांप का जहर दिखाया गया है।
दूसरी तस्वीर में सांप के दांतों पर ज़हर दिखा है। (Wikimedia)
आखिरी तस्वीर में विष के दांत दिखते हैं। (Wikimedia)

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