पुराणों और महाभारत में वर्णित समुद्र मंथन से चौथे नंबर पर जन्मा ऐरावत एक अद्वितीय हाथी है। अपने अनोखे सफेद रंग के अलावा, इसकी 6 सूंड और 6 जोड़ी दांत होते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया की संस्कृति में, ऐरावत को 3 सिर वाला हाथी भी दर्शाया गया है। भगवान इंद्र की सवारी ऐरावत को बहुत सारे नामों से जाना जाता है। उनमें से एक है ‘अभ्र मतंगा’ जिसका मतलब होता है- बादलों का देवता, हाथियों का राजा। दुनिया के तमाम देशों के धर्मों में इसकी विशिष्ट पहचान बताई गई है। लोकप्रिय संस्कृति, गाथाओं और विभिन्न ध्वजों पर ऐरावत की छाप इसकी पहचान है।
ऐरावत के विविध नाम:
‘अभ्र-मतंगा’ के अलावा ऐरावत को ‘नाग मल्ला’ नाम से भी जाना जाता है। जिसका अर्थ है युद्ध में प्रयोग होने वाला हाथी। एक और नाम ‘अर्कसोद्रा’ का मतलब सूर्य का भाई है। ऐरावत की पत्नी का नाम अभ्रमु है। ऐरावत कश्यप ऋषि की पत्नी इरावती का तीसरा पुत्र था महाभारत में इसका उल्लेख एक विशाल सर्प के रूप में भी मिलता है। LACMA( Los Angeles County Museum of Art ) म्यूजियम में 1670-1680 की एक पेंटिंग में इंद्र और उनकी पत्नी शशि को 5 सिर वाले दैवी हाथी ऐरावत पर सवार दिखाया गया है।
ऐरावत और इरावत का रहस्य
वेदों में इंद्र का मतलब परमात्मा बताया गया है लेकिन पौराणिक साहित्य में उन्हें देवताओं के राजा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। महान राजा होने के कारण इंद्र सामान्य वाहन पर तो सवार हो ही नहीं सकते थे, इसलिए पुराणों के प्रतिष्ठित रचनाकारों ने दो महत्वपूर्ण वाहन इंद्र के भ्रमण के लिए तैयार किए-
1. ऐरावत नाम का हाथी
2. उच्चैश्रवा नाम का घोड़ा
आयुर्वेद के अनुसार एक मुलायम, मक्खन जैसा पदार्थ मनुष्य के बालों की जड़ों में पाया जाता है जिसे ‘इंद्र’ कहते हैं। जब यह पदार्थ सूख जाता है तो मनुष्य गंजा हो जाता है। ऐसी मान्यता भी है कि हाथी के दांतो की भस्म को रसंजना में मिलाकर गंजे हिस्से पर लगाने से नए बाल जल्दी ही उगने लगते हैं। ऐसा जिक्र आयुर्वेद के ‘वेशाजा-रत्नावली’ में किया गया है। जायफल को घोड़े की लार के साथ पीसकर गंजी जगह पर लगाने से भी नए बाल जल्दी उग जाते हैं।
शुद्ध संस्कृत में हाथी को ऐरावत और घोड़े को उच्चैश्रवा कहते हैं। पुराणों के रचयिताओ को इंद्र शब्द आयुर्वेद से मिला था। इस प्रकार आयुर्वेद की मूल वैज्ञानिकता पुराणों की पौराणिक कथाओं के कथानक में घुल मिलकर प्रचारित प्रसारित होती रही है।
ऐरावत से जुड़े मिथक
इंद्र के आकाशीय सफेद हाथी ऐरावत के बारे में काफी कहानियां प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक में हनुमान के साथ उसकी लड़ाई का जिक्र है, एक अभिशाप के कारण उसे अपना मोतियों जैसा सफेद रंग गँवाकर शर्म से दूध के समुद्र में छुपना पड़ा था। वह वापस तब बरामद हुआ जब देवताओं और असुरों ने अमृत की लालसा में समुद्र मंथन किया। युद्धों में इंद्र के साथ ऐरावत की शौर्यपूर्ण पारियां अपने स्वामी के प्रति उसकी वफादारी को साबित करती हैं।
ऐरावत: इंद्र का सफेद हाथी
ऐरावत आकाश के उन सफेद बालों का प्रतिनिधि है जो बारिश के बाद आसमान में दिखते हैं, सफेद बादलों पर सवार इंद्र बिजली चमकाते हैं और काले बादलों को बरसने पर मजबूर करते हैं ताकि आकाश साफ हो जाए। ऐरावत को सूर्य देवता का भाई भी माना जाता है। प्रतीकात्मक रूप से यह माना जाता है की ऐरावत काले बादलों को हटाकर सूर्य के लिए रास्ता साफ करता है।
ऐरावत: हाथियों का राजा
देवताओं के राजा इंद्र की सवारी ऐरावत के विषय में बहुत सी किवदंतियां प्रचलित है। उसका नाम इरावत शब्द से तैयार हुआ है इसका मतलब है- पानी से जन्मा। रामायण में ऐरावत की मां के रूप में इरावती का नाम है, जबकि मतंगगालिला के अनुसार उसका जन्म कब हुआ था जब ब्रह्मा ने अंडे के दो छिलकों के ऊपर से सात पवित्र भजन गाए थे, उसे गरुड़ का जन्म हुआ, बाद में 8 हाथियों का जन्म दाहिनी ओर से हुआ जिनमें से एक ऐरावत भी था, फिर 8 हाथियों का जन्म बाई ओर से हुआ। ऐरावत के नाम का एक अर्थ है; जो बादलों को बुनता और बांधता है। जब इंद्र ने व्रित्रा को पराजित किया, ऐरावत अपनी सूंड के साथ पानी के नीचे पाताल लोक चला गया, फिर सारा पानी सूंड में भरकर बादलों पर बरसा दिया। इंद्र ने तब ठंडे पानी को नीचे बरसाया, इस तरह आसमान के पानी को उन्होंने जमीन के नीचे पहुंचाया। विष्णु पुराण के अनुसार ऐरावत के 4 दांत हैं, 7 सूंड और दूधिया सफेद रंग है। पृथु ने उसे हाथियों का राजा बनाया था। ऐरावत को 8 देवताओं की भी सवारी माना जाता है- पूर्व में इंद्र, दक्षिण पूर्व में अग्नि, दक्षिण में यम, दक्षिण पश्चिम में सूर्य, पश्चिम में वरुण, उत्तर पश्चिम में वायु, उत्तर में कुबेर और उत्तर पूर्व में सोम। हर देवता के पास एक हाथी है।
एक और रोचक मिथक यह है कि सारे हाथियों के मूल रूप से पंख होते हैं और वे सब आकाश में उड़ सकते हैं। एक बार एक उड़ता हुआ हाथी जोर से एक पेड़ पर गिर पड़ा जिसके नीचे एक संत ध्यान में मग्न थे। पेड़ की शाखाएं टूट गई, जिससे संत का ध्यान भंग हो गया तब उसने हाथियों को श्राप दिया कि वह अपने पंख सदा के लिए खो देंगे।
थाईलैंड (Thailand) में ऐरावत को एरावन (erawan) कहां जाता है और उसे 3 सिरों वाले विशाल हाथी के रूप में जाना जाता है। LAN XANG की पुरानी ‘लाओ’ राजशाही और लाओस (Laos) की प्राचीन राजसत्ता से ऐरावत को जोड़ा जाता है और उनके राजसी ध्वजों पर इसकी तस्वीर भी है। बर्मा में भी सफेद हाथियों की देवताओं की तरह पूजा होती है।
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