असामान्य बनावट और अपेक्षाकृत न्यूनतम देखभाल के लिए जाने जाते हैं, गूदेदार पौधे

मेरठ

 04-12-2020 11:10 AM
शारीरिक

धरती पर पौधों की विभिन्न प्रजातियां और वर्ग मौजूद हैं, जिनमें से गूदेदार (Succulent) पौधे भी एक हैं। कोई भी पौधा, जिसका ऊतक मोटा और मांसल होता है, सामान्य रूप से गूदेदार पौधा कहलाता है। यह मुख्य रूप से पानी को संग्रहित करने के लिए इस रूप में अनुकूलित होता है। कुछ गूदेदार पौधे (जैसे, नागफनी - Cacti) पानी को केवल अपने तने में संग्रहित करते हैं, और उनमें कोई पत्तियां नहीं होती या फिर बहुत छोटी और कम पत्तियां होती हैं। जबकि अन्य (जैसे, अगेव - Agaves) मुख्य रूप से पत्तियों में पानी का संग्रह करते हैं। अधिकांश गूदेदार पौधों में गहरी या व्यापक जड़ प्रणालियां होती हैं और ये उन रेगिस्तानों या क्षेत्रों में उगते हैं, जहां मौसम अर्ध शुष्क होता है। गूदेदार पौधे, आइज़ोएसी (Aizoaceae), कैक्टैसी (Cactaceae) और क्रैसुलेसी (Crassulaceae) के सदस्यों सहित, 60 से अधिक पादप परिवार में पाए जाते हैं। अपनी असामान्य बनावट और अपेक्षाकृत न्यूनतम देखभाल के साथ पनपने की क्षमता के कारण कई गूदेदार पौधों को सजावटी और हाउसप्लांट्स (Houseplants) के रूप में उपयोग किया जाता है। गूदेदार पौधों में ऐसी अनेकों विशेषताएं हैं, जो इन्हें अन्य पौधों से अलग करती हैं। जैसे पानी के नुकसान को कम करने के लिए इनमें क्रेस्युलेसिएन एसिड चयापचय (Crassulacean Acid Metabolism) होता है।
सामान्य पौधों के विपरीत इनमें पत्तियां या तो अनुपस्थित होती हैं या फिर कम होती हैं। इन पौधों में रंध्रों की संख्या भी बहुत कम होती है, ताकि वाष्पीकरण की प्रक्रिया कम से कम हो। सामान्य पौधों में जहां प्रकाश संश्लेषण पत्तियों में होता है, वहीं गूदेदार पौधों में प्रकाश संश्लेषण तने में होता है। गूदेदार पौधों के चारों ओर मोमी, चमकदार सतह होती है, जो पौधे के चारों ओर एक नम सूक्ष्म आवास बनाती है। इससे पौधे की सतह के पास वायु की गति कम हो जाती है और पानी का नुकसान कम होता है। गूदेदार पौधे श्लेष्मिक (Mucilaginous) पदार्थ उत्पन्न करते हैं, जो पौधे में पानी को बहुतायत से बनाए रखने में सहायक हैं। कई गूदेदार पौधों में एक सामान्य अनुकूलन उनके रंध्रों के खुलने का समय है। रंध्र, पौधे की पत्तियों और तनों की सतह पर मुंह के जैसी दिखने वाली संरचनाएं हैं, जिनके माध्यम से पौधे पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) को ग्रहण करते हैं तथा पर्यावरण में ऑक्सीजन (Oxygen) का उत्सर्जन करते हैं। अधिकांश पौधों के विपरीत, गूदेदार पौधों के रंध्र दिन के दौरान बंद होते हैं और रात में खुलते हैं। इससे पौधे में कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करने की प्रक्रिया रात के समय सबसे अधिक होती है। गूदेदार पौधों में सीमित जल स्रोतों जैसे धुंध और ओस या जलबिंदु पर पनपने की क्षमता होती है, जो उन्हें एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र में जीवित रखता है, जहां जल स्रोत दुर्लभ होते हैं। गूदेदार पौधों के विकास को इनकी विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर समझा जा सकता है, जो कि, इन्हें विभिन्न रूपों में वर्गीकृत भी करती हैं।
