Post Viewership from Post Date to 27-Dec-2020 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
988 102 1090

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

क्यों मनाया जाता है भारत में 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस?

मेरठ

 22-12-2020 10:17 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

प्रत्येक वर्ष 22 दिसंबर को भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है। रामानुजन का जन्म 1887 में इरोड, तमिलनाडु (तब मद्रास अध्यक्षपद) में एक आयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। एक औपचारिक शिक्षा का अभाव होने के बावजूद 12 साल की उम्र में, उन्होंने त्रिकोणमिति पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और कई उपपाद्य का विकास किया। 1904 में माध्यमिक विद्यालय समाप्त करने के बाद, रामानुजन को गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज, कुंभकोणम (Government Arts College, Kumbakonam) में छात्रवृति के तहत अध्ययन करने का अवसर प्राप्त हुआ, लेकिन अन्य विषयों में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने की वजह से उन्होंने इस अवसर को गवा दिया। वहीं 14 वर्ष की उम्र में, रामानुजन घर से भाग गए और मद्रास के पचैयप्पा कॉलेज (Pachaiyappa’s College) में दाखिला लिया, यहाँ भी वे केवल गणित में ही उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखा पाए तथा अन्य विषयों में पास नहीं हो पाए, जिसकी वजह से वे कला की डिग्री (Degree) के साथ स्नातक करने में असमर्थ रहे थे। तब गरीबी में रहते हुए, रामानुजन ने गणित में स्वतंत्र अनुसंधान किया।
रामानुजन को जल्द ही चेन्नई के गणित समुदायों के साथ देखा गया। 1912 में, इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी (Indian Mathematical Society) के संस्थापक रामास्वामी अय्यर ने उन्हें मद्रास पोर्ट ट्रस्ट (Madras Port Trust) में एक मुंशी का पद दिलाने में मदद की। रामानुजन ने तब ब्रिटिश गणितज्ञों को अपना काम भेजना शुरू किया और उनकी सफलता 1913 में तब दिखाई दी, जब कैंब्रिज (Cambridge) स्थित जीएच हार्डी (GH Hardy) ने उनके प्रमेयों और अनंत श्रृंखला से संबंधित कार्यों से प्रभावित होकर, उन्हें लंदन (London) बुलाया। 1914 में, रामानुजन ब्रिटेन (Britain) पहुँचे, जहाँ हार्डी ने उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (Trinity College, Cambridge) में प्रवेश दिलाया। 1917 में, रामानुजन को लंदन मैथमेटिकल सोसाइटी (London Mathematical Society) का सदस्य चुना गया। 1918 में, वह रॉयल सोसाइटी (Royal Society) के सदस्य भी बन गए, और यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। इंग्लैंड (England) में सफलता प्राप्त करने के बावजूद, रामानुजन देश के आहार के आदी नहीं हो सके, और 1919 में भारत लौट आए। रामानुजन का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया, और 1920 में 32 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।
रामानुजन की प्रतिभा को गणितज्ञों ने क्रमशः 18 वीं और 19 वीं शताब्दी के यूलर (Euler) और जैकोबी (Jacobi) के बराबर माना है। संख्या सिद्धांत में उनके काम को विशेष रूप से जाना जाता है, और उन्होंने भाग फलन में भी काफी प्रगति की थी। रामानुजन को उनके निरंतर भिन्न की महारत के लिए पहचाना जाता था, और रीमैन श्रृंखला (Riemann series), अण्डाकार समाकलन, हाइपरज्यामितीय श्रृंखला और जीटा फ़ंक्शन (Zeta Function) के फलनिक समीकरणों पर काम किया था। उनकी मृत्यु के बाद, रामानुजन ने तीन किताबें और कुछ पृष्ठों को पीछे छोड़ दिया जिसमें अप्रकाशित परिणाम थे और उन पर गणितज्ञ कई वर्षों तक काम करते रहे।
