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विश्व की आधी से ज्यादा मानव आबादी शहर में निवास करती है और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 70 प्रतिशत से अधिक में योगदान देती है। हालांकि इस बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण में हानिकारक प्रभाव देखने को मिला है, लेकिन स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक संबंध की दृष्टि से काफी उन्नति की है। इसके साथ ही दोनों विकसित और विकासशील देशों में गहरी असमानताएं और गरीबी भी देखने को मिलती है जो लोगों में क्रोध और आक्रोश को उत्पन्न करती है। विशेष रूप से प्रासंगिक वर्तमान महामारी में, विश्व भर के गरीब लोगों (जिनमें झुग्गियों में रहने वाले 1.2 बिलियन लोग और 70 मिलियन से अधिक विस्थापित और शरणार्थी शामिल हैं) के लिए एक सुरक्षित, प्रावधानित, कम घनत्व वाले वातावरण का अभाव देखने को मिला है। अन्य हालिया बीमारी के प्रकोप भी शहरी वातावरण में ही उत्पन्न हुए हैं। जैसे एक मच्छर से फैलने वाली विषाक्त बीमारी ज़िका, जो कि युगांडा (Uganda) में मूल रूप से उत्पन्न हुई थी और 2015 में दो ब्राज़ीलियाई (Brazilian) शहरों में तेजी से फैल गई, और अंततः इसने लगभग 1.5 मिलियन लोगों को प्रभावित किया और हजारों नवजात शिशुओं में लघुशीर्षता को उत्पन्न किया।
ऐसे ही चीन (China) में फैलने के बाद, कोविड-19 (Covid-19) तेजी से दुनिया भर के शहरी केंद्रों में उभरने लगा। आनुवंशिक अध्ययनों से पता चलता है कि फरवरी के अंत में वाशिंगटन (Washington) राज्य में दर्ज किए गए मामलों का स्रोत चीन में था, हालाँकि समुदाय में विषाणु का प्रसार स्पष्ट रूप से उस समय कैलिफोर्निया (California) में भी हो रहा था। तब तक यह बीमारी यूरोप (Europe) होते हुए न्यूयॉर्क (New York) भी पहुंच गई थी। जल्द ही यह अन्य शहरी केंद्रों में फैल गई। मनुष्यों में पशुजन्य रोग फैलने का मुख्य कारण शहरीकरण, वन्यजीव व्यापार, वनों की कटाई, भूमि रूपांतरण, औद्योगिक पशु खेती और जलते जीवाश्म ईंधन हैं। शहरी राजनीतिक पारिस्थितिकी शहरीकरण को एक राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और पारिस्थितिक प्रक्रिया के रूप में मानती है। यह अध्ययन का एक क्षेत्र है जो उन संबंधों की जांच करता है जो शारीरिक रूप से शहरी जीवन को बनाए रखते हैं और उन प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं जो उन्हें प्रभावित करते हैं।
शहरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शहर का विस्तार करना शामिल है, क्योंकि इसमें लोगों और सामान की गतिविधियों और संचार की एकाग्रता शामिल है। परंपरागत रूप से, शहरी परिधि को पूरी तरह से अदृश्य डंपिंग ग्राउंड (Dumping ground - प्रदूषण फैलाने वाले कारखाने, परमाणु संयंत्र, कचरा डंप और पुनरावर्तन सुविधाएं और साथ ही सेवानिवृत्ति के घर) के साथ मध्यम वर्ग के उपनगर के रूप में वर्णित किया गया है। आज, हालांकि, शहरी परिधि के विस्तारित आकार और महत्व विभिन्न प्रकार (अनौपचारिक बस्तियां, गेटेड (Gated) समुदाय, मीनार संपत्ति, उपनगरीय गाँव, शास्त्रीय उपनगर, गोदाम क्षेत्र, एयरोट्रोपोलिस (Aerotropolises - एक हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्र) मनोरंजक और अवसंरचनात्मक स्थानों के रूप में) के रूप लेते हैं।
वहीं शहरी जीवनशैली बुनियादी ढांचे और उद्योग के विशाल समाज द्वारा बनाए रखी जाती है जो पर्यावरण से अतिरिक्त पहुंचती है। ये संबंध बड़े पैमाने पर पर शोषण, अन्याय और उत्पीड़न के आकार के हैं, जो कि पूंजीवाद पर निर्भर करता है। शहरीकरण का औपनिवेशिक चरित्र हिंसक रूप से भौतिक परिदृश्य को बदल देता है और नष्ट व कम कर देता है और अंतर, प्रतिरोध और संभावना के दर्शन को सीमित कर देता है। साथ ही असमान विकास अपरिहार्य और कभी-कभी अप्रत्याशित तबाही को भी उत्पन्न करता है। असमान विकास से तात्पर्य है शहरों में लोगों की जनसंख्या अधिक हो जाना और सुविधाओं का विकसित न होना। जब कोई शहर अपनी आबादी को आजीविका, आवास और बुनियादी ढांचा प्रदान करने के मामले में असमर्थ रहता है तो उसे छद्म शहरीकरण कहा जाता है। छद्म शहरीकरण का अर्थ है कि शहरीकरण की प्रक्रिया आधुनिकीकरण के औद्योगीकरण के अनुरूप नहीं है।
छद्म शहरीकरण एक प्रसंग है जिसे मूल रूप से 20 वीं शताब्दी में जनसांख्यिकी, भूगोल, पारिस्थितिकी, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र के विद्वानों द्वारा विकसित किया गया था, उन शहरों का वर्णन करने के लिए जिनके शहरीकरण की दर उनके औद्योगिक विकास और आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। समाजशास्त्री जॉन शेंड्रा ने कहा कि छद्म शहरीकरण के कारणों के बारे में तर्क पांच समूहों में आते हैं:
1. ग्रामीण इलाकों का हटना और शहरी इलाकों का आना;
2. आर्थिक आधुनिकीकरण का परिप्रेक्ष्य;
3. राजनीतिक आधुनिकीकरण का परिप्रेक्ष्य;
4. नव-माल्थुसियन (neo-Malthusian) परिप्रेक्ष्य;
5. निर्भरता परिप्रेक्ष्य।
हालांकि कई कारणों का सुझाव दिया गया है, लेकिन सबसे आम है जनसंख्या वृद्धि के अलावा ग्रामीण इलाकों का हटना और शहरी इलाकों की वृद्धि होना।
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