कथाएं, पुस्तकें, उपन्यास आदि वर्षों से पाठकों के जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं। ऐतिहासिक कथाएं पौराणिक साहित्य और संस्कृति (mythological literature and culture) को परिभाषित करती हैं। उपन्यास और पुस्तकें ज्ञान के स्त्रोत (sources of knowledge) का कार्य करती हैं इसलिए इन्हें वर्तमान और भविष्य के लिए धरोहर (heritage) माना जाता है। ओपेरा (opera), सिनेमा (cinema), थिएटर (theatre) और टेलीविजन (television) के साथ-साथ वीडियो गेम (video games) और ग्राफिक उपन्यास (graphic novels) सहित अन्य प्रकार के आख्यानों की भाँति यह मनोरंजन का साधन (source of entertainment) भी होती हैं। उपन्यास प्राचीन सभ्यता, सामाजिक परिस्थितियों (social conditions) और शिष्टाचार (manners) को चित्रित करता है। लेखक भी इस बात पर विशेष ध्यान देते हैं कि ऐतिहासिक आंकड़ों (historical figures) का सटीक विवरण होना चाहिए ताकि पाठक उस समय विशेष के लोगों और वातावरण को भली-भाँति समझ सकें। कुछ उपजातियाँ (derivatives) जैसे कि वैकल्पिक इतिहास और ऐतिहासिक कहानी एक उपन्यास में काल्पनिक (speculative) या आह्वानकारी तत्वों (ahistorical elements) को सम्मिलित करती हैं। कभी-कभी प्रामाणिकता की कमी के कारण ऐतिहासिक कहानियां आलोचना (criticism) से भी घिर जाती हैं और पाठकों की टिप्पणियों (comments) का केंद्र बन जाती हैं। ऐसी स्थिति में विद्वानों का तर्क महत्वपूर्ण होता है। ऐतिहासिक कथा-साहित्य (fiction) की शुरुआत 19 वीं शताब्दी में समकालीन पश्चिमी साहित्यिक शैली (Contemporary western literary genre) के रूप में सर वाल्टर स्कॉट (Sir Walter Scott) और अन्य राष्ट्रीय साहित्यिकों जैसे फ्रेंचमैन होनोर डी बाल्ज़ाक (Frenchman Honoré de Balzac), अमेरिकी जेम्स फेनीमोर कूपर (American James Fenimore Cooper) और बाद में रूसी लियो टॉल्स्टॉय (Russian Leo Tolstoy) की समकालीन रचनाओं से हुई।
शरथ कोमारज्जू (Sharath Komarraju) एक कथा (fiction) और गैर-कथा (non-fiction) के लेखक हैं जो भारत के बैंगलोर (Bangalore) शहर के रहने वाले हैं। वह अपनी हस्तिनापुर पुस्तक श्रृंखला (Hastinapur Book Series) के लिए विख्यात हैं, जिसमें उन्होंने महाकाव्य (Epic) की कई महिला पात्रों के माध्यम से महाभारत की कहानी को हम सब तक पहुँचाया है।
हस्तिनापुर की हवाएँ (The Winds of Hastinapur)
हम सभी महाभारत महाकाव्य से भली-भांति अवगत हैं जिसमें धर्म-अधर्म, साम्राज्य और सिहाँसन, परिवार, मित्र-शत्रु, गुरु-शिष्य आदि के बीच हुए वास्तविक और बौद्धिक युद्ध (real and intellectual war) की कहानी का विस्तार से वर्णन किया गया है। टेलीविज़न (Television) में भी महाभारत का नाट्य रूपांतरण (Theatrical adaptation) कई बार प्रसारित किया जाता है जो हम बचपन से देखते आए हैं। शरथ कोमारज्जू की हस्तिनापुर पुस्तक श्रृंखला (book series) की सबसे पहली पुस्तक है “हस्तिनापुर की हवाएँ” जो वर्ष 2013 में प्रकशित हुई। इस पुस्तक में लेखक ने कई ऐसे पात्रों का भी विवरण किया है जिनसे सभी लोग प्राय: अज्ञात (unknown) रह जाते हैं। पौराणिक कथाओं (mythology) में मुख्यत: एक महान राजा होता है, और जैसा की सभी जानते हैं कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है, इस कथा में भी महान स्त्रियों