इतिहास में कभी भी महत्वपूर्ण बदलावों के क्षण को
पहचान पाना आसान नहीं होता। लेकिन जब दुनिया की सुंदरता, नाजुकता और अकेलेपन को लेकर मानवता की पहली सच्ची समझ की बात आती है, तब हम उस सटीक
क्षण की पहचान कर सकते हैं। वह दिन 24 दिसंबर, 1968 का था, जब अपोलो 8 (Apollo 8) अंतरिक्ष यान, केप कैनावेरल एन रूट (Cape Canaveral En Route) से उड़ान भरने के ठीक
75 घंटे, 48 मिनट और
41 सेकंड बाद चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला पहला मानवयुक्त मिशन (Mission) बना। इस यान में मौजूद अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक बोरमैन (Frank Borman), जिम लोवेल (Jim Lovell) और बिल एंडर्स (Bill Anders) ने उस वर्ष की
क्रिसमस संध्या (Christmas Eve) के दिन चंद्र
कक्षा में प्रवेश किया, जिस वर्ष अमेरिका (America) एक बुरे, युद्ध-ग्रस्त समय से गुजर रहा था। 10 कक्षाओं में से चौथी की शुरुआत में, उनका अंतरिक्ष यान चंद्रमा के बहुत दूर से उभर रहा
था, और तभी एक खिड़की में से नीले-सफेद ग्रह का
दृश्य दिखायी दिया। यह दृश्य बहुत सुंदर था, जिसमें पृथ्वी धीरे-धीरे उभर रही थी। एंडर्स ने उभरती पृथ्वी (Earthrise) की काले और सफेद रंग में एक तस्वीर खींची। लोवेल ने रंगीन
कैनिस्टर (Canister) को ढूंढ़ने का प्रयास किया। उन्हें एक बार लगा कि, वे शायद उभरती पृथ्वी की रंगीन तस्वीर नहीं खींच पायेंगे, लेकिन आखिरकार, वे ऐसा कर पाने
में सफल हुए। एंडर्स ने उस मोहक तस्वीर को अपने कैमरे (Camera) में कैद कर लिया। यह तस्वीर जहां पर्यावरण आंदोलन शुरू करने की प्रेरणा देती
है, वहीं मुख्य रूप से मानवों को यह पहचानने में भी
मदद करती है कि, एक ठंडे और दंडित ब्रह्मांड में, हमें एक बहुत ही अच्छी चीज (पृथ्वी - जहां हम आसानी से रह पाते हैं) प्राप्त
हुई है।
संदर्भ:
https://www.youtube.com/watch?v=Z6DpPQ8QdLg
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