कुछ परिभाषाओं के अनुसार, गूदेदार पौधे शुष्क प्रतिरोधी पौधे होते हैं, जिनमें पत्तियां, तना या जड़ें आमतौर पर जल संग्रह करने वाले ऊतक के विकास से अधिक मांसल हो जाती हैं। लेकिन अन्य स्रोतों की परिभाषा, जड़ को पृथक् कर देती है, और उन पौधों को गूदेदार के रूप में वर्गीकृत करती हैं, जिनके तने या पत्तियां शुष्क वातावरण में अनुकूलन के लिए मोटी व मांसल हो जाती हैं। यह अंतर गूदेदार पौधों तथा जिओफाइट्स (Geophytes - वे पौधे जो एक भूमिगत अंग पर सुप्त कलिका के रूप में प्रतिकूल मौसम में अपने अस्तित्व को बचाए रखते हैं) के संबंधों को प्रभावित करता है। भूमिगत अंग, जैसे कि बल्ब (Bulbs), कॉर्म (Corms) और कंद, अक्सर जल-संचयी ऊतकों के साथ मांसल होते हैं। इस प्रकार यदि जड़ों को परिभाषा में शामिल किया जाता है, तो कई जिओफाइट्स को गूदेदार पौधे के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। शुष्क वातावरण में अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अनुकूलित पौधों, जैसे गूदेदार पौधों को जिरोफाइट्स (Xerophytes) में भी वर्गीकृत किया जा सकता है, लेकिन सभी जिरोफाइट्स, गूदेदार नहीं होते, क्योंकि, पानी की कमी को दूर करने के लिए अन्य प्रकार के अनुकूलन (जैसे छोटे पत्ते विकसित करके, जो गूदेदार पत्तों की बजाय अधिक सख्त हो जाते हैं) भी पौधों में मौजूद होते हैं। इसी प्रकार से सभी गूदेदार पौधे, जिरोफाइट्स नहीं होते हैं। वे लोग जो, गूदेदार पौधों को शौकिया रूप से उगाते हैं, ‘गूदेदार’ शब्द का इस्तेमाल विभिन्न तरीकों से करते हैं। बागवानी के उपयोग में, गूदेदार शब्द, नागफनी को अपनी श्रेणी से बाहर रखता है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां नागफनी को गूदेदार पौधे की श्रेणी से बाहर रखा गया है। हालांकि वानस्पतिक शब्दावली में नागफनी को गूदेदार पौधों के समूह में ही रखा गया है, लेकिन कई गूदेदार पौधे, नागफनी नहीं होते हैं। नागफनी में वास्तविक कांटे होते हैं, और यह केवल नई दुनिया (पश्चिमी गोलार्ध) में दिखाई देता है।
समरूप विकास (Parallel Evolution) के माध्यम से समान दिखने वाले पौधे पुरानी दुनिया में बिना कांटों के, पूरी तरह से अलग पादप परिवार के रूप में विकसित हुए हैं। अपनी अनेकों विशेषताओं के कारण गूदेदार पौधे, पादप संग्रहकर्ताओं और विक्रेताओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो गये हैं तथा कोरोना महामारी के दौरान हुई तालाबंदी में इस लोकप्रियता को स्पष्ट रूप से देखा गया। दुर्लभ पौधों का बाजार, कला बाजार की तरह ही विवेकशील, समृद्ध और शौकीन है, जिसमें मुख्य रूप से धनी वर्ग ही रूचि लेते थे। लेकिन सोशल मीडिया (Social Media), विशेष रूप से इंस्टाग्राम (Instagram) और पिंटरेस्ट (Pinterest) ने इस व्यवहार को बदल दिया है। अब मिलेनियल्स (Millennials - व्यापक रूप से 1981 से 1996 के बीच पैदा हुई पीढ़ी), भी इसमें रूचि लेने लगे हैं, तथा दुर्लभ पौधों के संग्रह और विक्रय का कार्य कर रहे हैं। इस कारण से पत्तेदार और गूदेदार पौधों की मांग मिलेनियल्स के बीच अत्यधिक बढ़ गयी है। सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं ने दुर्लभ पौधों की अदला-बदली को भी पेश किया। तालाबंदी के दौरान दुर्लभ पौधों की कीमत में भारी वृद्धि, संग्रहकर्ताओं और विक्रेताओं के बीच इनकी अत्यधिक लोकप्रियता को इंगित करती है।

संदर्भ:
https://www.thehindu.com/life-and-style/homes-and-gardens/rare-plants-turn-money-spinners-during-the-lockdown/article32928263.ece
https://en.wikipedia.org/wiki/Succulent_plant
https://www.britannica.com/plant/succulent
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में कंटीली नागफनी की विभिन्न किस्मों को दिखाया गया है। (Pixnio)
दूसरे चित्र में गूदेदार पौधों (Succulent) को दिखाया गया है। (Pixabay)
तीसरे चित्र में नागफनी के पेड़ को दिखाया गया है। (Pixabay)
चौथे चित्र में बिना कांटे वाले गूदेदार पौधे को दिखाया गया है। (Pixabay)

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id