नवपाषाण काल में पत्‍थरों के औजारों का उपयोग

मेरठ

 01-12-2020 12:25 PM
ठहरावः 2000 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक

यह सर्वविदित है कि इस श्रृष्टि का निर्माण चरणबद्ध तरीके से हुआ है, उसी प्रकार मानव का भी क्रमिक विकास हुआ है। मानव द्वारा आग और औजारों के आविष्कार ने इसे अन्‍य जीवों से भिन्‍न बनाया। मानव के क्रमिक विकास को प्राचीन या पाषाण काल के माध्‍यम से दर्शाया जाता है। पुरातत्‍वविदों द्वारा पाषाण काल को तीन भागों में पुरापाषाण (Paleolithic Age) (500,000 ई.पू. से 10,000 ई.पू.), मध्यपाषाण (Mesolithic Age) (9,000 ई.पू. से 4,000 ई.पू.) और नवपाषाण (Neolithic Age) काल में बांटा गया है। जिस समय आरंभिक मानव पत्थरों का प्रयोग करता था, उस समय को पुरातत्त्वविदों ने पुरापाषाण काल नाम दिया। मध्यपाषाण काल, पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग के बीच का काल है। जिसमें मानव की जीवनशैली में परिवर्तन आया। इसके बाद नवपाषाण युग की शुरूआत हुयी जिसमें मनुष्य ने कृषि करना प्रारंभ किया और पत्‍थरों के विभिन्‍न औजार बनाए। आज वैज्ञानिक हमारे वंशजों की औजार बनाने की विभिन्‍न कला को उजागर कर रहे हैं। जिसके लिए वे चिम्पांज़ी (Chimpanzees) पर अध्‍ययन कर रहे हैं क्‍योंकि यह मानव प्रजाति के सबसे निकटतम हैं ये जीव शिकार करने हेतु विभिन्‍न उपकरणों का उपयोग करते हैं। लगभग 4 मिलियन साल पहले पहले मानव द्वारा भी शिकार हेतु लकड़ी के औजारों का प्रयोग किया जाता था। लगभग 2.6 मिलियन वर्ष पूर्व पत्थर के औजारों की शुरूआत इथियोपिया (Ethiopia) के गोना (Gona) से हुयी। यहां से पत्‍थरों के पहले ज्ञात औजार मिले हैं।
एक माइक्रोलिथ एक छोटे पत्थर का उपकरण होता है जो सामान्‍यत: चकमक पत्थर से बना होता है और इसकी लंबाई लगभग एक सेंटीमीटर (centimetre) और चौड़ाई आधा सेंटीमीटर होती है। ये यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में लगभग 35,000 से 3,000 साल पहले मनुष्यों द्वारा बनाए गए थे। माइक्रोलेथ का उपयोग भाला और तीर के सिरे पर किया गया था। माइक्रोलिथ का उत्पादन या तो एक छोटे ब्लेड (माइक्रोब्लैड) या बड़े ब्लेड के रूप में किया जाता था, इसके अवशेष में एक बहुत ही विशिष्ट टुकड़ा छूट जाता था, जिसे माइक्रोब्रिन (Microburin) कहा जाता है। यह ब्लेड पत्‍थर से बना होता है, जिसे पत्थर की कोर से लंबे संकीर्ण परत को तोड़कर बनाया जाता है। ब्लेड निर्माण के लिए विभिन्न तकनीकों की आवश्यकता होती है; एक ब्लेड बनाने के लिए एक हथौड़े की आवश्यकता होती है। ब्लेड के लंबे तेज किनारों ने इसे विभिन्‍न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोगी बना दिया। जिन कोनों से ब्लेड से आक्रमण किया जाता है उन्हें ब्लेड कोर (Blade Core) कहा जाता है और एकल ब्लेड (Single Blades) से बनाए गए उपकरण को ब्लेड उपकरण (Blade Tool) कहा जाता है। छोटे ब्‍लैड (12 मिमी से कम) को माइक्रोब्लैड कहा जाता है और मध्‍यपाषाण काल में मिश्रित उपकरणों के तत्वों के रूप में इनका उपयोग किया जाता था। माइक्रोलिथ को मुख्‍यत: दो भागों में विभाजित किया गया है लामिनायर (Laminar) और ज्यामितीय (Geometric)। एक पुरातात्विक स्थल की तिथि ज्ञात करने के लिए माइक्रोलिथ्स (microliths) के एक संयोजन का उपयोग किया जा सकता है। लामिनार माइक्रोलिथ्स आकार में थोड़ा बड़ा है, और यह पुरापाषाण काल के अंत और एपिपालेलिथिक युग (Epipaleolithic Era) की शुरुआत के साथ जुड़ा हुआ है; ज्यामितीय माइक्रोलिथ का विकास मध्य पाषाण और नवपाषाण के दौरान हुआ। ज्यामितीय माइक्रोलिथ त्रिकोणीय, समलंब चर्तुभुज या अर्धचन्द्राकार हो सकते हैं। किंतु कृषि (8000 ईसा पूर्व) की शुरूआत के बाद माइक्रोलिथ का उत्पादन कम हो गया, लेकिन बाद में संस्कृतियों में शिकार परंपरा के लिए जारी इसका उत्‍पादन जारी रहा। माइक्रोलिथ्स का उपयोग शिकार हथियारों के नोंक को बनाने के लिए किया गया था। जिनके अवशेष आज पुरातत्‍वविदों द्वारा खोजे जा रहे हैं।
भारत में नवपाषाण युग विकास सात हजार ईसापूर्व से एक हजार ईसा पूर्व में हुआ। उत्तर-पश्चिमी भाग (जैसे कश्मीर), दक्षिणी भाग (कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश), उत्तर पूर्वी सीमा (मेघालय), और भारत के पूर्वी भाग (बिहार और ओडिशा) में नवपाषाण बस्तियाँ पाई गई हैं। नवपाषाण युग मुख्य रूप से व्यवस्थित कृषि के विकास और पॉलिश (Polished) किए गए पत्थरों से बने उपकरणों और हथियारों के उपयोग के लिए प्रसिद्ध है। इस अवधि में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें रागी, चना, कपास, चावल, गेहूं और जौ आदि थीं। इस युग के लोगों ने मवेशी, भेड़ और बकरियों को पालतू बनाया। लोगों ने पॉलिश किए गए पत्थरों के साथ-साथ हड्डियों से बने औजारों एवं माइक्रोलिथिक ब्लेड (Microlithic Blades) का इस्तेमाल किया। वे कुल्हाड़ियों, बसूला, छेनी और सील्ट (Celts) का इस्तेमाल करते थे। इस काल के लोग गोलाकार या आयताकार घरों में रहते थे जो मिट्टी और ईख से बनाए जाते थे। कुछ स्थानों पर मिट्टी-ईंट के घरों के अवशेष भी मिले हैं। मृदभाण्‍ड का सर्वप्रथम उपयोग इसी युग में किया गया। नवपाषाण युग अपने मेगालिथिक वास्तुकला (Megalithic Architecture) के लिए महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में स्थित महाडा (Mahada) नवपाषाण स्थल का अत्यंत पुरातात्विक महत्व का है क्योंकि यह भारत में नवपाषाण युग की शुरुआत को चिह्नित करने वाले प्रमुख स्थलों में से एक है। वर्षों से खुदाई में बड़ी संख्या में लघुपाषाणी या माइक्रोलिथिक (Microlithic) (माइक्रोलिथ (Microliths) और ब्लैक ब्लेड (Black Blades)) उपकरण मिले हैं।

