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क्या हम क्षुद्रग्रहों के टकराव से पृथ्वी को बचा सकते हैं?

मेरठ

 23-12-2020 10:46 AM
खनिज

हमारे सौर मंडल में कई बार ग्रहों पर क्षुद्रग्रह (Asteroid) और उल्का (Meteors) प्रवेश रहते हैं। हर साल, लगभग हजार टन क्षुद्रग्रह और अंतरिक्ष के मलबे पृथ्वी के वायुमंडल से प्रवेश कर जाते हैं जिसमें से अधिकांश जल जाते हैं। आज तक केवल कुछ टुकड़े ही पृथ्वी से टकराए हैं। और जब भी ऐसा होता है, तो आमतौर पर यह पृथ्वी के लिए एक विनाशकारी घटना होती है। क्षुद्रग्रहों के हमले मानव जाति के अस्तित्‍व के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक हैं तथा ये अंतरिक्ष की निरंतर निगरानी के महत्व को रेखांकित करते हैं। वर्तमान में अंतरिक्ष में हो रही हलचल व छोटी-छोटी गतिविधियों पर वैज्ञानिक लगातार नजर बनाए हुए हैं, खासकर ऐसी गतिविधियों पर जिससे पृथ्वी को नुकसान पहुंच सकता है। एक खगोलशास्त्री ने विशेष रूप से बताया है कि कैसे अवांछित अंतरिक्ष चट्टानों पर नज़र रखी जाती है।
अमेरिका (America) स्थित अंतरिक्ष संस्था राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अन्तरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration-NASA) के अनुसार, पृथ्वी के निकट क्षुद्रग्रहों की संख्या पिछले साल की तुलना में 22,000 से भी अधिक है और हर हफ्ते औसतन 30 नई अंतरिक्ष चट्टान खोजों के साथ, महत्वपूर्ण रूप से घातक क्षुद्रग्रहों का पता लगाने का महत्व बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप नासा वर्षों से क्षुद्रग्रह हमलों से पृथ्वी की रक्षा के लिए तैयारी कर रहा है। जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) (German Aerospace Center (DLR)) में एमेरिटस प्रोफेसर (Emeritus Professor) और वरिष्ठ वैज्ञानिक एलन हैरिस (Alan Harris) ने बताया कि क्षुद्रग्रहों के पृथ्वी से टकराव का जोखिम संभवतः पूरी तरह से विनाशकारी है। क्षुद्रग्रह और धूमकेतु को हम बहुत बार अपने वायुमंडल से गुजरते हुये देख सकते हैं लेकिन इनका आकार छोटा होने के कारण ये पृथ्वी पर पहुंचने से पहले ही जल जाते हैं। पृथ्वी पर पहुंचने के लिये इनका आकार लगभग यूरोपीय देशों जितना बड़ा होना चाहिये। सौभाग्य से, इस तरह की घटनाएं कुछ हजार वर्षों में होती हैं इसलिए आमतौर पर हमें इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन समस्या यह है कि यह एक सांख्यिकीय घटना है और चेतावनी के बिना किसी भी समय हो सकती है। नासा के कुछ वैज्ञानिकों ने कुछ क्षुद्रग्रहों के अब से कुछ साल बाद पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई है और इनकी पहचान 101955 बेन्नु (BENNU) (वर्ष 2182 में टकराने की संभावना, इसका व्यास 560 मी. है), 2014 जो25 (JO25) (वर्ष 2027 में टकराने की संभावना, इसका व्यास 650 मी. है), 2014 AG5 (वर्ष 2040 में टकराने की संभावना, इसका व्यास 140 मी. है), 99942 एपोफिस (APOPHIS) (वर्ष 2068 में टकराने की संभावना, इसका व्यास 370 मी. है) के रूप में की गई है। अनुमान है कि यदि ये सारे क्षुद्रग्रह अपनी वर्तमान गति के साथ आगे बढ़ते रहते हैं तो यह सफलतापूर्वक वायुमंडल में प्रवेश कर सकते हैं और एक बड़ी तबाही मचा सकते हैं।
हालांकि क्षुद्रग्रह टकराव काफी दुर्लभ ही देखने को मिलते हैं। ऐसा इसलिये होता है क्‍योंकि ये पिंड ग्रहों की तरह ही सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जैसा कि वे अरबों वर्षों से करते आ रहे हैं, लेकिन ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण से कभी-कभी इनकी कक्षाओं में गड़बड़ी हो जाती है। जिससे वे धीरे-धीरे मिलियन-वर्ष के समय के अंतराल पर स्थान बदलने लगते हैं या यदि कोई करीबी ग्रह उनसे टकरा जाता है तो अचानक कक्षाओं में परिवर्तन उत्पन्न हो जाता है। समय के साथ, उनकी कक्षाएँ, सूर्य के चारों ओर घूम रही पृथ्वी के मार्ग पार कर सकती हैं। सहस्राब्दी के दौरान जब एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी को पार करने वाली कक्षा (Earth-crossing orbit) में होता है, तो यह संभव है