का वर्णन किया गया है, राजा शांतनु की पहली पत्नी और भीष्म की माता गंगा, जिनके बाद राजा का विवाह सत्यवती के साथ हुआ। कथा में आगे वर्णन मिलता है अंबा का जो भीष्म से प्रतिशोध (revenge) लेने के लिए वर्षों तक प्रतीक्षा करती है। राजा शांतनु और देवव्रत भीष्म ऐसी परिस्थिति (situation) में आकर फंस जाते हैं जब उन्हें ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं जिससे भविष्य की पूरी काया-पलट हो जाती है और अंतत: महाभारत का युद्ध छिड़ जाता है। हर पुस्तक श्रृंखला की तरह यह पुस्तक भी ऐसे पड़ाव पर आकर रुकती है जहाँ पाठक इसके अगले भाग को पढ़ने के लिए विवश हो जाता है और अगली पुस्तक की प्रतीक्षा करता है।
हस्तिनापुर का उदय (The Rise of Hastinapur)
शरथ कोमारज्जू द्वारा लिखी गई पुस्तक श्रृंखला महाभारत महकाव्य का एक प्रतिरूप (model) मात्र नहीं है बल्कि दो महिलाओं के दृष्टिकोण को उजागर करती है। ‘द राइज ऑफ हस्तिनापुर' (The Rise of Hastinapur) कहानी में हस्तिनापुर राज्य की तीन रानियों का विवरण है अम्बा जिसे गंगा पुत्र भीष्म देवव्रत ने जीता था परंतु क्योंकि वह दूसरे राजा से प्रेम करती थी इसलिए उसका पुत्र अन्त में भीष्म के पतन क कारण बना। गांधार की राजकुमारी गांधारी जिसका विवाह अंधे धृतराष्ट्र से हुआ और कुंती, जो अपने भाई वासुदेव और अपनी पत्नी देवकी को कंश के कारागार (prison) से मुक्त कराने का अथक प्रयास करती है। तीनों रानीयों ने अपने जीवन में अलग-अलग चुनौतियों (challenges) का सामना बडे़ धैर्य और साहस (patience and courage) के साथ किया। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह स्त्रियों की विचारधारा (ideology) को चित्रित करती है और अन्य कहनियों की भाँति स्त्रियों को कहानी के मुख्य भाग से किनारे नहीं करती।
हस्तिनापुर की महारानियां (The Queens of Hastinapur)
हस्तिनापुर श्रृंखला की सबसे अंतिम पुस्तक “हस्तिनापुर की महारानियां” है जो हस्तिनापुर की रानियों के भय (fear), साहस (courage) और महत्वाकांक्षाओं (ambitions) को उजागर करती है। इस कथा की मुख्य पात्र (main characters) गंगा, माद्री, पृथा और गांधारी जो ईश्वर का ही रूप या ईश्वर की भक्त थीं, जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों (adverse conditions) में भी धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा। और यही ज्ञान उन्होंने अपने पुत्रों (sons) को भी दिया।
इस श्रृंखला के अलावा शरथ कोमारज्जू ने अब तक चार किताबें और 24 लघु कहानियां (short-stories) लिखी हैं। आगरा के कौवे (The Crows of Agra (2015)), उनकी एक और मनोरंजक पुस्तक “पेड़ के भालू गवाह हैं (The Tree Bears Witness)” एक ऐतिहासिक हत्या के रहस्य की कहानी है जो अपनी अगली कड़ी के साथ अन्य पुस्तकों और आगामी चालीस-वॉल्यूम श्रृंखला (forty-volume series) भी प्रकाशित (publish) होने जा रही हैं। लेखक द्वारा लिखी गई कथाओं से उनकी कलात्मक और रचनात्मक शैली (artistic and creative style) का पता चलता है। शरथ एक इंजिनियर (engineer) हैं और उनका मानना है कि एक आईटी (IT) की नौकरी ने उन्हें लेखन में उनकी रुची को विकसित करने के लिए समय और मानसिक स्थान प्रदान किया, जो बाद में एक कैरियर (career) के रूप में उजागर हुआ।
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