भारत का लगभग हर क्षेत्र अपने किसी-न-किसी विशेष खाद्य पदार्थ के लिए जाना जाता है। उदाहरण के लिए आगरे का ‘पेठा’ जो ताजमहल के बाद आगरा की सबसे लोकप्रिय विशेषता है। पेठा एक नरम, पारभासी कैंडी (Candy) है, जिसे प्रायः कद्दू से बनाया जाता है। इसे मिठाई का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है, जिसे केवल फल, चीनी के घोल और पानी से बनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि आखिर पेठे के आविष्कार की कहानी क्या है? ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि, शाह जहाँ (Shah Jahan) के शासनकाल के दौरान शाही रसोई से पेठे के कुछ शुरुआती उदाहरण प्राप्त हुए। ऐसा माना जाता है कि, पेठा उतना ही पुराना है, जितना कि, ताज महल। वास्तव में, यह शब्द लगभग 350 साल पहले अस्तित्व में आया, जब बादशाह शाह जहाँ ने अपने शाही रसोइये को एक ऐसी मिठाई तैयार करने का आदेश दिया जो उतनी ही शुद्ध हो, जितना कि, ताज के संगमरमर का सफेद रंग। इसका सुंदर परिणाम 'पेठा' के रूप में सामने आया। इस मिठाई का आविष्कार मुगल साम्राज्य में ताज महल के निर्माण के दौरान उन 21,000 कर्मचारियों के लिए किया गया, जो इस स्मारक के निर्माण कार्य में संलग्न थे। वे रोज एक ही भोजन (ज्यादातर दाल और रोटी) का सेवन करने से ऊब गए थे तथा उनकी दलील सुनकर, सम्राट शाह जहाँ ने वास्तुकार उस्ताद ईसा एफेंदी (Isa Effendi) के साथ इस चिंता को साझा किया। वास्तुकार ने सम्राट की चिंताओं के समाधान के लिए पीर नक्शबंदी (Naqshbandi) साहिब से अनुरोध किया। माना जाता है कि, पीर ने सपने में ईश्वर से पेठा बनाने का नुस्खा सीखा था। फिर उन्होंने अपने 500 रसोइयों के समूह को यह नुस्खा सिखाया ताकि, परिणामस्वरूप बने खाद्य पदार्थ को कार्यकर्ताओं तक भेजा जा सके।
बेशक, पेठा का आविष्कार मुगलों ने किया लेकिन, इसे प्रसिद्धि दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका आगरा के सबसे प्रसिद्ध पेठा ब्रांड (Brand) पंछी की थी। सत्तर साल पहले शुरू हुआ यह ब्रांड वर्तमान समय में मूल पेठे में कई प्रकार के प्रयोग करके काफी लोकप्रिय हो गया है। मुगल की रसोई से उत्पन्न पेठा अब आगरा के हर क्षेत्र में उपलब्ध हो जाता है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। यहां पेठे कई स्वादों और आकारों में उपलब्ध है, जिनमें केसर पेठा, पान पेठा, अंगूरी पेठा और कई अन्य प्रकार शामिल हैं। इसकी गुणवत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, यह मुंह में रखते ही घुल जाता है। हालांकि, पेठा उद्योग अब आगरा की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, लेकिन इसे कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है। आगरा में प्रदूषण के बारे में बढ़ती चिंताएं और इस क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन के उपयोग पर प्रतिबंध, इस प्रसिद्ध मिठाई के भविष्य को धूमिल करते नजर आ रहे हैं। यमुना नदी का सूखना भी इस उद्योग के लिए समस्या उत्पन्न करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। ऐसे ही अनेक कारणों की वजह से इस उद्योग को शहर से दूर एक नए स्थान पर स्थानांतरित करने का प्रयास किया जा रहा है।
वर्तमान समय में कोरोना (Corona) महामारी के प्रसार को रोकने के लिए की गयी तालाबंदी भी इस उद्योग के लिए चुनौती बनकर उभरी। लेकिन आधे साल के अंतराल के बाद, जहां पर्यटकों को अब ताज महल घूमने की अनुमति मिल गयी है, वहीं प्रसिद्ध पेठा मिठाई उद्योग भी फिर से गतिशील हो गया है। ताज महल के खुलने से पेठा उद्योग को अत्यधिक फायदा होने की सम्भावना है, क्यों कि, इसकी बिक्री में 50% तक की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। तो, अगली बार जब कभी भी आप आगरा जाएं, तो ताजमहल की सुंदरता और भव्यता का लुफ्त उठाने के साथ-साथ अनूठे प्रकार के मीठे स्वाद वाले पेठे का भी आनंद अवश्य लें।
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