कि क्षुद्रग्रह और पृथ्वी एक ही समय में एक ही स्थान पर आ सके। लेकिन टकराव के लिये आवश्यक है कि क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा के साथ चलते हुये ठीक उसी समय पर प्रतिच्छेदन (intersection) बिंदु पर पहुंचे जब पृथ्वी उस बिंदु से गुजर रही हो, लेकिन पृथ्वी की कक्षाएं क्षुद्रग्रह कक्षाओं के आकार की तुलना में अपेक्षाकृत कम होती हैं, यही कारण है कि क्षुद्रग्रह टकराव इतने दुर्लभ होते हैं। इसलिये भविष्य में किसी विनाशकारी क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने की संभावना बहुत कम है लेकिन यह खतरा हकीकत में भी बदल सकता है। खतरनाक क्षुद्रग्रह और धूमकेतु बहुत कम पृथ्वी से टकराते हैं लेकिन यह खतरा हमेशा बना रहता है। कई बार धूमकेतु भी पृथ्वी के बहुत नजदीक पहुंच गए थे। वर्तमान में कई वेधशालाएं हैं, जो मुख्य रूप से अमेरिकियों द्वारा वित्त पोषित हैं, जिनके पास काफी बड़े ग्रह रक्षा कार्यक्रम हैं। ये अत्याधुनिक तकनीकों से परिपूर्ण हैं। उदाहरणत: नासा के पृथ्वी-निकट वस्तु अवलोकन कार्यक्रम (Near Earth Object Observations- NEOO) को पृथ्वी के निकट स्थित वस्तुओं को खोजने, उनका पीछा करने और उन्हें चिह्नित करने का कार्य सौंपा गया है। नासा के अनुसार, "NEO ऑब्जर्वेशन प्रोग्राम का उद्देश्य, NEO की अनुमानित संख्या का कम से कम 90 प्रतिशत का पता लगाना, ट्रैक करना और उनकी विशेषता के बारे में जानकारी जुटाना है। कई बार कुछ ऐसे एस्‍टेरॉयड चिन्हित किए जाते हैं जो आकार में फुटबॉल के मैदान के बराबर बड़े होते हैं। इस आकार के एस्‍टेरॉयड से बड़े पैमाने पर तबाही और पृथ्वी के लिए खतरा पैदा होता है। यह उन वस्तुओं की पहचान भी करता है जो पृथ्वी के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। ग्राउंड-आधारित टेलीस्कोप (Ground-based telescope) और नासा के नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट वाइड-फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर (Near-Earth Object Wide-field Infrared Survey Explorer –NEOWISE) अंतरिक्ष यान पृथ्वी के निकट स्थित वस्तुओं को खोजने के वर्तमान साधन हैं। वित्त वर्ष 2013 में NEO के ऑब्जर्वेशन कार्यक्रम ने संचालित की जा रही 41 परियोजनाओं का समर्थन किया, जिसमें 5 खोज और ट्रैकिंग (detection and tracking) अभियान,10 अनुवर्ती सर्वेक्षण (follow-up surveys), 3 रडार (Radar) परियोजनाएं, 4 डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) और प्रबंधन परियोजनाएं, 6 प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाएं, और 4 प्रभाव शमन के लिए तकनीकों का अध्ययन जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। आने वाले कुछ दशकों में, अगली पीढ़ी के भू-आधारित दूरबीनों जैसे कि चिली (Chile) में लार्ज सिनोप्टिक सर्वे टेलिस्कोप (LSST-Large Synoptic Survey Telescope) और हवाई द्वीप (Hawaiian island) पर पेनक्रोमाटिक सर्वेक्षण टेलीस्कोप और रैपिड रिपोर्टिंग सिस्टम (Panchromatic Survey Telescope and Rapid Reporting System -Pan-STARRS) दूरबीन का उपयोग होने जा रहा है। पृथ्वी-निकट वस्तु अवलोकन कार्यक्रम द्वारा समर्थित अन्य खगोलविद् अतिरिक्त माप हेतु खोज करने के लिए दूरबीनों का उपयोग करते हैं।
लेकिन क्षुद्रग्रह का पता लगाने में अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वैज्ञानिक ऐसी वस्तुओं की तलाश करते हैं जो तारों की पृष्ठभूमि के विरूद्ध काफी तीव्रता से आगे बढ़ते हैं क्योंकि अत्यधिक दूरी पर होने के कारण तारे स्थानातंरित अर्थात चलते हुए नहीं दिखाई देते हैं। यह सब एक विशेष सॉफ़्टवेयर (Software) की मदद से किया जाता है, जो गतिमान वस्तुओं का पता लगाते हैं। हालांकि ग्राउंड-आधारित टेलीस्कोप (Telescope) की सीमाएं हैं वे केवल रात में और स्पष्ट आसमान में ही सर्वेक्षण कर सकते हैं। सांख्यिकीय जनसंख्या अनुमानों के आधार पर, 460 फीट से बड़े पृथ्वी-निकट वस्तुओं (Near-Earth Objects- NEOs) के लगभग दो तिहाई हिस्से को अभी भी खोजा जाना बाकी है। नासा पृथ्वी के साथ टकराने की सम्भावना रखने वाले