Post Viewership from Post Date to 22-Dec-2020 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2085 211 2296

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

चाय पीने के हैं अनेकों कारण

मेरठ

 17-12-2020 08:28 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

पानी के बाद चाय, दुनिया में दूसरा सबसे अधिक पीया जाने वाला पेय पदार्थ है। जाहिर तौर पर ऐसा इसलिए है, क्योंकि, चाय के अपने अनेकों फायदे हैं। प्राचीन चीनी राजवंश से लेकर वर्तमान काल तक, चाय ने दुनिया को अपने महत्वपूर्ण गुणों से परिचित कराया है। कुछ देशों में यह अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसलिए इन देशों में इसका सेवन आमतौर पर सामाजिक आयोजनों में किया जाता है। कई संस्कृतियों ने इन आयोजनों के लिए जटिल औपचारिक समारोह भी बनाए हैं। जैसे ब्रिटिश (British) परंपरा में दोपहर की चाय व्यापक रूप से आयोजित की जाती है। इसी प्रकार से चीन (China), जहां से चाय की उत्पत्ति हुई। संस्कृति में चाय समारोह का आयोजन पूर्वी एशियाई (Asian) देशों जैसे कि, जापान (Japan) या कोरिया (Korea) के चाय समारोहों से भिन्न है। विभिन्न क्षेत्रों में चाय को अलग-अलग तरीके से तैयार किया जाता है, जैसे कि तिब्बत (Tibet) में, चाय को नमक और मक्खन के साथ बनाया जाता है। चाय को छोटे निजी समारोहों या सार्वजनिक रूप (सामाजिक सहभागिता के लिए डिज़ाइन (Design) किए गए चाय घरों में) से पिया जा सकता है। विभिन्न देशों की परंपराओं में चाय के महत्व को हम निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं:
भारत (India): भारत को अगर चाय की भूमि कहा जाए तो, कुछ गलत नहीं होगा। क्यों कि, दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में चाय का उत्पादन और उपभोग सबसे अधिक किया जाता है। यह भारत के राष्ट्रीय पेय के रूप में भी सुशोभित है तथा हर गली-नुक्कड़, विशेषकर भीड़-भाड़ से भरे ट्रेन स्टेशनों (Train Stations) में इसे अक्सर परोसा जाता है। भारत में चाय की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, जब भी कोई मेहमान बनकर किसी भारतीय घर में जाता है, तो उन्हें वहां चाय अवश्य ही पेश की जाती है। यहां अदरक, जायफल, दालचीनी, काली मिर्च, इलायची, लौंग आदि को भी चाय का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें डाला जाता है। जापान (Japan): जापान में चाय खाद्य संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है तथा यहां चाय को माचा (Matcha) समारोह के अंतर्गत पेश किया जाता है। यूं तो, यहां सामान्य रूप से हरी (Green) चाय का सेवन किया जाता है, लेकिन इसके अलावा भी यहां चाय के प्रकारों में विविधता देखने को मिलती है। मोरक्को (Morocco) : मोरक्को की संस्कृति में पुदीने की चाय, जिसे टॉरेग (Touareg) चाय भी कहा जाता है, को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। यहां मेहमानों को पुदीने की चाय तीन बार परोसी जाती है, जो जीवन, प्रेम और मृत्यु को संदर्भित करती है। यह चाय मोरक्को की संस्कृति का दिल मानी जाती है। न्यूजीलैंड (New Zealand) : इतिहासकारों के अनुसार, न्यूजीलैंड ने ब्रिटिश मिशनरियों (Missionaries) के आगमन के साथ उन्नीसवीं शताब्दी में काफी मात्रा में चाय का आयात किया। आज लोग यहां चाय के अन्य प्रकारों को भी ग्रहण कर रहे हैं, जिनमें जापानी ग्रीन चाय, अर्ल ग्रे (Earl Grey), ऊलोंग (Oolong) चाय आदि शामिल हैं। अमेरिका (America) : अमेरिका में चाहे ठंड हो या गर्मी, चाय का सेवन सुबह या रात में अवश्य किया जाता है। 2014 में चाय देश की सबसे अधिक लोकप्रिय गैर-मादक (Non-Alcoholic) पेय पदार्थों में से एक थी। यहां हरी, लाल और यहां तक कि, पारंपरिक चीनी चाय ऊलोंग भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। थाईलैंड (Thailand) : थाई आइस्ड (Iced) चाय या ‘चा-यें’ (Cha-Yen), थाईलैंड की बहुत अधिक पसंद की जाने वाली चाय है। इसे मुख्य रूप से लाल चाय से बनाया जाता है, जिसमें आमतौर पर सौंफ, लाल और पीला खाद्य रंग, और कभी-कभी अन्य मसाले भी मिलाए जाते हैं। थाई चाय का सेवन विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, अमेरिका और यूरोप (Europe) के रेस्तरां (Restaurant) में भी किया जाता है।
ब्रिटेन (Britain) : ब्रिटेन में भी चाय को अत्यधिक पसंद किया जाता है तथा दिन भर में एक बार चाय अवश्य पी जाती है। यहां चाय को भारत से उस समय लाया गया था, जब, ब्रिटेन एक साम्राज्य था। कॉफी (Coffee) की संस्कृति के बावजूद भी चाय ब्रिटिश आबादी द्वारा चुना गया पहला गर्म पेय है। चीन (China) : चीन के लोगों के लिए चाय जीवन का पर्याय है। जब से उन्होंने चाय की पत्ती की खोज की, तब से वे चाय का सेवन कर रहे हैं। भौगोलिक जलवायु के कारण, यहां के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की चाय की खेती की जाती है। चाय बनाने की कला चीन में "चा दाओ" (Cha Dao) के नाम से जानी जाती है। यहां के राष्ट्रीय संग्रहालय हांग्जो (Hangzhou) में, चीन की चाय संस्कृति के ऐतिहासिक विकास का विस्तृत विवरण मौजूद है। रूस (Russia) : अधिकांश देशों की तुलना में रूस में चाय की संस्कृति बहुत बाद में विकसित हुई किंतु अब इसे यहां ज़वरका (Zavarka) के रूप में अत्यधिक पसंद किया जाता है। आराम, आध्यात्मिकता, परंपरा, आनंद आदि ऐसे अनेकों कारण हैं, जिसकी वजह से आज चाय दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा अत्यधिक पसंद की जाती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3r3blB2
https://bit.ly/2ISw0GO
https://en.wikipedia.org/wiki/Tea_culture
चित्र संदर्भ: -
मुख्य तस्वीर में एक आदमी स्टाल में चाय बनाते हुए दिखाया गया है। (Wikimedia)
दूसरी तस्वीर में चाय के विभिन्न रंगों को दिखाया गया है। (Wikimedia)
आखिरी तस्वीर में ग्लास में चाय दिखाई गई है (Pixabay)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जानिए, तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए, कुछ सक्रिय उपायों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:26 AM


  • इस विश्व हिंदी दिवस पर समझते हैं, देवनागरी लिपि के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति को
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:31 AM


  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन तेलुगु गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:25 AM


  • भारत के 6 करोड़ से अधिक संघर्षरत दृष्टिहीनों की मदद, कैसे की जा सकती है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:29 AM


  • आइए, समझते हैं, मंगर बानी और पचमढ़ी की शिला चित्रकला और इनके ऐतिहासिक मूल्यों को
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:24 AM


  • बेहद प्राचीन है, आंतरिक डिज़ाइन और धुर्री गलीचे का इतिहास
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:36 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id