शास्त्रीय भारतीय सभ्यता का गणित सामान्य और असामान्य का एक लुभावना मिश्रण है। आधुनिक व्यक्ति के लिए, भारतीय दशमलव स्थान-मूल्य अंक सामान्य लग सकते हैं और वास्तव में वे आधुनिक दशमलव संख्या प्रणाली के पूर्वज हैं। सामान्य गणित में भारतीय अंकों से संबंधित अंकगणितीय और बीजगणितीय तकनीकों में से कई हैं। दूसरी ओर, भारतीय गणितीय ग्रंथों को पद्य रूप में लिखा गया था और वे आमतौर पर कठिन गणितीय संरचित औपचारिक प्रमाणों के लिए आधुनिक गणित की चिंता को साझा नहीं करते हैं। गणित की भारतीय अवधारणा उस ज्ञान का एक रूप थी जिसकी महारत हासिल करने के लिए विभिन्न प्रतिभाओं (एक अच्छी याददाश्त, तेज और सटीक मानसिक अंकगणित, सूक्ष्म स्पष्टीकरण की आवश्यकता के बिना नियमों को समझने के लिए पर्याप्त तार्किक शक्ति, और नए तरीकों और सन्निकटन के निर्माण में सहायता करने वाले संख्यात्मक अंतर्ज्ञान) को प्रभावित किया।
18 वीं शताब्दी के महान फ्रांसीसी (French) गणितज्ञ-भौतिक विज्ञानी-खगोलशास्त्री, साइमन लाप्लास (Simon Laplace) द्वारा कहा गया कि "यह भारत है जिसने हमें दस प्रतीकों के माध्यम से सभी संख्याओं को व्यक्त करने का सरल तरीका दिया है, प्रत्येक प्रतीक को एक मूल्य का मान और साथ ही एक निरपेक्ष मूल्य प्राप्त होता है। इसकी बहुत ही सरलता और सहजता जो इसे सभी संगणनाओं के लिए उधार देती है, हमारे अंकगणित को उपयोगी आविष्कारों की पहली श्रेणी में रखती है।” भारतीयों ने अतीत में अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति और खगोल विज्ञान के क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखाया था। वहीं शुल्बसूत्र में यज्ञ-वेदी की रचना से संबंधित ज्यामितीय ज्ञान दिया हुआ है, संस्कृत में, शुलबा का अर्थ है 'रस्सी' (माप के लिए) और सूत्र 'नियम' हैं, इसलिए शुल्बसूत्र का अर्थ है 'रस्सी से मापने के लिए नियम'। बौधायन, आपस्तंब, कात्यायन और मानव सूत्र भी गणितीय बिन्दु से महत्वपूर्ण हैं। इनके गणितीय भाग वर्गों के निर्माण, आयतों, ज्यामितीय आकृतियों के परिवर्तन, यज्ञ के क्षेत्रों का पता लगाने आदि से संबंधित है। बौधायन शूलबसुत्र इनमें सबसे पुराना माना जाता है, और लगभग 800 ईसा पूर्व के आसपास में रचित माना जाता है तथाकथित पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem) का एक बहुत स्पष्ट कथन सभी उपरोक्त ग्रंथों में पाया जाता है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3h2XDtx
https://bit.ly/34y1FF0
https://www.britannica.com/science/Indian-mathematics
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में श्रीनिवास रामानुजन की तस्वीर दिखाई गई है। (Wikimedia)
दूसरी तस्वीर में श्रीनिवास रामानुजन और जीएच हार्डी की तस्वीर दिखाई गई है। । (Wikimedia, medium.com)
आखिरी तस्वीर में Birla Industrial & Technological Museum के बगीचे में श्रीनिवास रामानुजन की प्रतिमा को दिखाया गया है .(Wikimedia)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM


  • मेरठ क्षेत्र में किसानों की सेवा करती हैं, ऊपरी गंगा व पूर्वी यमुना नहरें
    नदियाँ

     18-12-2024 09:26 AM


  • विभिन्न पक्षी प्रजातियों के लिए, एक महत्वपूर्ण आवास है हस्तिनापुर अभयारण्य की आर्द्रभूमि
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:29 AM


  • डीज़ल जनरेटरों के उपयोग पर, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के क्या हैं नए दिशानिर्देश ?
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:33 AM


  • आइए देखें, लैटिन अमेरिकी क्रिसमस गीतों से संबंधित कुछ चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:46 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, बिजली बचाने के कारगर उपायों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id