संदर्भ:
https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/the-neolithic-age-1430564528-1
https://en.wikipedia.org/wiki/Microlith
https://www.jneurosci.org/content/29/37/11523
https://www.livescience.com/7968-human-evolution-origin-tool.html
https://en.wikipedia.org/wiki/Blade_(archaeology)
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र खेती करते हुए आदि मानव को प्रदर्शित करता है। (Publicdomainpictures)
दूसरे चित्र में सिंधु घाटी सभ्यता के उत्खनन स्थलों से प्राप्त विभिन्न औज़ारों का चित्र है। सभी औजार पत्थर से बनाये गए थे। (Wikimedia)
अंतिम चित्र में सिंधु सभ्यता से मिले बैलगाड़ी की एक मूर्ति को दिखाया गया है। (Flickr)

RECENT POST

  • चलिए अवगत होते हैं, भारत में ड्रॉपशिपिंग शुरू करने के लिए लागत और ज़रूरी प्रक्रियाओं से
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:30 AM


  • आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा का संगम है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:26 AM


  • भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का श्रेय जाता है, इसके मज़बूत डेयरी क्षेत्र को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     13-01-2025 09:26 AM


  • आइए, आज देखें, भारत में पोंगल से संबंधित कुछ चलचित्र
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:30 AM


  • जानिए, तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए, कुछ सक्रिय उपायों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:26 AM


  • इस विश्व हिंदी दिवस पर समझते हैं, देवनागरी लिपि के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति को
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:31 AM


  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id