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मेरठ की ज्यादातर भूमि में दोमट (चिकनी बलुई मिट्टी) और उसके विभिन्न रूप पाए जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इसे AES-1 वर्ग में वर्गीकृत किया गया है। दोमट मिट्टी कई प्रकार की मिट्टियों (रेत, गाद और मिट्टी) से मिलकर बनी होती है और पौधों की बढ़वार के लिए आदर्श माध्यम है। इसकी नमी और पोषक तत्वों को बनाए रखने की क्षमता की वजह से इसे खेती के लिए बेहतर माना जाता है। ऐसी दोमट मिट्टी को कृषि मृदा कहा जाता है क्योंकि इसमें तीनों प्रकार की मिट्टी की सामग्री का मिश्रण होता है जिसमें रेतीली, चिकनी मिट्टी और गाद होती है, और ह्यूमस (Hummus) भी निहित होता है। दोमट मिट्टी में गाद, रेत और चिकनी मिट्टी के अंश मिश्रित होने की वजह से भिन्न-भिन्न प्रकार की दोमट बनती हैं जैसे रेतीली दोमट, गाद दोमट, चिकनी दोमट, रेतीली चिकनी दोमट आदि। इनके अलावा, इसके अजैवी स्रोतों के कारण इसमें कैल्शियम (Calcium) और पीएच ((P.H.)7.5 – 8.5) का स्तर अधिक होता है। इसमें गाद मृदा की तुलना में जल रिसाव और जल निकासी की अधिक प्रबल क्षमता होती है। इसकी यही जलावशोषण क्षमता इसे फसल उगाने के लिए आदर्श बनाती है।
गेहूं, गन्ना, कपास, दलहन और तिलहन सहित कई फसलों को उगाने के लिए दोमट मिट्टी आदर्श है। इस दोमट मिट्टी में, सब्जियां भी अच्छी तरह से उगती हैं। टमाटर, मिर्च, हरी सेम, खीरा, प्याज, और सलाद पत्ता आम सब्जियों और फसलों के कुछ उदाहरण हैं जो एक दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से उगते हैं। मीठी मकई, भिंडी, मूली, बैंगन, गाजर, सेम की फली, प्याज और पालक अन्य आम सब्जियां हैं जो रेतीले दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से उगती हैं। सामान्य तौर पर, रेतीले दोमट मिट्टी में जड़ वाली सब्जियों और पत्तेदार सब्जियों के पौधे अच्छी तरह से विकसित होते हैं। दोमट मिट्टी का उपयोग दुनिया भर के क्षेत्रों में इसकी उपजाऊ प्रकृति के कारण कई उत्पादक खेतों में किया जाता है। दोमट मिट्टी नरम और फैल जाने वाली होती है और नमी की स्थिति की एक विस्तृत श्रृंखला के तहत इसमें खेती करना आसान होता है।
दोमट मिट्टी को कई पौधों को उगाने के लिए सबसे अच्छा रोपण माध्यम के रूप में जाना जाता है। नए बागवानों के निर्माण हेतु दोमट मिट्टी को ही प्राथमिकता दी जाती है। पौधों के भरण पोषण हेतु सभी आवश्यक कारक दोमट मिट्टी में मौजूद होते हैं। दोमट मिट्टी भुरभुरी होती है, जिस कारण हवा आसानी से इसमें मिल जाती है, जो पौधों के विकास में सहायक होती है। अधिकांश पौधों की किस्मों को उगाने के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। दोमट मिट्टी का उपयोग प्राचीन काल से ही ईंटों को बनाने के लिए भी किया जाता है। दोमट का इस्तेमाल भवन निर्माण में भी होता है, दीवारों के भीतरी हिस्से में इसकी परत लगाने से सीलन को नियंत्रित किया जा सकता है। चूने के साथ इसका मिश्रण बनाकर इसे दीवारों की मजबूती के लिए कठोर निर्माण सामग्री के रूप में प्रयोग किया जाता है।
यद्यपि दोमट रेत, गाद और मिट्टी का एक संयोजन है, लेकिन आपकी मिट्टी में रेत जोड़ने से (या इसके विपरीत) दोमट मिट्टी नहीं बनती है। ऐसा करने से सीमेंट (Cement) जैसी मिट्टी बन जाएगी। एक ढीली, दोमट, उपजाऊ मिट्टी का निर्माण एक बारी में किया जाने वाला उद्यान कार्य नहीं है। अपनी मौजूदा मिट्टी को दोमट में बदलना एक सतत प्रक्रिया है जिसमें हर साल मिट्टी में जैविक पदार्थों को डालना शामिल है। यह विघटित करने वाला जैविक पदार्थ है जो पौधों के लिए अच्छे पानी के भाव वाली स्थिति को उत्पन्न करता है। साथ ही यह मिट्टी को स्वस्थ और जीवित रखने में मदद करने वाले जीवों को आकर्षित करता है। टूटे हुए पत्ते, भूसा और तैयार मिश्रित खाद दोमट मिट्टी को बनाने में काफी लाभदायक सिद्ध होते हैं। जैसे कि जैविक पदार्थ का असर जल्द ही समाप्त हो जाता है, इसलिए प्रत्येक मौसम में इसे संशोधित करने की आवश्यकता होती है। मिट्टी में कितना जैविक पदार्थ डालना है यह आपकी मिट्टी पर निर्भर करता है, यदि आपकी मिट्टी बेहद रेतीली या मुख्य रूप से भारी मिट्टी है, तो प्रत्येक मौसम में बड़ी मात्रा में जैविक पदार्थों को डालना चाहिए। हालांकि, अधिकांश मिट्टी के लिए, बगीचे की सतह पर जैविक पदार्थों की कम से कम 2 इंच की परत बिछाना और फिर इसे मिट्टी के शीर्ष इंच में डालना ही काफी होता है। साथ ही पौधों से झड़ने वाले पत्तों को हटाने के बजाए उन्हें मिट्टी में ही अपघटित होने दें क्योंकि यह मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मदद करता है।