क्षुद्रग्रहों का पता लगाने में सक्षम एक अवरक्त दूरबीन (Infrared telescope) को लॉन्च (Launch) करने की योजना में तेजी ला रहा है। इससे नासा वर्ष के अंत तक कम से कम 450 फीट (140 मीटर) के सभी संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के 90 प्रतिशत हिस्से का पता लगा सकता है। पृथ्वी से टकराने में सक्षम अंतरिक्ष की गतिशील वस्तुओं को पहचानने, टकराने की संभावना और चेतावनी देने और उनका पीछा करने के लिए नासा ने ग्रह रक्षा कार्यक्रम (Planetary Defense Program) संचालित किया है। ग्रह रक्षा शब्द का उपयोग पृथ्वी के आस-पास संभावित क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के होने की संभावना और उसके प्रभाव का पता लगाने और चेतावनी देने के लिए किया जाता है, जिसके बाद इनके प्रभावों को रोकने या कम करने का प्रयास किया जाता है। इसमें पृथ्वी के निकट की वस्तुओं जो पृथ्वी को खतरा पहुंचा सकते हैं, की खोज करना और उन पर नज़र रखना शामिल है। किसी क्षुद्रग्रह की खोज हो जाने के बाद, संस्था इसकी कक्षा (orbit), प्रक्षेपवक्र (trajectory), आकार , आकृति, द्रव्यमान (mass), रचना, घूर्णी गतिकी (rotational dynamic) और अन्य मापदंडों को निर्धारित करती है। यह विशेषज्ञों को संभावित घटना के प्रभाव की गंभीरता को निर्धारित करने, इसके समय और संभावित प्रभावों की चेतावनी देने और प्रभाव को कम करने के साधनों की गणना करने की अनुमति देता है। इसके माध्यम से ऐसे क्षुद्रग्रह जिन्हें रोका नहीं जा सकता उनके प्रभावों को कम करने का प्रयास किया जाता है या उनके मार्ग को बाधित किया जाता है। फिलहाल वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पृथ्वी के निकट स्थित किसी ऐसी वस्तु का पता नहीं लगा पाये हैं, जो पृथ्वी के लिए खतरनाक साबित हो किंतु यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसके लिए वे एक काल्पनिक भयसूचक क्षुद्रग्रह (hypothetical threatening asteroid) के लिए मिशन डिजाइन करके अभ्यास कर रहे हैं। यह अभ्यास इंटरनेशनल एकेडेमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स के प्लेनेटरी डिफेंस कॉन्फ्रेंस (International Academy of Astronautics' Planetary Defense Conference) का हिस्सा है। अभ्यास के लिए, नासा के विशेषज्ञों ने एक परिदृश्य तैयार किया है, जिसके अंतर्गत मार्च 2019 में वैज्ञानिकों ने एक क्षुद्रग्रह की खोज की है, जो अप्रैल 2027 में पृथ्वी पर प्रभाव डाल सकता है। यह एक काल्पनिक लेकिन यथार्थवादी परिदृश्य है। ताकि वैज्ञानिक, इंजीनियर, नीति-निर्माता और आपातकालीन-प्रबंधन उन खतरों के लिये तैयार रहें जो भविष्य में उत्पन्न हो सकते हैं। निश्चित रूप से, ऐसी स्थिति के लिए किसी भी प्रतिक्रिया का एक महत्वपूर्ण घटक अंतरिक्ष यान है। अंतरिक्ष संस्थाएं दो अलग-अलग प्रकार के मिशनों को एक साथ संचालित करना चाहती हैं: पहली पूर्व परीक्षण परियोजनाएं (reconnaissance projects) जो स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञों को आवश्यक आंकड़े उपलब्ध कराएंगी और दूसरी शमन परियोजनाएं (mitigation projects) जो आपदा को टालने में सक्षम हो सकती हैं। अनुमान है कि इन अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के लिए 2023 के आस-पास लॉन्च किया जायेगा। इस अभ्यास के बारे में ग्रह रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि, इस अभ्यास के बाद अगर वे एक वास्तविक क्षुद्रग्रह का पता लगाते हैं जो वास्तविक जोखिम पैदा करता है, तो वे इससे निपटने के लिए एक योजना बना सकते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/37EiMaj
https://go.nasa.gov/3p9ZmzU
https://bit.ly/34BCim2
https://news.cnrs.fr/articles/how-to-deflect-a-killer-asteroid
https://go.nasa.gov/3rj0N0R
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र एक उल्कापिंड को पृथ्वी से टकराने जा रहा है। (Wikimedia)
दूसरी तस्वीर में नासा की इमारत को दिखाया गया है। (Pixabay)
आखिरी तस्वीर स्पेसवॉक की निगरानी करती है। (Wikimedia)
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